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डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023

प्रारंभिक परीक्षा : डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, गोपनीयता का अधिकार
मुख्य परीक्षा : डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 के प्रावधान, निजता

चर्चा में क्यों -

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक, 2023 के मसविदे को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि उल्लंघन की प्रत्येक घटना के लिए  ₹250 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।  

परिचय: 

  यह विधेयक व्यक्तिगत डिजिटल डेटा के उपयोग को सुरक्षित करने की कोशिश करता है। उपयोगकर्ताओं के कर्तव्यों को सुनिश्चित करते हुए एकत्रित डाटा का कानूनी रूप से उपयोग करने के दायित्वों को निर्धारित करता है।

डीपीडीपी की आवश्यकता: 

  • व्यक्ति को दैनिक जीवन में सरकार या निजी कम्पनियों या लोगों से सेवाएँ लेनी होती हैं। जैसे- बैंकिंग सेवाटेलिकॉम सेवा, चिकित्सकीय परामर्श; इन सेवाओं के लिए चाहे अनचाहे सूचनाएँ साझा करनी पड़ती हैं। सूचनाओं के दुरूपयोग  की संभावना बनी रहती है
  • गोपनीयता पर हावी अभिव्यक्ति की आजादी।
  • सरकार को जनता का कल्याण करना होता है। इसके बेहतर नियोजन के लिए देश में रह रहे लोगों का डेटा  होना आवश्यक है।  विशिष्ट कानून के आभाव में डेटा का दुरूपयोग रोक पाना जटिल है।
  • ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र में जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता तेजी से विकसित हो रही है। जो मॉडलों का परीक्षण करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से डेटा को स्क्रैप करता है 
  • संवेदनशील सूचनाओं की गोपनीयता भी एक बड़ी वजह है। 
  • न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी  मामले में सर्वोच्च न्यायालय  ने कहा कि भारतीयों के पास निजता का संवैधानिक रूप से संरक्षित मौलिक अधिकार है जो अनुच्छेद 21 से सम्बद्ध है 

डीपीडीपी बिल के  प्रावधान-

यह विधेयक निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित है- 

  • भारत के नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा के संग्रह और उपयोग के बारे में है।
  • व्यक्तिगत डेटा का संग्रह और उपयोग वैध होना चाहिए और पारदर्शिता बनी रहे।
  • उद्देश्य पूरा होने तक डाटा को सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जाना चाहिए। 
  • व्यक्तियों का प्रासंगिक डेटा एकत्र किया जाना चाहिए। 
  • पूर्व-निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति ही एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए।
  • डाटा की सटीकता 

उल्लंघन की स्थिति में:

  • उल्लंघन की स्थिति में इस बिल में मुआवजे का प्रावधान किया गया है।
  • मुआवजा, दुरूपयोगकारी संस्था का अदालती मुकदमेबाजी से बचने के लिए  उपाय है।
  • नियमों के उल्लंघन की स्थिति में संबंधित इकाई पर  ₹250 करोड़ तक का जुर्माना हो सकता है। 
  • व्यक्तिगत अपराधों के लिए जुर्माना ₹10,000 से शुरू होगा।

डेटा संरक्षण बोर्ड:

  •  विधेयक का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये डेटा संरक्षण बोर्ड के गठन का भी प्रस्ताव है।
  • सरकार द्वारा गठित जिसमे  तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं।
  • बोर्ड उल्लंघन की जांच करेगा।

छूट:

  • अदालतों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को प्रमुख आवश्यकताओं से व्यापक छूट प्राप्त है।
  • अपराध, किसी कानून के उल्लंघन, जांच या अभियोजन के हित में संसाधित किया जा सकता  है।
  • भारत की संप्रभुता,एकता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव के सन्दर्भ में।

 डेटा संरक्षण कानून का वैश्विक परिदृश्य:

यूरोपीय संघ - सूचनाएँ व्यापक डाटा सुरक्षा कानून के संरक्षण में हैं। यहाँ निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।  

अमेरिका - समग्र  विनियम नहीं है, इसके वजाय सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के लिये डेटा सुरक्षा के प्रति दृष्टिकोण अलग-अलग  है।  

चीन में - डाटा संरक्षण के लिये यहाँ  2021 से व्यक्तिगत सूचना संरक्षण कानून (PIPL)  लागू है

प्रश्न : निम्नलिखित  कथनों पर विचार  कीजिए-

  1. निजता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत संरक्षित है 
  2. व्यक्तिगत अपराधों के लिए जुर्माने की सीमा  ₹10,000 प्रस्तावित है

a) कथन-1 सत्य, कथन-2 असत्य
b) कथन-1 असत्य,   कथन-2 सत्य 
c) दोनों कथन सत्य
d) दोनों कथन असत्य

उत्तर : (a)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : संवैधानिकता के आलोक में निजता को व्यावहारिकता प्रदान करने के लिये वैयक्तिक डाटा संरक्षण कानून के महत्त्व पर प्रकाश डालिए






 

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