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श्रीलंका में किसानों और हाथियों के बीच संघर्ष

संदर्भ

श्रीलंका के हंबनटोटा और आस-पास के ज़िलों में किसान संगठन सरकार से क्षेत्र में वन्यजीव प्रबंधन रिज़र्व से संबंधित नीतियों को जल्द लागू करने की माँग कर रहे हैं। उनको आशा है कि इससे जंगली हाथियों द्वारा उनके खेतों और घरों को नष्ट करने से रोका जा सकेगा।

किसानों का आरोप और कारण

  • किसानों ने सरकार पर ‘विचारहीन और बड़े पैमाने पर विकास’ का आरोप लगाया है, जो हाथियों के प्राकृतिक आवास को नष्ट कर देता है। वन्य क्षेत्रों के नष्ट होने से जंगली हाथी कृषि भूखंडों में आ जाते हैं, जो फसलों को नष्ट करने के साथ-साथ लोगों की मौत का भी कारण बनते हैं।
  • इस क्षेत्र में वर्ष 2007 में प्रारंभ हुए हंबनटोटा बंदरगाह, मटाला हवाई अड्डा और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम जैसी बड़ी विकास परियोजनाओं के कारण इस समस्या का जन्म हुआ।
  • वर्ष 2007 में महिंदा राजपक्षे के सत्ता में आने के बाद उन्होंने दक्षिण एक्सप्रेसवे का विस्तार किया और अपने गृह ज़िले में निवेश और रोज़गार लाने के लिये एक निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र का वादा किया था।

हानि

  • अधिकतर किसान इस समस्या को ‘मानव-हाथी संघर्ष’ का परिणाम नहीं बल्कि ‘विकास और किसान व हाथियों’ के बीच संघर्ष का परिणाम मानते हैं।
  • वर्ष 2019 में श्रीलंका में आधिकारिक रूप से 407 हाथियों की मौत दर्ज़ हुई, जो विश्व में सर्वाधिक है। इस प्रकार मनुष्य और हाथियों के बीच संघर्ष से हाथी, मनुष्य और फसलों को क्षति पहुँची है।
  • साथ ही वाणिज्यिक प्रसार और निर्यात उन्मुख कृषि आदि के कारण भूमि और जल स्रोतों का दोहन हुआ है। साथ ही चीन समर्थित परियोजनाओं के कारण भूमि की कमी हो रही है और युवा भी बेरोज़गार हैं।
  • फसलों के नष्ट होने से निर्यात पर नकारात्मक असर।

उपाय

  • वन्यजीव प्रबंधन रिज़र्व को जल्द से जल्द लागू किया जाना, जिससे अनधिकृत क्षेत्रों में विकास योजनाओं पर रोक लगाई जा सके।
  • एक समर्पित हाथी गलियारे का निर्माण किया जाना चाहिये।
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