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जेन स्ट्रीट घोटाला एवं निवेशक सुरक्षा संबंधी मुद्दे

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास एवं रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ 

अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट पर भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर (Manipulation) का आरोप लगा है जिसके कारण सेबी (Securities and Exchange Board of India: SEBI) ने इसे भारतीय बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया है।

क्या है जेन स्ट्रीट घोटाला

  • आरोप : जेन स्ट्रीट ने बैंक निफ्टी इंडेक्स (12 बैंकों के शेयरों का सूचकांक) की कीमतों में हेरफेर करके अवैध लाभ कमाया।
  • रणनीति :
    • पंप एंड डंप (Pump and Dump) : सुबह के समय बैंक निफ्टी के शेयरों एवं फ्यूचर्स (Futures: भविष्य में खरीद-बिक्री का अनुबंध) को आधिक मात्रा में खरीदकर कीमतें बढ़ाना और फिर दोपहर में बेचकर कीमतें गिराना तथा लाभ कमाना।
    • इस रणनीति से जेन स्ट्रीट ने ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading: खरीदने/बेचने का अधिकार देने वाला अनुबंध) में भारी मुनाफा कमाया।
  • अर्जित लाभ : जनवरी 2023 से मार्च 2025 तक जेन स्ट्रीट ने 21 ट्रेडिंग दिनों में 36,502 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया।
  • उदाहरण : 17 जनवरी, 2024 को एक ही दिन में 735 करोड़ रुपए का लाभ कमाया।
  • परिणाम : इस घोटाले ने छोटे निवेशकों (Retail Investors) की सुरक्षा एवं डेरिवेटिव्स बाजार (Derivatives Market) की कमजोरियों को उजागर किया है।

जेन स्ट्रीट फर्म के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 2000 में न्यूयॉर्क में स्थापित एक वैश्विक प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग फर्म (Proprietary Trading Firm- लाभ हेतु ट्रेडिंग कंपनी)
  • वैश्विक उपस्थिति : 45 देशों में 200 से अधिक ट्रेडिंग स्थानों पर 2,600 कर्मचारी
  • भारत में प्रवेश: वर्ष 2020 में भारतीय बाजार में प्रवेश किया, जिसमें JSI Investments, JSI2 Investments, Jane Street Singapore एवं Jane Street Asia Trading शामिल हैं। 
  • तकनीक : हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (High-Frequency Trading- तेज गति से स्वचालित ट्रेडिंग) और जटिल एल्गोरिदम का उपयोग।

सेबी की कार्रवाई

  • आरोप : जेन स्ट्रीट ने बैंक निफ्टी एवं निफ्टी 50 इंडेक्स में, विशेष रूप से साप्ताहिक एक्सपायरी दिनों (Expiry Days: जब ऑप्शंस अनुबंध समाप्त होते हैं) पर हेरफेर किया।
  • रणनीतियाँ :
    • इंट्राडे इंडेक्स मैनिपुलेशन (Intraday Index Manipulation): सुबह खरीदकर इंडेक्स को ऊपर ले जाना और दोपहर में बेचकर नीचे लाना।
    • एक्सटेंडेड मार्किंग द क्लोज (Extended Marking the Close): एक्सपायरी के अंत में बड़े पैमाने पर ट्रेडिंग करके इंडेक्स को प्रभावित करना।
  • सेबी का आदेश:
    • 3 जुलाई, 2025 के अंतरिम आदेश में जेन स्ट्रीट को भारतीय बाजारों से प्रतिबंधित किया।
    • 4,843.5 करोड़ रुपए के अवैध लाभ को जब्त करने का आदेश दिया, जिसे एक एस्क्रो खाते (Escrow Account: तीसरे पक्ष द्वारा सुरक्षित खाता) में जमा करना होगा।
    • बैंक एवं डीमैट खातों पर डेबिट प्रतिबंध।
  • चेतावनी के बाद भी हेरफेर : फरवरी 2025 में NSE की चेतावनी के बावजूद मई 2025 में जेन स्ट्रीट ने फिर से हेरफेर शुरू किया।

छोटे निवेशकों पर प्रभाव

  • जोखिम : डेरिवेटिव्स बाजार में छोटे निवेशक सर्वाधिक असुरक्षित हैं। सेबी की सितंबर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 93% छोटे निवेशकों को ऑप्शंस ट्रेडिंग में नुकसान हुआ, अर्थात औसतन 1.25 लाख रुपए प्रति निवेशक।
  • हेरफेर का प्रभाव : जेन स्ट्रीट की रणनीति ने बाजार में गलत धारणा बनाई, जिससे छोटे निवेशकों को नुकसान हुआ।
  • NSE की भूमिका : NSE विश्व का सबसे बड़ा डेरिवेटिव्स एक्सचेंज है जो अप्रैल 2025 में वैश्विक इक्विटी डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग का 60% हिस्सा संभालता है।

सेबी द्वारा अधिक समय लेने का कारण 

  • जटिल जांच : सेबी को NSE एवं अन्य मध्यस्थों से भारी मात्रा में डाटा का विश्लेषण करना पड़ा।
  • प्रमुख घटना : 17 जनवरी, 2024 को बैंक निफ्टी में 2200 अंकों की गिरावट के बाद सेबी ने जेन स्ट्रीट की निगरानी बढ़ाई।
  • अमेरिकी मामला : वर्ष 2023 में जेन स्ट्रीट ने मिलेनियम मैनेजमेंट पर अपनी ट्रेडिंग रणनीति चुराने का मुकदमा दायर किया, जिससे सेबी को भारत में जांच शुरू करने का संकेत मिला।
  • आगे की जांच : सेबी अन्य इंडेक्स एवं एक्सचेंजों में भी हेरफेर की जांच कर रही है जिसकी अंतिम रिपोर्ट छह महीने में आएगी।

चुनौतियाँ

  • निवेशक सुरक्षा : छोटे निवेशकों को हेरफेर से बचाने के लिए मजबूत निगरानी की आवश्यकता
  • एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग : हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग एवं जटिल रणनीतियों को ट्रैक करने में मुश्किल 
  • पारदर्शिता की कमी : विदेशी फर्म्स जटिल संरचनाओं के माध्यम से ट्रेड करती हैं जिससे वास्तविक ट्रेडर की पहचान करना कठिन 
  • नुकसान की भरपाई : छोटे निवेशकों के नुकसान की भरपाई के लिए कोई स्पष्ट तंत्र का आभाव 
  • नैतिक मुद्दे : बाजार में विश्वास को बनाए रखने के लिए कठोर नियमों की आवश्यकता

आगे की राह

  • मजबूत निगरानी : सेबी को डेरिवेटिव्स एवं कैश मार्केट की एक साथ निगरानी के लिए प्रणाली विकसित करना चाहिए।
  • पारदर्शिता : विदेशी ट्रेडिंग फर्म्स के लिए स्पष्ट नियम एवं उनकी ट्रेडिंग संरचना की जानकारी अनिवार्य करनी चाहिए।
  • एक्सपायरी नियम : साप्ताहिक एक्सपायरी पर ट्रेडिंग की सीमा एवं जोखिमपूर्ण पोजीशंस पर अतिरिक्त मार्जिन की आवश्यकता है।
  • निवेशक जागरूकता : छोटे निवेशकों को डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के जोखिमों के बारे में शिक्षित करना चाहिए।
  • कानूनी कार्रवाई : सेबी को GAAR (General Anti-Avoidance Rules- कर चोरी रोकने के नियम) लागू कर अवैध लाभ को भारत में कर के दायरे में लाना चाहिए।
  • तकनीकी उन्नति : सेबी एवं NSE को डाटा विश्लेषण और रियल-टाइम निगरानी के लिए AI व मशीन लर्निंग का उपयोग बढ़ाना चाहिए।
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