हाल में जारी प्राइम डाटाबेस की रिपोर्ट के अनुसार सूचीबद्ध कंपनियों का कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) व्यय पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 16% बढ़कर 17,967 करोड़ रुपये हुआ।
HDFC बैंक 945.31 करोड़ रुपये के सी.एस.आर. व्यय के साथ सूची में शीर्ष पर रहा, इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज 900 करोड़ रुपये, टीसीएस 827 करोड़ रुपये तथा ओएनजीसी 634.57 करोड़ का स्थान रहा।
कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के बारे में
परिचय :यह किसी कंपनी द्वारा अपने व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति करते हुए समाज के वंचित वर्गों, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों के प्रति अपने उत्तरदायित्व के निर्वहन पर केंद्रित अवधारणा है।
भारत में सी.एस.आर. का कानूनी ढाँचा : भारत सी.एस.आर. को कानून द्वारा अनिवार्य करने वाला पहला देश बना।
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के अंतर्गत सी.एस.आर. को कानूनी स्वरूप प्रदान किया गया।
सी.एस.आर. के मानदंड: ये मानदंड कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 और Schedule VII के अंतर्गत निर्धारित किए गए हैं। यदि किसी कंपनी के पिछले वित्तीय वर्ष में निम्नलिखित में से कोई एक स्थिति हो, तो उस पर सी.एस.आर. नियम लागू होते हैं:
नेट वर्थ:₹500 करोड़ या उससे अधिक
टर्नओवर (वार्षिक आय): ₹1000 करोड़ या उससे अधिक
शुद्ध लाभ (Net Profit): ₹5 करोड़ या उससे अधिक
कंपनियों द्वारा खर्च :ऐसी कंपनियों को अपने पिछले तीन वर्षों के औसत शुद्ध लाभ का कम से कम 2% सामाजिक कल्याण पर व्यय करना होता है।
इसके अलावा एक सी.एस.आर. समिति का गठन अनिवार्य है, जो नीति निर्माण और निगरानी करती है।
सी.एस.आर. गतिविधियों के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र (Schedule VII के अनुसार) : सी.एस.आर. व्यय केवल उन्हीं क्षेत्रों में मान्य होगा जो Schedule VII में सूचीबद्ध हैं।
गरीबी, भूख और कुपोषण की समाप्ति
शिक्षा, विशेषकर बालिका और दिव्यांगों की
स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, कोविड-19 से संबंधित राहत कार्य
महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता
पर्यावरणीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन से लड़ाई
कला, संस्कृति, विरासत का संरक्षण
सशस्त्र बलों के कल्याण हेतु फंड में योगदान
PM CARES Fund या अन्य सरकारी राहत कोष
उल्लंघन परजुर्माने का प्रावधान : यदि कोई कंपनी सी.एस.आर. राशि व्यय करने में विफल रहती है तो अधिनियम के तहत उनके लिए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।