चर्चा में क्यों?
कोयला खनिक दिवस भारत में हर वर्ष 4 मई को मनाया जाता है।

प्रमुख बिंदु:
- भारत में, इस दिन को राष्ट्रीय कोयला खनिक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- कोयला ऊर्जा के एक मौलिक रूप के रूप में कार्य करता है।
- इसे कार्बन सामग्री से भरपूर प्रमुख जीवाश्म ईंधनों में से एक माना जाता है।
- खनिकों को अक्सर कोयले की धूल और उनके पेशे से जुड़े प्रदूषण के कारण फेफड़ों की बीमारियों और श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
- कोयला खनन पृथ्वी की सतह या भूमिगत से कोयला निकालने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
कोयला खनिक दिवस का इतिहास:
- कोयला खनन उद्योग की शुरुआत 1575 में हुई थी।
- स्कॉटलैंड के कार्नॉक के जॉर्ज ब्रूस ने पहली कोयला खदान की स्थापना की थी।
- तब से, इस उद्योग ने दुनिया भर में तेजी से विकास देखा है।
- भारत में कोयला खनन क्षेत्र की शुरुआत 1774 में हुई।
- ईस्ट इंडिया कंपनी ने दामोदर नदी के किनारे स्थित रानीगंज कोयला क्षेत्र का दोहन शुरू किया।
- यह नदी झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर आसनसोल और दुर्गापुर शहरों के पास बहती है।
- रानीगंज में कोयला खदानें भारत की औद्योगिक क्रांति का केंद्र बन गईं।
- इस उद्योग ने देश की आर्थिक वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न: भारत में कोयला खनिक दिवस कब मनाया जाता है?
(a) 1 मई
(b) 4 मई
(c) 5 जून
(d) 14 अप्रैल
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