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जलवायु परिवर्तन और कार्रवाई 

प्रारंभिक परीक्षा – जलवायु परिवर्तन, ग्रीनहाउस गैस
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 – जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन, पर्यावरण संरक्षण

जलवायु परिवर्तन:

  • इसका तात्पर्य तापमान और मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव से है।
  • इसके दो प्रमुख कारक हो सकते हैं 
    • प्राकृतिक कारक: सूर्य की गतिविधि में बदलाव या बड़े ज्वालामुखी विस्फोट; आदि
    • मानव जनित कारक: 1800 के दशक से, मानव गतिविधियाँ मुख्य कारक रही हैं
    • इसमें मुख्य रूप से कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के दहन का योगदान है।
    • जीवाश्म ईंधन जलाने से ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं।

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ग्रीनहाउस गैस:

  • ये  पृथ्वी के चारों ओर लिपटे कंबल की तरह काम करती हैं।
  • ये सूर्य की गर्मी को रोककर तापमान में वृद्धि करती हैं।
  • ऊर्जा, उद्योग, परिवहन आदि  ग्रीनहाउस गैसों का मुख्य कारक क्षेत्र हैं।
  • कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जलवायु परिवर्तन का कारण बनने वाली मुख्य ग्रीनहाउस गैसें हैं।

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ग्लोबल वार्मिंग में मानवीय गतिविधियों का योगदान:

  • जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले 200 वर्षों में बढ़े तापमान के लिए मानव जिम्मेदार है।
  • पिछले दो हज़ार वर्षों में किसी भी समय की तुलना में पृथ्वी तेज़ी से गर्म हुई है।
  • पृथ्वी की सतह का औसत तापमान अब 1800 के दशक के अंत (औद्योगिक क्रांति से पहले) की तुलना में लगभग 1.1°C अधिक गर्म हुआ है।
    • विगत दशक (2011-2020) अब तक का सबसे अधिक गर्म दशक था।

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तापमान बढ़ने से आशय:

  • सामान्य अर्थ में जलवायु परिवर्तन का मुख्य अर्थ तापमान वृद्धि का परिणाम है।
  • गहन दृष्टि से तापमान वृद्धि एक प्रक्रिया की शुरुआत है।
    • पृथ्वी एक प्रणाली है, जहाँ सब कुछ जुड़ा हुआ है।
    • पृथ्वी के एक क्षेत्र में हुआ परिवर्तन, पृथ्वी पर और भी बहुत से  परिवर्तनों को प्रेरित करता है।
  • पृथ्वी का तापमान बढ़ने से अनेक घटनाएं प्रेरित होती हैं; जैसे-
    •  सूखा, पानी की कमी, भीषण आग, समुद्र स्तर में वृद्धि, बाढ़, ध्रुवीय बर्फ का पिघलना, विनाशकारी तूफान, जैव विविधता का ह्रास; आदि
  • वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखकर रहने योग्य जलवायु बनाए रखना संभव है।
  • वर्तमान में लागू नीतियों से सदी के अंत तक तापमान में 3°C वृद्धि की संभावना है।

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जलवायु परिवर्तन के प्रभाव:

  • जलवायु परिवर्तन हमारे स्वास्थ्य , भोजन उगाने की क्षमता, आवास, सुरक्षा और कार्य को प्रभावित कर सकता है।
  • छोटे द्वीपीय देशों और अन्य विकासशील देशों में रहने वाले लोग जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। 
  • समुद्र के स्तर में वृद्धि और खारे पानी की घुसपैठ से अनेक समुदायों को विस्थापित होना पड़ा है।
  • भविष्य में मौसम संबंधी घटनाओं से विस्थापित लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

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जलवायु परिवर्तन में विश्व के देशों का योगदान:

  • इसमें विश्व के लगभग सभी देशों का योगदान है, जिसमें कुछ देश दूसरों की तुलना में बहुत अधिक उत्सर्जन करते हैं।
    • अकेले सात सबसे बड़े उत्सर्जक देशों (चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, यूरोपीय संघ, इंडोनेशिया,  रूस, और ब्राज़ील) का वर्ष 2020 में सभी वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग आधा हिस्सा था।

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जलवायु परिवर्तन को रोकने के प्रयास:

  • इसका समाधान हमारे जीवन में सुधार और पर्यावरण की रक्षा करते हुए आर्थिक लाभ पहुंचा सकता है।
  • इसके लिए अनेक वैश्विक ढांचे और समझौते हुए हैं; जैसे-
    •  सतत विकास लक्ष्य
    •  जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन
    •  पेरिस समझौता; आदि। 
  • जलवायु कार्रवाई को रोकने की तीन मुख्य रणनीतियां हैं -
    • उत्सर्जन में कटौती
    • जलवायु प्रभावों के प्रति अनुकूलन
    • आवश्यक समायोजन के लिए वित्तपोषण
  • ऊर्जा प्रणालियों को जीवाश्म ईंधन से सौर उर्जा या पवन उर्जा जैसी  नवीकरणीय ऊर्जा में बदलने के प्रयास करने चाहिए।
  • बड़ी संख्या में देश वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लिए प्रतिबद्ध हैं, इसकी प्राप्ति के लिए कार्रवाई करनी होगी।  
  • तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को वर्ष 2030 तक आधा करना होगा।
    • कोयला, तेल और गैस के उपयोग में कमी लानी होगी
  • जलवायु परिणामों के अनुरूप ढलने के विकल्प भी तलाशने होंगे। 
  • आपदाओं के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ विकसित करनी होगी।
    • ये जीवन और संपत्ति को बचाती हैं, और प्रारंभिक लागत से 10 गुना तक लाभ पहुंचा सकती हैं।
  • सभी को जलवायु कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन अधिक समस्या पैदा करने वाले लोगों और देशों को कार्रवाई करने की अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी।

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जलवायु कार्रवाई के लिए वित्तीय निवेश की आवश्यकता:

  • जलवायु कार्रवाई के लिए वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है।
    • इसके प्रति निष्क्रियता बहुत अधिक महंगी साबित हो सकती है।
  • औद्योगिक देशों द्वारा विकासशील देशों को प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करना होगा।
    • इससे विकासशील देश अनुकूलन करने और हरित अर्थव्यवस्थाओं की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी।
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