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भारत में खाद्य मुद्रास्फीति के अनुमान

(प्रारंभिक परीक्षा: आर्थिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ

भारत में खुदरा मुद्रास्फीति जून 2025 में छह वर्ष के निचले स्तर 2.1% पर आ गई, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति -1.06% पर नकारात्मक स्थिति में पहुँच गई, जो अनुकूल कृषि परिस्थितियों एवं नीतिगत उपायों का परिणाम है। 

निम्न खाद्य मुद्रास्फीति के लिए उत्तरदायी कारक

  • निरंतर अच्छा मानसून : वर्ष 2024 में मानसून के दौरान औसत से 7.6% अधिक वर्षा हुई, जिससे खरीफ एवं रबी फसलों की पैदावार में वृद्धि हुई।
    • वर्ष 2025 में 1 जून से 20 जुलाई तक सामान्य से 7.1% अधिक वर्षा हुई, जिससे खरीफ की बुवाई को बढ़ावा मिलने से अनाज, दालों व अन्य फसलों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित हुई।
  • कृषि भंडार में वृद्धि : वर्ष 2025 में 300.35 लाख टन की रिकॉर्ड खरीद के कारण 1 जुलाई, 2025 तक गेहूँ का भंडार चार वर्षों के उच्चतम स्तर 358.78 लाख टन पर पहुँच गया, जबकि वर्ष 2024 में यह 266.05 लाख टन था। 
    • चावल के उच्च भंडार के साथ यह सार्वजनिक वितरण तथा बाज़ार हस्तक्षेपों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा एवं मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करता है।
  • उदारीकृत आयात नीतियाँ : सरकार ने 31 मई, 2025 तक कच्चे पॉम, सोयाबीन तथा सूरजमुखी तेलों पर आयात शुल्क 27.5% से घटाकर 16.5% कर दिया और दालों एवं खाद्य तेलों के शून्य/कम शुल्क वाले आयात की अनुमति दी। 
    • इससे वैश्विक उतार-चढ़ाव के विरुद्ध घरेलू कीमतों को संरक्षण मिला है।
  • अनुकूल आधार प्रभाव : वर्ष 2023 के मध्य से वर्ष 2024 के अंत तक उच्च खाद्य मुद्रास्फीति (औसतन 8.5% से अधिक) ने एक उच्च आधार बनाया, जिससे वर्ष 2025 में विशेष रूप से सब्जियों, दालों, अनाज एवं मसालों के लिए साल-दर-साल मुद्रास्फीति कम दिखाई दी।

संभावित जोखिम

  • मानसून परिवर्तनशीलता : मानसून के संभावित रूप से कमज़ोर होने से खरीफ़ फ़सल की वृद्धि बाधित होने से से पैदावार प्रभावित हो सकती है।
  • उर्वरक की कमी : 1 जुलाई, 2025 तक यूरिया एवं डाइ-अमोनियम फ़ॉस्फ़ेट (DAP) का स्टॉक वर्ष 2024 की तुलना में कम होने से माँग बढ़ने पर कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

आर्थिक निहितार्थ

  • मौद्रिक नीति : निम्न मुद्रास्फीति से भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को वर्ष 2025 में ब्याज दरों में संभावित रूप से कटौती करने की गुंजाइश प्राप्त होती है जिससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • उपभोक्ता व्यय : खाद्य पदार्थों की कम कीमतें घरेलू क्रय शक्ति में वृद्धि के साथ ही गैर-खाद्य पदार्थों की खपत और आर्थिक सुधार को बढ़ावा देती हैं।

निष्कर्ष

अनुकूल मानसून, मज़बूत कृषि भंडार और सक्रिय आयात नीतियों के संयोजन से भारत में खाद्य मुद्रास्फीति कम रहने की संभावना है। हालाँकि, इस प्रवृत्ति को बनाए रखने के लिए मानसून प्रतिरूप और उर्वरक उपलब्धता की सतर्क निगरानी महत्त्वपूर्ण है।

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