New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

जेल में बंद सांसदों के संवैधानिक अधिकार

(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र एवं शासन-संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : संसद एवं राज्य विधायिका, संरचना, कार्य-संचालन, शक्तियाँ व विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय)

संदर्भ 

  • 18वीं लोकसभा के आमचुनाव के परिणामों में इस बार (वर्ष 2024) जेल में बंद दो कैदी निर्वाचित हुए हैं। 
  • इसमें पंजाब के खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह और जम्मू एवं कश्मीर के बारामुल्ला से इंजीनियर राशिद शामिल हैं। दोनों ही निर्दलीय निर्वाचित हुए हैं।

संबंधित बिंदु 

  • अमृतपाल सिंह हिंसक खालिस्तानी आंदोलन एवं अन्य हिंसक गतिविधियों और   इंजीनियर राशिद आतंकी वित्तपोषण के मामले में जेल में बंद हैं। इस दोनों के गंभीर आरोपों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी कर रही है।
  • यद्यपि कानून उन्हें भारत में आम चुनाव की कार्यवाही में भाग लेने से रोकता है किंतु दोनों के निर्वाचित होने का अर्थ है कि अब जेल में रहने के बावजूद इनके पास सांसद के रूप में संवैधानिक जनादेश है।

जेल में बंद सांसद के संवैधानिक अधिकार

  • जेल में रहने के बावजूद भी निर्वाचित होने वाले प्रतिनिधियों को संसद सदस्य के रूप में कार्य करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त होता है।

शपथ ग्रहण 

  • सांसद के रूप में शपथ ग्रहण इनकी भूमिका का पहला कदम है। निर्वाचित सदस्यों को सत्यनिष्ठा, भारतीय संविधान और भारत की एकता व अखंडता की शपथ लेनी होती है। 
  • हालाँकि, संविधान में इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है किंतु अतीत में ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें जेल में बंद सांसदों को शपथ ग्रहण के लिए अस्थायी पैरोल दी गई है।
  • शपथ ग्रहण की अनुमति मिलना जमानत पर रिहा होने जैसा नहीं है। यह एक दिन के लिए विशेष पैरोल के समान है।

सदन की कार्यवाही में भागीदारी 

  • संसद सत्र में भाग लेने के लिए सांसद को पहले न्यायालय से अनुमति लेनी होती है।
  • जेल में बंद सांसद को सदन के स्पीकर को यह लिखकर देना होगा कि वह कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकता है। 
    • यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 101(4) के अनुसार यदि कोई संसद सदस्य बिना अनुमति के 60 दिनों से अधिक समय तक सभी बैठकों से अनुपस्थित रहता है तो उसकी सीट रिक्त घोषित कर दी जाएगी।
  • इसके बाद अध्यक्ष उनके अनुरोधों को ‘सदस्यों की अनुपस्थिति पर सदन की समिति’ को भेज देंगे। 
  • इसके बाद समिति इस बारे में सिफारिश करेगी कि सदस्य को सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। इसके बाद अध्यक्ष सदन में समिति की सिफारिश को मतदान के लिए रखेंगे।

वोट देने का अधिकार  

  • संसद में वोट देने के लिए संसद सदस्य को अदालत से पूर्व अनुमति लेनी आवश्यक होती है।

अयोग्यता की स्थिति 

  • केवल दोषसिद्धि और दो या अधिक वर्षों की सजा के आधार पर ही संसद से अयोग्यता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
    • वर्ष 2013 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, 2 या अधिक वर्षों की सजा के आरोप सिद्ध होने पर सांसदों एवं विधायकों को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। 
    • इस निर्णय ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को निरस्त कर दिया, जो पहले दोषी ठहराए गए सांसदों और विधायकों को अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील करने के लिए तीन महीने की अवधि प्रदान करता था।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR