विश्व बैंक के स्प्रिंग 2025 पॉवर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ के अनुसार, वर्ष 2022-23 के लिए 25.5 के गिनी इंडेक्स के साथ भारत को वैश्विक स्तर पर चौथे सर्वाधिक आय-समान देश के रूप में रेखांकित किया गया है। गिनी इंडेक्स आय असमानता को प्रदर्शित करता है।
शीर्ष आय समानता वाले देश
- स्लोवाकिया (24.1)
- स्लोवेनिया (24.3)
- बेलारूस (24.4)
- भारत (25.5)
भारत की अन्य देशों से तुलना
- भारत का गिनी इंडेक्स: वर्ष 2011-12 में 28.8 से सुधरकर वर्ष 2022-23 में 25.5 पर पहुंच गया।
- भारत को ‘मध्यम रूप से कम’ असमानता श्रेणी में शामिल किया गया है।
- भारत का आय असमानता स्कोर चीन (35.7) व अमेरिका (41.8) की तुलना में बहुत कम (अर्थात अधिक समानता) है।
- यहाँ तक कि सभी G7 एवं G20 देशों की तुलना में भी भारत में आय असमानता में कमी दर्ज़ की गई है।
भारत में आय असमानता में कमी के लिए उत्तरदायी कारक
- अत्यधिक गरीबी में कमी: वर्ष 2011-12 में 2.15 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन से कम आय वाले लोगों की संख्या 16.2% से घटकर वर्ष 2022-23 में 2.3% हो गई, जिससे लगभग 171 मिलियन लोग पूर्ण गरीबी से बाहर आ गए।
- वित्तीय समावेशन और प्रत्यक्ष हस्तांतरण
- प्रधानमंत्री जन धन योजना : 556 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए।
- आधार + डीबीटी : 142+ करोड़ डिजिटल आईडी से कल्याणकारी बचत में ₹3.48 लाख करोड़ की बचत हुई।
- कल्याण एवं स्वास्थ्य सेवा योजनाएँ
- आयुष्मान भारत : ₹5 लाख स्वास्थ्य कवरेज, 41+ करोड़ कार्ड, 32000+ अस्पताल।
- स्टैंड-अप इंडिया, पीएम विश्वकर्मा योजना और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने उद्यमियों, कारीगरों को सशक्त बनाया है और खाद्य सुरक्षा में सहायता प्रदान की है।
आलोचना
- पद्धतिगत चिंताएँ: कुछ अर्थशास्त्रियों की चेतावनी है कि सर्वेक्षण विधियों में परिवर्तन और शीर्ष पर धन संकेन्द्रण की संभावित चूक को देखते हुए उपभोग-आधारित गिनी स्कोर वास्तविक असमानता को कम करके आंक सकते हैं।
- धन बनाम आय (Wealth vs Income): धन कहीं अधिक संकेन्द्रित है और सर्वाधिक धनी 1% के पास कुल धन का लगभग 40% है, जबकि सबसे निचले 50% के पास केवल 3% है।
- इसलिए यद्यी आय अपेक्षाकृत समान दिख सकती है किंतु धन का अंतर अभी भी बहुत अधिक है।
निष्कर्ष
पिछले दशक में आय असमानता को कम करने में भारत की प्रगति उल्लेखनीय है। यह दर्शाता है कि लक्षित सामाजिक नीतियां एवं गरीबी उन्मूलन समाज में आर्थिक लाभ को किस प्रकार बढ़ावा दे सकती हैं। इससे भारत को वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्य 1 (शून्य गरीबी) को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।