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कोयला खनिक दिवस 2025

चर्चा में क्यों?

कोयला खनिक दिवस भारत में हर वर्ष 4 मई को मनाया जाता है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत में, इस दिन को राष्ट्रीय कोयला खनिक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • कोयला ऊर्जा के एक मौलिक रूप के रूप में कार्य करता है।
  • इसे कार्बन सामग्री से भरपूर प्रमुख जीवाश्म ईंधनों में से एक माना जाता है। 
  • खनिकों को अक्सर कोयले की धूल और उनके पेशे से जुड़े प्रदूषण के कारण फेफड़ों की बीमारियों और श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है। 
  • कोयला खनन पृथ्वी की सतह या भूमिगत से कोयला निकालने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। 

कोयला खनिक दिवस का इतिहास:

  • कोयला खनन उद्योग की शुरुआत 1575 में हुई थी।
  • स्कॉटलैंड के कार्नॉक के जॉर्ज ब्रूस ने पहली कोयला खदान की स्थापना की थी। 
  • तब से, इस उद्योग ने दुनिया भर में तेजी से विकास देखा है।
  • भारत में कोयला खनन क्षेत्र की शुरुआत 1774 में हुई।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी ने दामोदर नदी के किनारे स्थित रानीगंज कोयला क्षेत्र का दोहन शुरू किया।
  • यह नदी झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर आसनसोल और दुर्गापुर शहरों के पास बहती है। 
  • रानीगंज में कोयला खदानें भारत की औद्योगिक क्रांति का केंद्र बन गईं।
  • इस उद्योग ने देश की आर्थिक वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

प्रश्न: भारत में कोयला खनिक दिवस कब मनाया जाता है?

(a) 1 मई

(b) 4 मई

(c) 5 जून

(d) 14 अप्रैल

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