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बादल फटना

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, अमरनाथ गुफा के निकट अचानक अत्यधिक मात्रा में वर्षा के कारण फ्लश फ्लड जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। इसे बादल फटने की घटना (Cloudbursts) से जोड़ा जा रहा है किंतु मौसम वैज्ञानिकों का मत इससे भिन्न है। 

क्या है ‘बादल फटना’

  • बादल फटने से आशय अल्पावधि में अत्यधिक मात्रा में बारिश होने से है, जिसमें कभी-कभी ओले व तेज गरज के साथ मूसलाधार बारिश भी होती है। 
  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जब लगभग 20 से 30 वर्ग किमी. के क्षेत्र में प्रति घंटे 100 मिमी. (10 सेमी) से अधिक वर्ष हो, तो इसे बादल फटने की श्रेणी में रखा जाता है। वर्षा की अत्यधिक मात्रा के परिणामस्वरूप बाढ़ आने की संभावना उत्पन्न हो जाती है। 

 भौगोलिक परिस्थिति 

  • बादल फटने की घटना मुख्य रूप से भू-भाग और ऊँचाई के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक घटित होती है। 
  • जब नमी युक्त हवाएँ पहाड़ी क्षेत्रों से ऊपर उठकर ‘कपासी वर्षा मेघों’ का ऊर्ध्वाधर निर्माण करती हैं, तो प्राय: बादल फटने की घटना होती है।

अन्य बिंदु 

  • विशेषज्ञों के अनुसार बादल फटने का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है तथा भारत में बादल फटने की सटीक संख्या पर निश्चित आँकड़े भी उपलब्ध नहीं हैं। इस परिघटना के बहुत छोटे क्षेत्र से संबंधित होने के कारण इसकी सटीक पहचान करना आसान नहीं होता। 
  • वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई विनाशकारी बाढ़ पर हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में बादल फटने के मौसमी कारकों की जाँच में पाया गया कि घटना के दौरान कम तापमान और धीमी हवाओं के साथ सापेक्षिक आर्द्रता एवं बादलों का आवरण अधिकतम था। 
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