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स्वास्थ्य प्रशासन में नागरिक भागीदारी

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण व उसकी चुनौतियाँ)

संदर्भ

भारत का स्वास्थ्य प्रशासन प्राय: सीमित जन भागीदारी के साथ टॉप-टू-बॉटम दृष्टिकोण के साथ तकनीकी रूप से संचालित होता है। कोविड-19 के बाद यह मान्यता फिर से उभरी है कि लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए सामुदायिक सहभागिता अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

नागरिक सहभागिता का महत्त्व 

  • जवाबदेही में सुधार : नागरिक सेवाओं की निगरानी, कमियों को चिन्हित करना और बेहतर सुविधाओं की मांग।
  • समावेशिता में वृद्धि : हाशिए पर पड़े समूहों को योजना और कार्यान्वयन में आवाज़ उठाने का मौका मिलता है।
  • विश्वास निर्माण : अधिक पारदर्शिता स्वास्थ्य कार्यक्रमों में जन सहयोग को बढ़ावा देती है।
  • साक्ष्य-आधारित योजना : स्थानीय इनपुट नीतियों को ज़मीनी हकीकत के अनुसार ढालने में मदद करते हैं।

वर्तमान चुनौतियाँ

  • कमज़ोर संस्थागत तंत्र : ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण समितियाँ प्राय: केवल कागज़ों पर ही मौजूद होती हैं।
  • नाममात्र भागीदारी : बैठकें अनियमित होती हैं, और उनमें उपस्थिति कम होती है।
  • केंद्रीकृत निर्णय : राज्यों और ज़िलों के पास स्वास्थ्य व्यय प्राथमिकताओं में सीमित स्वायत्तता है।
  • कम जागरूकता : नागरिकों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रमों के तहत मिलने वाली पात्रताओं के बारे में जानकारी का अभाव है।

सर्वोत्तम मॉडल

  • केरल का जन योजना अभियान : स्थानीय निकाय सक्रिय रूप से स्वास्थ्य पहलों की योजना बनाने के साथ ही उनकी निगरानी करते हैं।
  • महाराष्ट्र में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत समुदाय-आधारित निगरानी : स्कोरकार्ड एवं जन सुनवाई के माध्यम से बेहतर सेवा वितरण।
  • ब्राज़ील की स्वास्थ्य परिषदें : निर्णय लेने में संस्थागत जन प्रतिनिधित्व।

आगे की राह

  • वैधानिक निकायों को मज़बूत बनाना : स्पष्ट अधिदेश, प्रशिक्षण एवं बजटीय शक्तियों के साथ वी.एच.एस.एन.सी. को सक्रिय करना
  • डिजिटल भागीदारी उपकरण : नागरिक प्रतिक्रिया के लिए मोबाइल ऐप एवं ऑनलाइन डैशबोर्ड का उपयोग
  • सामाजिक लेखा परीक्षण एवं जन सुनवाई : सार्वजनिक मंचों पर स्वास्थ्य सेवाओं की नियमित समीक्षा
  • क्षमता निर्माण : सामुदायिक प्रतिनिधियों को स्वास्थ्य साक्षरता और अधिकारों के बारे में प्रशिक्षित करना
  • विकेंद्रीकृत योजना : स्वास्थ्य बजट में पंचायतों और नगर पालिकाओं को अधिक भूमिका प्रदान करना
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