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फोर्टिफाइड चावल के वितरण को मंजूरी

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप, भूख से संबंधित विषय, खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय)

संदर्भ 

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी कार्यक्रमों के तहत आयरन से ‘फोर्टिफाइड राइस’ के वितरण की एक योजना को मंजूरी प्रदान की है। विगत वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2024 तक वितरित किये जाने वाले चावल के फोर्टिफिकेशन की घोषणा की थी।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2024 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS), प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण-पी.एम. पोषण (पूर्ववर्ती मध्याह्न भोजन योजना) और केंद्र एवं राज्य सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) में तीन चरणों में फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति की घोषणा की है। 
  • चावल के फोर्टिफिकेशन के लिये केंद्र सरकार द्वारा इसके पूर्ण कार्यान्वयन तक (जून, 2024) खाद्य सब्सिडी के हिस्से के रूप में लगभग 2,700 करोड़ रुपए प्रति वर्ष वहन किया जाएगा।
  • भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियों ने आपूर्ति व वितरण के लिये 88.65 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल की खरीद की है। इसके लिये खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग संबंधित हितधारकों के साथ सभी गतिविधियों का समन्वय कर रहा है।

‘राइस फोर्टिफिकेशन’ या ‘चावल पौष्टिकीकरण’

  • ‘राइस फोर्टिफिकेशन’ अथवा ‘चावल पौष्टिकीकरण’ से तात्पर्य चावल में विटामिन या खनिज जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने की प्रक्रिया से है, ताकि इसके पोषण मान में सुधार हो सके और न्यूनतम लागत पर सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया सके।
  • ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (FSSAI) फोर्टिफिकेशन को ‘भोजन में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को विचारपूर्वक बढ़ाने के रूप में परिभाषित करता है, ताकि भोजन की पोषण गुणवत्ता में सुधार किया जा सके’।
  • सरल शब्दों में फोर्टिफाइड राइस का तात्पर्य है, पोषणयुक्त चावल। इसमें सामान्य चावल की तुलना में आयरन, विटामिन बी-12, फॉलिक एसिड की मात्रा अधिक होती है। ।
  • राइस फोर्टिफिकेशन के लिये ‘कोटिंग’, डस्टिंग’ और ‘एक्सट्रूज़न’ (Extrusion) जैसी विभिन्न प्रौद्योगिकियाँ उपलब्ध हैं।

भारत में प्रचलित तकनीक

  • भारत में चावल फोर्टिफिकेशन के लिये ‘एक्सट्रूज़न’ (उत्सादन) को सबसे अच्छी प्रौद्योगिकी माना जाता है। इसके लिये एक ‘एक्सट्रूडर मशीन’ का प्रयोग किया जाता है।
  • पहले सूखे चावल को पीसकर उसमें सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाए जाते हैं फिर इस मिश्रण को चावल का आकार दिया जाता है, जिसे फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) कहते है। एफ.आर.के. की शेल्फ लाइफ कम से कम 12 महीने होती है।
  • फोर्टिफाइड राइस को तैयार करने के लिये इन कर्नेल को सामान्य चावल में मिला दिया जाता है। सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत 10 ग्राम ‘एफ.आर.के.’ को 1 किग्रा. सामान्य चावल के साथ मिश्रित किया जाना चाहिये। 
  • अमेरिका, पनामा, कोस्टारिका, निकारागुआ, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस और सोलोमन द्वीप (सात देशों) ने चावल के फोर्टिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया है।

फोर्टिफाइड चावल की पहचान

फोर्टिफाइड चावल की लंबाई 5 मिमी. और चौड़ाई 2.2 मिमी. से अधिक नहीं होती है। सामान्य चावलों की ही तरह दिखने वाले इन चावलों की पहचान के लिये इनके पैकेट पर +F का लोगो बना रहता है तथा इससे संबंधित निर्देश भी लिखे रहते हैं।

राइस फोर्टिफिकेशन की आवश्यकता

  • खाद्य मंत्रालय के अनुसार, देश में प्रत्येक दूसरी महिला ‘रक्ताल्पता’ (Anaemia) तथा प्रत्येक तीसरा बच्चा ‘छोटे कद’ (Stunted) की समस्या से ग्रस्त है। वर्ष 2019-2021 के लिये जारी ‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5’ (NFHS-5) के आँकड़ों के अनुसार, बच्चों और महिलाओं में रक्ताल्पता में वृद्धि हो रही है। 
  • फोर्टिफिकेशन एक व्यवहार्य प्रस्ताव है क्योंकि इस योजना के प्रारम्भ होने के कुछ वर्षों में भारत में रक्ताल्पता की घटनाओं में लगभग 35% की कमी आने की संभावना है।
  • गौरतलब है कि ‘वैश्विक भुखमरी सूचकांक, 2021 (GHI) में भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर है, जो इसे ‘गंभीर भूख’ श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत करता है। साथ ही, वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक, 2021 में भारत 113 देशों में 71वें स्थान पर है। 
  • उल्लेखनीय है कि भारत की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या प्रमुख खाद्य पदार्थ के रूप में चावल का उपभोग करती है। भारत में प्रति व्यक्ति चावल का उपभोग 6.8 किग्रा. प्रति माह है। अतः सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के साथ चावल को फोर्टीफाइड करके पूरक आहार का एक विकल्प प्रदान किया जा सकता है।

फोर्टिफाइड राइस में शामिल पोषक तत्व 

  • एक किग्रा. फोर्टिफाइड राइस (Fortified rice) में आयरन (28-42.5 मिग्रा.), फॉलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम), विटामिन बी-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम) होता है। 
  • साथ ही, एफ.एस.एस.ए.आई. ने जिंक (10-15 मिग्रा.), विटामिन-ए (500-700 माइक्रोग्राम), विटामिन बी-1 (1-1.5 मिग्रा.) विटामिन बी-2 (1.25-1.75 मिग्रा.), विटामिन बी-3 (12.3-20 मिग्रा.) और विटामिन बी-6 (1.5-2.5 मिग्रा.) से भी चावल को फोर्टिफाइड करने की दिशानिर्देश जारी किया है। 

फोर्टिफिकेशन संबंधी चिंताएं 

  • ‘सतत् और समग्र कृषि हेतु गठबंधन’ (ASHA) ने कई नकारात्मक परिणामों को आधार बनाते हुए एफ.एस.एस.ए.आई. से खाद्य तेल और चावल के फोर्टिफिकेशन पर पुनर्विचार करने को कहा है।
  • इस निर्णय से असहमत होने का एक प्राथमिक कारण फोर्टिफाइड चावल के लाभों की प्रमाणिकता का अभी तक सिद्ध न होना भी है। साथ ही, आशा के शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि चावल के फोर्टिफिकेशन से रक्ताल्पता होने के जोखिम में बहुत कम या लगभग न के बराबर अंतर आया है।
  • साथ ही, फोर्टिफाइड चावल के अधिक सेवन को लेकर भी चिंताएँ हैं। फ़ूड फोर्टिफिकेशन और ‘आयरन टैबलेट सप्लिमेंटेशन’ से महिलाओं के शरीर में लौह तत्वों की अधिकता हो सकती है।
  • आर्थिक रूप से देखा जाए तो यह कदम बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिये एक सुनिश्चित बाज़ार (Assured Market) का निर्माण करेगा, जिससे भारत में चावल और तेल प्रसंस्करण की छोटी इकाइयों के लिये खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
  • तीसरा कारण यह है कि इस तरह के कदम से जैव विविधता के नष्ट होने का खतरा होता है, जो मोनोकल्चर में वृद्धि और मृदा स्वास्थ्य को कम करेगा।

अन्य विकल्प

  • फोर्टिफिकेशन का एक विकल्प अमृत कृषि के माध्यम से खाद्य फसलों को उगाना हैं। यह एक जैविक कृषि तकनीक है, जो खाद्य पोषण में वृद्धि करेगी। एक अन्य उपाय माताओं द्वारा शिशुओं को उचित स्तनपान कराना है। यह शुरुआती 1,000 दिनों में पोषण की कमी पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
  • एक तीसरा तरीका किचन गार्डन है। महाराष्ट्र में एक अध्ययन से पता चला है कि जैविक रूप से किचन गार्डन में उगाई गई सब्जियाँ हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में सहायक रही हैं।
  • चौथा विकल्प सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कम प्रसंस्कृत या बिना पॉलिश किये हुए चावल को शामिल करना है। इससे राइस ब्रान (भूसी युक्त चावल) लोगों तक पहुंच सकेगा, जो विभिन्न सूक्ष्म पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है।
  • अंतत: एफ.एस.एस.ए.आई. भारत में उत्पादित होने वाले विविध प्रकार के अनाज, सब्जियों, फलों और अन्य फसलों के बारे में भी जागरूकता पैदा कर सकता है।
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