- लोकसभा में हाल ही में कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (AMRUT/AMRUT 2.0) पर संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
- यह रिपोर्ट भारत में शहरी अवसंरचना, विशेषकर जलापूर्ति, सीवरेज और अपशिष्ट जल प्रबंधन की जमीनी वास्तविकताओं को उजागर करती है।
- समिति ने न केवल क्रियान्वयन की गंभीर चुनौतियों को रेखांकित किया है, बल्कि मिशन को स्थायी, वित्तीय रूप से सक्षम और संस्थागत रूप से मजबूत बनाने हेतु महत्वपूर्ण सिफारिशें भी दी हैं।

अमृत मिशन:

- क्रियान्वयन मंत्रालय: केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय
- योजना का प्रकार: केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme)
- आरंभ: 2015 (AMRUT), 2021 से AMRUT 2.0
- उद्देश्य:
- शहरी क्षेत्रों में जलापूर्ति
- सीवरेज एवं सेप्टेज प्रबंधन
- वर्षा जल निकासी
- हरित क्षेत्र एवं पार्क
- गैर-मोटर चालित परिवहन (NMT) हेतु आधारभूत अवसंरचना
वित्त-पोषण एवं वित्तीय क्षमता:
प्रमुख चुनौतियाँ
- शहरी अवसंरचना के लिए अपर्याप्त वित्तपोषण, विशेषकर पिछड़े एवं कम सेवा-प्राप्त शहरों में।
- अवसंरचनाओं के संचालन एवं रखरखाव (O&M) हेतु स्थायी वित्तीय स्रोतों का अभाव।
- नगर निकायों की राजस्व सृजन क्षमता कमजोर, जिससे परिसंपत्तियाँ शीघ्र जर्जर हो रही हैं।
समिति की सिफारिशें
- केंद्रीय एवं बहुपक्षीय वित्तीय सहायता (World Bank, ADB आदि) में वृद्धि।
- नगरपालिका बांड (Municipal Bonds) और PPP मॉडल को आक्रामक रूप से बढ़ावा।
- AMRUT परिसंपत्तियों के लिए Dedicated O&M Fund की व्यवस्था।
कार्यान्वयन एवं संस्थागत ढांचा: स्थानीय शासन की उपेक्षा
प्रमुख चुनौतियाँ
- क्रियान्वयन की धीमी गति:
- AMRUT 2.0 के अंतर्गत ~₹1.90 लाख करोड़ की परियोजनाएँ स्वीकृत
- परंतु केवल ~₹48,050 करोड़ की परियोजनाएँ पूर्ण
- शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) की सीमित भूमिका;
- अर्ध-सरकारी एजेंसियों (SPVs, State Parastatals) का वर्चस्व
- एकीकृत जल प्रबंधन एवं दीर्घकालिक योजना का अभाव।
समिति की सिफारिशें
- ULBs की संस्थागत एवं तकनीकी क्षमता के लिए राष्ट्रीय रोडमैप।
- सभी ULBs द्वारा City Water Action Plans (CWAPs) का 100% प्रस्तुतीकरण।
- 25–30 वर्षों की शहरी पेयजल मांग का राष्ट्रीय स्तर पर आकलन व पूर्वानुमान।
- विभिन्न केंद्रीय योजनाओं (AMRUT, SBM-U, Jal Jeevan Mission-Urban, Smart Cities) के बीच Convergence को सख्ती से लागू करना।
तकनीकी, परिचालन एवं निगरानी संबंधी मुद्दे
प्रमुख चुनौतियाँ
- डेटा की विश्वसनीयता कमजोर:
- जलापूर्ति कवरेज
- नॉन-रेवेन्यू वाटर (NRW)
- वाटर मीटरिंग
- अपशिष्ट जल पुनःउपयोग
- सीवेज उपचार की गंभीर कमी:
- कुल शहरी सीवेज उत्पादन: ~48,004 MLD
- स्थापित उपचार क्षमता: ~30,001 MLD (2021)
- अपशिष्ट जल का बड़ा हिस्सा बिना उपचार नदियों में प्रवाहित।
समिति की सिफारिशें
- राष्ट्रीय शहरी अपशिष्ट जल पुनःउपयोग नीति का निर्माण।
- सीवेज उपचार क्षमता में त्वरित वृद्धि एवं Reuse-Recycle मॉडल को बढ़ावा।
- नॉन-रेवेन्यू वाटर में कमी हेतु
- प्रोत्साहन आधारित तंत्र
- स्मार्ट मीटरिंग की तेज़ स्थापना।
आगे की राह
संसदीय समिति की रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि AMRUT एक आवश्यक किंतु अपूर्ण सुधार प्रयास है। इसकी सफलता के लिए केवल धन नहीं, बल्कि—
- सशक्त शहरी स्थानीय निकाय
- विश्वसनीय डेटा आधारित योजना
- दीर्घकालिक जल दृष्टि (Urban Water Vision)
- वित्तीय आत्मनिर्भरता
- और संस्थागत समन्वय
अत्यंत आवश्यक हैं।
यदि AMRUT को जलवायु-संवेदनशील, वित्तीय रूप से टिकाऊ और नागरिक-केंद्रित बनाया जाता है, तो यह भारत के शहरी भविष्य की आधारशिला सिद्ध हो सकता है।