प्रारंभिक परीक्षा
(समसामयिक घटनाक्रम)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय)
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संदर्भ
हाल ही में, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने नई दिल्ली में ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ राष्ट्रीय अभियान का शुभारंभ किया।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के बारे में
- क्या है : यह अभियान 25 नवंबर, 2024 (अंतरराष्ट्रीय महिला विरोधी हिंसा उन्मूलन दिवस) से 10 दिसंबर, 2024 (मानवाधिकार दिवस) तक चलने वाला वैश्विक आंदोलन लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ 16 दिवसीय कार्यक्रम के रूप में शुरू हुआ है।
- मंत्रालय : यह पहल महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और अन्य विभिन्न मंत्रालयों के बीच एक संयुक्त प्रयास है।
- उद्देश्य : इस अभियान का उद्देश्य देश भर में बाल विवाह की कुप्रथा को समाप्त करना और युवा बालिकाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाना है।
- 2047 तक विकसित भारत : यह अभियान भारत के ‘2047 तक विकसित भारत’ के विजन के अनुरूप है, जिसमें जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं व बालिकाओं की पूर्ण, समान व सार्थक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
प्रमुख विशेषताएँ
- 7 राज्यों पर केंद्रित : यह अभियान बाल विवाह के उच्च प्रसार वाले सात राज्यों ‘पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, राजस्थान, त्रिपुरा, असम व आंध्र प्रदेश’ और लगभग 300 उच्च-भार वाले जिलों पर ध्यान केंद्रित करेगा जहाँ बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक हैं।
- कार्य योजना : यह अभियान प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से वर्ष 2029 तक बाल विवाह दरों को 5% से कम करने के उद्देश्य से एक कार्य योजना तैयार करने का आह्वान करता है।
- बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल : इस अभियान की एक प्रमुख विशेषता ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ पोर्टल का शुभारंभ है।
- यह पोर्टल एक अभिनव ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो नागरिकों को बाल विवाह की घटनाओं की रिपोर्ट करने, शिकायत दर्ज करने और देश भर में बाल विवाह निषेध अधिकारियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
- यह पोर्टल नागरिकों को सशक्त बनाने और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत में बाल विवाह की स्थिति
- पिछले एक वर्ष में लगभग दो लाख बाल विवाह रोके गए हैं, जबकि भारत में 5 में से 1 बालिका का विवाह कानूनी आयु 18 वर्ष तक पहुंचने से पहले ही कर दी जाती है।
- वर्ष 2006 में बाल विवाह रोकथाम अधिनियम की शुरुआत के बाद से भारत में बाल विवाह 2019-21 में 47.4% से घटकर 23.3% हो गया है।
- बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं और 21 वर्ष से कम आयु के लड़कों के विवाह पर सख्त प्रतिबंध है। इसका उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है।
- भारत में जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार हुआ है जो 2014-15 में 918 से बढ़कर 2023-24 में 930 हो गया है।
आगे की राह
- बाल विवाह जैसी गंभीर सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है :
- लड़कियों की शिक्षा में निरंतरता सुनिश्चित करना
- कौशल विकास और श्रम बल में समावेशन
- महिलाओं के लिए पोषण संबंधी परिणाम सुनिश्चित करना
- महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य और समग्र स्वास्थ्य की देखभाल
- महिलाओं की सुरक्षा व संरक्षा (तस्करी रोधी)
- सामाजिक सुरक्षा, खेल व नेतृत्व में भागीदारी, इत्यादि।
- यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हर लड़की शिक्षित, सुरक्षित व अपने सपनों को पूरा करने के लिए स्वतंत्र हो।
- ‘2047 तक विकसित भारत' की परिकल्पना में हर लड़की को सशक्त बनाने और बाल विवाह को रोकने के लिए एकजुट होने का लक्ष्य रखा गया है।
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार, अधिकारियों, सामाजिक संगठनों व नागरिकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।