बाल श्रम का अर्थ उस प्रकार के कार्य से है:
इसमें वे कार्य भी आते हैं जो बच्चों को शोषण की स्थिति में डालते हैं, जैसे:
1. निर्धनता (Poverty)
भारत में करोड़ों परिवार अत्यंत गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। माता-पिता को अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बच्चों को कार्य में लगाना पड़ता है। वे समझते हैं कि बच्चों की कमाई भी परिवार के लिए उपयोगी है।
2. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी
सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति, शिक्षकों की अनुपस्थिति, अधोमानक पाठ्यक्रम और कमजोर अधोसंरचना बच्चों के स्कूल छोड़ने के मुख्य कारण हैं।
3. अनौपचारिक / असंगठित अर्थव्यवस्था का प्रभुत्व
भारत में बड़ी संख्या में लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं, जहाँ कोई न्यूनतम वेतन, काम के घंटे या सुरक्षा की गारंटी नहीं होती। ऐसे क्षेत्र बाल श्रमिकों को सस्ते श्रमिक के रूप में नियोजित करते हैं।
4. जागरूकता की कमी
अभिभावक अक्सर यह नहीं जानते कि बाल श्रम बच्चों की दीर्घकालिक प्रगति के लिए कितना हानिकारक है। उन्हें यह भी जानकारी नहीं होती कि यह गैरकानूनी है।
5. प्रवासन (Migration)
प्रवासी परिवारों के बच्चों के पास स्कूल या सुरक्षा का कोई स्थिर आधार नहीं होता, जिससे वे श्रमिक बनने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
6. भेदभाव एवं सामाजिक परंपराएँ
दलित, जनजातीय और वंचित वर्गों के बच्चे अक्सर शिक्षा और सुरक्षा से वंचित रह जाते हैं। कुछ समुदायों में बच्चों से कार्य कराना पारिवारिक या सामाजिक परंपरा माना जाता है।
1. स्वास्थ्य हानि
बाल श्रमिक अक्सर खतरनाक और विषैले वातावरण में काम करते हैं — जैसे खदानें, रसायन कारखाने या ईंट भट्टे। इससे उन्हें शारीरिक चोटें, फेफड़ों की बीमारी, त्वचा रोग, थकान, कुपोषण आदि का सामना करना पड़ता है।
2. शिक्षा से वंचित होना
काम करने वाले बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, जिससे वे बुनियादी साक्षरता और कौशल से वंचित रह जाते हैं। यह उन्हें भविष्य में बेहतर रोजगार और जीवन से वंचित करता है।
3. मानसिक और भावनात्मक हानि
लगातार कार्य, मारपीट, गालियाँ और अपमानजनक व्यवहार से बच्चे मानसिक रूप से कुंठित हो जाते हैं। उन्हें बचपन का सामान्य विकास नहीं मिल पाता।
1. मानवाधिकारों का उल्लंघन
बाल श्रम उनके मौलिक अधिकारों जैसे शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य, विकास और गरिमा के अधिकार का हनन करता है।
2. गरीबी का चक्र
बाल श्रमिक बिना शिक्षा के बड़े होते हैं और भविष्य में कम वेतन वाली नौकरियों में फँस जाते हैं, जिससे अगली पीढ़ी भी निर्धनता का शिकार बनती है।
3. सामाजिक विषमता और विखंडन
बच्चों की क्षमता का समुचित विकास न हो पाने से समाज में कुशल मानव संसाधन की कमी होती है, जिससे असमानता और विखंडन बढ़ता है।
1. मानव पूंजी का नुकसान
जब बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, तो देश की कुशल कार्यबल की संभावना खत्म हो जाती है।
2. आर्थिक हानि
बाल श्रम एक तात्कालिक लाभ तो देता है, परंतु दीर्घकालिक दृष्टि से देश की अर्थव्यवस्था को पीछे धकेलता है।
3. सामाजिक कल्याण पर भार
बाल श्रम से उत्पन्न बीमारियाँ, अपराध और मानसिक समस्याएँ देश के स्वास्थ्य और न्यायिक प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं।
1. शिक्षा की सार्वभौमिकता
2. सामाजिक सुरक्षा का विस्तार
3. कठोर कानून और प्रवर्तन
4. जनजागरूकता और समाज की भागीदारी
5. CSR और कॉरपोरेट भागीदारी
निष्कर्ष
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