केंद्र सरकार ने एटालिन जल विद्युत परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी का मूल्यांकन करने की घोषणा की है।
एटालिन जल विद्युत परियोजना के बारे में
- यह अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी में प्रस्तावित 3,087 मेगावाट की एक जलविद्युत परियोजना है।
- भारत की सबसे बड़ी नदी-प्रवाह जलविद्युत परियोजना के रूप में प्रस्तावित एटालिन परियोजना में ब्रह्मपुत्र में मिलने वाली दिबांग की सहायक नदियों ‘द्रि’ एवं ‘तालो’ (Dri and Talo) पर कंक्रीट के गुरुत्व बाँधों का निर्माण शामिल है।
- इसके लिए 1,175 हेक्टेयर वन भूमि का विचलन और 2.7 लाख वृक्षों को काटने की आवश्यकता होगी।
- इससे जैव-विविधता से भरपूर उपोष्णकटिबंधीय एवं अल्पाइन पारिस्थितिकी तंत्र प्रतिकूल रूप से प्रभावित होंगे।
भू-राजनीतिक निहितार्थ
- यारलुंग ज़ंग्बो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर चीन द्वारा 60,000 मेगावाट क्षमता के बाँध के निर्माण से भारत के पूर्वोत्तर, विशेष रूप से सियांग क्षेत्र में आदि जनजाति के लिए, जल प्रवाह में व्यवधान एवं बाढ़ के जोखिम को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हुई है।
- यह परियोजना जल अधिकारों का दावा करने और चीन की जलविद्युत महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने की भारत की रणनीति के अनुरूप है, जिसके तहत अरुणाचल प्रदेश में 13 अन्य परियोजनाएँ (13,798 मेगावाट) प्रस्तावित हैं।
पर्यावरण संबंधी चिंताएँ
- वर्ष 2015 का पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अनुपयुक्त हो जाने कारण विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति को इस परियोजना के संबंध में नए आँकड़े या नई जन सुनवाई पर विचार करना पड़ा।
- वर्ष 2022 में वन सलाहकार समिति ने जैव विविधता संबंधी चिंताओं के कारण वन मंज़ूरी को अस्वीकार कर दिया और अद्यतन आकलन की सिफ़ारिश की।
चुनौतियाँ एवं सुझाव
- पारिस्थितिक जोखिम : यह परियोजना दिबांग घाटी की जैव विविधता के लिए ख़तरा है जिसमें हिमालयी सीरो एवं एशियाई गोल्डन कैट जैसी लुप्तप्राय प्रजातियाँ शामिल हैं।
- ऐसे में दिबांग घाटी की कई परियोजनाओं के लिए एक संचयी प्रभाव आकलन आवश्यक है।
- स्थानीय विरोध : विस्थापन की आशंकाओं के कारण सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होता रहा हैं जिसके लिए समावेशी सार्वजनिक परामर्श आवश्यक है।
- नीतिगत आवश्यकताएँ : भारत-चीन जलविज्ञान संबंधी डाटा-साझाकरण को मज़बूत करना और अद्यतन पर्यावरणीय प्रभाव आकलन आयोजित करना रणनीतिक एवं पर्यावरणीय प्राथमिकताओं में संतुलन स्थापित कर सकता है।
निष्कर्ष
एटालिन बांध का पर्यावरणीय मंज़ूरी मूल्यांकन, चीन की जलविद्युत परियोजना के प्रति भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया को दर्शाता है। साथ ही, पारिस्थितिक एवं सामाजिक चिंताओं को भी बढ़ाता है।