हाल ही में असम के चराइदेव मोइदम्स को आधिकारिक तौर पर यूनेस्को विश्व धरोहर सूची (Cultural Category) में शामिल किया गया है। यह निर्णय विश्व धरोहर समिति (WHC) के 46वें सत्र में लिया गया, जिसका आयोजन नई दिल्ली में हुआ। यह पूर्वोत्तर भारत का पहला सांस्कृतिक स्थल है जिसे विश्व धरोहर सूची में स्थान प्राप्त हुआ है। वर्तमान में भारत में विश्व धरोहर स्थलों की कुल संख्या 44 है।

चराइदेव मोइदम्स: क्या हैं ?
- मोइदम (Moidam) का अर्थ है – “आत्मा का घर”।
- यह ताई-अहोम राजवंश (13वीं–19वीं सदी) के शाही कब्रगाह हैं।
- इनकी तुलना अक्सर मिस्र के पिरामिडों से की जाती है, क्योंकि ये विशाल मिट्टी के टीले और जटिल दफन संरचनाएँ हैं।
स्थान
- पूर्वी असम, पटकाई पर्वतमाला की तलहटी, चराइदेव जिला।
स्थापत्य विशेषताएँ
मोइदम एक जटिल दफन संरचना है जिसमें निम्न भाग शामिल होते हैं:
- अर्धगोलाकार मिट्टी का टीला (Ga-Moidam)
- शीर्ष पर बना पवित्र मंदिर-जैसा भाग चाउ-चाली (Chaow-Chali)
- अष्टकोणीय दीवार (Gorh) – ताई ब्रह्मांड का प्रतीक
- ईंट-पत्थर का वॉल्ट (Vault)
- वॉल्ट के भीतर शाही कब्र गरवहा (Gorbhwa)
- टीले के पास
- बरगद के वृक्ष
- ताबूत हेतु छाल वाले वृक्ष
- जल-निकाय (Tanks/Ponds)
सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्त्व
पुनर्जन्म में विश्वास
- दफनाए गए राजाओं के साथ
- भोजन
- हथियार
- घोड़े/हाथी
- सेवक (कभी-कभी)
दफन किए जाते थे, जिन्हें मृत्यु के बाद की दुनिया में उपयोग हेतु आवश्यक माना जाता था।
शवाधान की विधि
- 17वीं सदी से पहले: जिलेटिन/हर्बल रसायनों से संरक्षित कर दफनाया जाता था।
- 17वीं सदी के बाद: अंतिम संस्कार के बाद राख को मोइदम में दफनाया जाने लगा।
यह परिवर्तन दर्शाता है कि ताई-अहोमों ने स्थानीय भारतीय परंपराओं को अपनाया।
सांस्कृतिक निरंतरता
- आज भी मी-डैम-मी-फी (पूर्वज पूजा) और तर्पण जैसे अनुष्ठान होते हैं—600 वर्षों से जारी परंपरा।
प्रशासन एवं सुरक्षा
- अहोम काल में मोइदम की सुरक्षा के लिए विशेष अधिकारी मोइदम फुकन नियुक्त।
- रक्षकों के समूह को मोइदमिया कहा जाता था।
चराइदेव मोइदम्स की खोज व ऐतिहासिक स्रोत
- पहली वैज्ञानिक रिपोर्ट 1848, सार्जेंट सी. क्लेटन, Journal of Asiatic Society of Bengal में।
- बुरंजी — अहोम राज्य का आधिकारिक इतिहास, मोइदम्स की प्रामाणिक जानकारी का प्रमुख स्रोत।
यूनेस्को विश्व धरोहर समिति (WHC)
स्थापना
- 1972, यूनेस्को के 17वें सत्र में
- "विश्व धरोहर कन्वेंशन" के तहत।
उद्देश्य – “5 Cs”
- Credibility (विश्वसनीयता)
- Conservation (संरक्षण)
- Capacity Building (क्षमता निर्माण)
- Communication (संचार)
- Communities (समुदाय सहभागिता)
भूमिकाएँ
- विश्व धरोहर सूची में शामिल करने हेतु अंतिम निर्णय।
- विश्व धरोहर कोष का उपयोग तय करना और वित्तीय सहायता देना।
- धरोहर स्थलों की संरक्षण स्थिति की समीक्षा।
सदस्यता
- कन्वेंशन के पक्षकार देशों में से 21 प्रतिनिधि चुने जाते हैं।
- इन्हें आम सभा द्वारा छह वर्षों के लिए चुना जाता है।
- भारत को 2021-2025 के लिए विश्व धरोहर समिति में सदस्य चुना गया है।
प्रमुख सहयोगी निकाय
- ICCROM – सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण
- ICOMOS – स्थापत्य/लैंडस्केप धरोहर संरक्षण (इसीने मोइदम्स की सिफारिश की)
WHC के 46वें सत्र में भारत की अन्य प्रमुख पहलें
1. भारत पहली बार WHC बैठक की मेजबानी
2. यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र को $1 मिलियन का अनुदान
- उद्देश्य: ग्लोबल साउथ में प्राकृतिक व सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण समर्थन।
3. भारत–अमेरिका सांस्कृतिक संपदा समझौता (CPA)
- अवैध तस्करी रोकने तथा पुरातात्विक वस्तुओं को मूल देश लौटाने के लिए।
- यह यूनेस्को कन्वेंशन 1970 के अनुरूप है।
अहोम साम्राज्य (1228–1826):-

स्थापना
- संस्थापक: सुकाफा, मोंग माओ का शान राजकुमार
- चीन के युन्नान क्षेत्र से आए
- 1228: पटकाई पर्वत पार करके असम में प्रवेश
प्रशासन
- राजतंत्र, राजा(स्वर्गदेव) कहा जाता है परंतु वास्तविक शक्तियाँ मंत्रिपरिषद ‘पात्र मंत्री’ के पास
- तीन अवधियों में उपयुक्त उत्तराधिकारी न मिलने पर राजा(स्वर्गदेव) नहीं रहा (14वीं सदी)
संस्कृति
- शैव व शक्ति परंपरा को अपनाया
- कामाख्या मंदिर का निर्माण/पुनर्निर्माण
- स्थानीय असमिया संस्कृति के साथ व्यापक समन्वय
अंत
- बर्मी आक्रमण से क्षय
- यांडाबू संधि (1826) के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का नियंत्रण
- अहोम शासन का अंत