New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

वरिष्ठ अधिवक्ता पदनाम प्रणाली में परिवर्तन

(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय राजनीतिक व्यवस्था)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन व कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग)

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायलय ने 12 मई, 2025 के एक निर्णय में ‘वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम के लिए अंक-आधारित प्रणाली’ को समाप्त कर दिया है और नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। 

वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) के बारे में 

  • यह पदनाम भारतीय न्याय व्यवस्था में एक प्रतिष्ठित एवं सम्मानित स्थिति है। 
  • यह पद उन अधिवक्ताओं को दिया जाता है जो अपने क्षेत्र में अपार अनुभव, विशेषज्ञता एवं कानूनी कौशल के लिए प्रसिद्ध होते हैं।
  • यह पद सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में प्रदान किया जाता है जोकि एक प्रकार से प्रतिष्ठा सूचक होता है। 
  • वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के लिए कई मानदंड होते हैं, जैसे कि-
    • अनुभव : एक वरिष्ठ अधिवक्ता को कम-से-कम 10 से 15 वर्षों का अनुभव होना चाहिए।
    • कानूनी दक्षता : यह व्यक्ति अपने काम में उच्च स्तर की दक्षता एवं पेशेवरता प्रदर्शित करता है।
    • प्रतिष्ठा : यह व्यक्ति प्राय: अपने क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित व सम्मानित स्थिति में होता है।

वरिष्ठ अधिवक्ता पदनाम प्रणाली के बारे में 

  • सर्वोच्च न्यायलय द्वारा वर्ष 2017 में ‘वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम के लिए अंक-आधारित प्रणाली’ को अपनाया गया था।
  • इस प्रणाली के अनुसार पदनाम से संबंधित सभी मामलों का निपटान एक स्थायी समिति द्वारा किया जाता था, जिसे ‘वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम के लिए समिति’ के रूप में जाना जाता था।
    • स्थायी समिति का नेतृत्व सर्वोच्च न्यायलय के लिए मुख्य न्यायाधीश तथा उच्च न्यायालयों के लिए मुख्य न्यायाधीश करते थे। 
    • इसमें सर्वोच्च न्यायलय या उच्च न्यायालयों के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते थे, जैसा भी मामला हो।
    • सर्वोच्च न्यायलय के मामले में इस समिति में भारत के अटॉर्नी जनरल तथा उच्च न्यायालयों के लिए राज्य के एडवोकेट जनरल भी शामिल होते थे।
  • इस समिति को वकीलों के अभ्यास के वर्षों, रिपोर्ट किए गए निर्णयों, पत्रिकाओं में प्रकाशनों और साक्षात्कार के आधार पर अंक देकर उनका मूल्यांकन करना होता था।

सर्वोच्च न्यायलय के निर्णय के प्रमुख बिंदु 

अंक आधारित प्रणाली में कमी 

  • अपने फ़ैसले में सर्वोच्च न्यायलय ने ‘वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम के लिए अंक-आधारित प्रणाली’ को ‘कार्य करने योग्य नहीं’ बताया क्योंकि अंक-आधारित मूल्यांकन वांछित उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर पाया है। 
  • इसके अलावा अनुभव से पता चलता है कि अंक-आधारित मूल्यांकन दोषरहित नहीं है।

स्थायी सचिवालय

  • हालांकि, सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि वर्ष 2017 के फैसले के अनुसार स्थायी समिति के लिए स्थापित स्थायी सचिवालय जारी रहेगा। 

नई पदनाम प्रणाली 

  • नए दिशा-निर्देशों के तहत स्थायी सचिवालय द्वारा योग्य पाए गए सभी उम्मीदवारों के आवेदन, आवेदकों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के साथ, पूर्ण न्यायालय (Full Court) के समक्ष रखे जाएंगे।
  • पीठ ने कहा कि आम सहमति बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए और यदि ऐसा संभव नहीं है तो मतदान के लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय लिया जाना चाहिए। 
  • पीठ ने यह निर्णय संबंधित न्यायालयों पर छोड़ दिया कि किसी मामले में गुप्त मतदान आवश्यक है या नहीं।
  • अधिवक्ता विचार किए जाने के लिए आवेदन करना जारी रख सकते हैं क्योंकि इसे पद के लिए उनकी सहमति माना जा सकता है। 
  • पूर्ण न्यायालय (Full Court) आवेदन किए बिना भी पद प्रदान कर सकता है। 
  • व्यक्तिगत न्यायाधीश पद के लिए उम्मीदवार की सिफारिश नहीं कर सकते हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X