| (UPSC GS-1, GS-3: पर्यावरण एवं संसाधन प्रबंधन के लिए उपयोगी) |
भारत विश्व के सबसे बड़े भूजल-उपयोगकर्ता देशों में शामिल है। पेयजल, कृषि और औद्योगिक आवश्यकताओं का बड़ा हिस्सा भूजल पर निर्भर है। ऐसे में इसकी गुणवत्ता का मूल्यांकन अत्यंत महत्वपूर्ण है। केंद्रीय भूमिजल बोर्ड (CGWB) द्वारा जारी वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2025 देश में भूजल की वर्तमान स्थिति, प्रमुख प्रदूषकों और उनकी भौगोलिक प्रवृत्ति को दर्शाती है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
समग्र गुणवत्ता स्थिति
- देश का 71.7% भूजल भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप है।
- 28.3% नमूनों में एक या अधिक संदूषक मानक सीमा से अधिक पाए गए।
महत्व क्यों ?
ग्रामीण भारत में 80% से अधिक पेयजल भूजल पर आधारित है। गुणवत्ता का क्षरण स्वास्थ्य-सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
प्रमुख संदूषण
(A) नाइट्रेट संदूषण – सबसे व्यापक समस्या
- 20% नमूने WHO/BIS सीमा 45 mg/L से ऊपर।
- मुख्य स्रोत:
- उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग
- सीवेज का भूजल में रिसाव
- पशु अपशिष्ट
स्वास्थ्य प्रभाव: ब्लू बेबी सिंड्रोम, कैंसर जोखिम, थायरॉयड समस्याएँ।
(B) यूरेनियम संदूषण
- पूर्व-मानसून: 6.71% नमूनों में सीमा पार
- पश्चात-मानसून: 7.91% नमूनों में सीमा पार
- सर्वाधिक प्रभावित: पंजाब, इसके बाद हरियाणा, दिल्ली
स्रोत: ज्यादातर भू-जनित (चट्टानों से रिसना), परंतु ओवर-एक्सट्रैक्शन से वृद्धि।
(C) लवणता (Salinity)
- 7.23% नमूने सीमा से अधिक
- सबसे प्रभावित:
- राजस्थान,
- दिल्ली,
- शुष्क/अर्ध-शुष्क क्षेत्र
कारण:
→ अधिक पंपिंग, कम रिचार्ज, समुद्री जल का अंतःक्षेपण (coastal areas)
(D) फ्लोराइड
- 8.05% नमूनों में BIS सीमा पार
- प्रमुख रूप से भू-जनित (geogenic)
- सबसे प्रभावित राज्य: राजस्थान
स्वास्थ्य प्रभाव:
→ दंत फ्लोरोसिस, अस्थि-फ्लोरोसिस
(E) सीसा (Lead)
- दिल्ली में सबसे अधिक स्तर
- स्वास्थ्य प्रभाव:
- संज्ञानात्मक विकास में बाधा
- रक्तचाप वृद्धि
- गुर्दे पर प्रभाव
- संभावित कैंसरकारक
(F) अन्य संदूषक
- आर्सेनिक
- गंगा–ब्रह्मपुत्र बेसिन: बिहार, पश्चिम बंगाल, असम
- मैंगनीज
- असम, कर्नाटक, ओडिशा, यूपी, बंगाल
- लौह, कैडमियम, क्रोमियम (कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में)
सिंचाई हेतु भूजल की गुणवत्ता
- 94.30% नमूने "उत्कृष्ट श्रेणी" के → कृषि उपयोग के लिए भूजल अधिकांशतः सुरक्षित।
भूजल गुणवत्ता में परिवर्तन की प्रवृत्ति (Trends)
- पूर्व–मानसून सीजन में गुणवत्ता अधिक खराब
- मानसून के बाद घुलनशील प्रदूषकों में हल्की कमी
- अधिक पंपिंग वाले राज्यों (पंजाब, हरियाणा) में संदूषण बढ़ रहा है
- शहरी क्षेत्रों में भारी धातुओं की सांद्रता ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक
केंद्रीय भूमिजल बोर्ड CGWB के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
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विषय
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विवरण
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मुख्यालय
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फरीदाबाद (हरियाणा)
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स्थापना
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1970 (अन्वेषणात्मक नलकूप संगठन का नाम बदलकर)
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मंत्रालय
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जल शक्ति मंत्रालय
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भूमिका
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भूजल का आकलन, अन्वेषण, मॉनिटरिंग, विनियमन
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अधिकार
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पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत CGWA के रूप में कार्य
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रिपोर्ट का महत्व
- पर्यावरण + स्वास्थ्य + कृषि: भूजल प्रदूषण स्वास्थ्य जोखिमों (नाइट्रेट, फ्लोराइड, आर्सेनिक), खाद्य-सुरक्षा और पीने के पानी की उपलब्धता को प्रभावित करता है।
- जलवायु परिवर्तन प्रभाव: सूखा/अल्प वर्षा वाले क्षेत्रों में रिचार्ज कम → संदूषक अधिक सघन।
- भूजल अति-निकर्षण: भारत के 14% ब्लॉक “ओवर-एक्सप्लॉइटेड”; इससे भू-जनित प्रदूषक ज्यादा घुलते हैं।
नीति संबंधी सुझाव
1. नाइट्रेट नियंत्रण
- फर्टिलाइज़र मैनेजमेंट
- जैविक खेती
- सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम
2. यूरेनियम/फ्लोराइड प्रबंधन
- डिफ्लोरिडेशन/डी-मेटलाइजेशन यूनिट
- रिचार्ज संरचनाओं का विस्तार
3. लवणता प्रबंधन
- कृत्रिम रिचार्ज
- खारे पानी—मीठे पानी के इंटरफ़ेस की मॉनिटरिंग
- समुद्री क्षेत्रों में बैरियर वेल्स
4. शहरी भूजल सुरक्षा
- सीसा व भारी धातु मॉनिटरिंग
- इंडस्ट्रियल अफ्लुएंट का उपचार
निष्कर्ष
- CGWB की भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2025 यह संकेत देती है कि भारत का अधिकांश भूजल सुरक्षित है, लेकिन नाइट्रेट, यूरेनियम, फ्लोराइड, आर्सेनिक और लवणता जैसे संदूषण स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर गंभीर चुनौती बने हुए हैं।
- भूजल की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक प्रबंधन, रिचार्ज संरचनाएँ, फसल-पद्धति सुधार, तथा प्रदूषण स्रोतों का नियंत्रण आवश्यक है।
- यह रिपोर्ट नीति निर्माण और सतत जल संसाधन प्रबंधन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रस्तुत करती है।