(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य व वास्तुकला के मुख्य पहलू) |
संदर्भ
भारत द्वारा 8 से 13 दिसंबर, 2025 तक नई दिल्ली में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए यूनेस्को अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र की मेजबानी की जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- लाल किले में आयोजित इस सत्र में यूनेस्को ने दीपावली सहित अन्य को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया है। इसमें घाना, जॉर्जिया, कांगो, इथियोपिया एवं मिस्र सहित कई देशों के सांस्कृतिक प्रतीक भी शामिल हैं।
- भारत की 15 अमूर्त विश्व धरोहर की सूची में शामिल हैं। इसमें दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला, छाऊ नृत्य भी शामिल हैं।
दीपावली
- दीपावली को दिवाली भी कहते हैं जो प्रतिवर्ष भारत में अलग-अलग लोग एवं समुदाय मनाते हैं। यह वर्ष की आखिरी फसल और नए वर्ष एवं नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। लूनर कैलेंडर के हिसाब से, यह अक्तूबर या नवंबर में अमावस्या को पड़ता है और कई दिनों तक चलता है। प्रसन्नता का यह मौका अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दौरान लोग अपने घरों व सार्वजानिक स्थलों को साफ करते हैं तथा सजावट करते हैं, दीये एवं मोमबत्तियाँ जलाते हैं, आतिशबाजी करते हैं और खुशहाली एवं नई शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं।
- भारत में दिवाली को भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के रूप में मनाया जाता है, जब उन्होंने रावण का वध कर धर्म एवं न्याय की पुनर्स्थापना की थी। इस कारण यह त्योहार उत्सव, प्रकाश व नई शुरुआत का प्रतीक बन गया। दिवाली का गहरा संबंध लक्ष्मी, धन एवं समृद्धि की देवी की आराधना से भी है। लोग इस दिन नई वस्तुएं खरीदते हैं और व्यापार भी शुभ माना जाता है।
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अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर-सरकारी समिति के बारे में
- यूनेस्को के अनुसार, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) में वे प्रथाएँ, ज्ञान, अभिव्यक्तियाँ, वस्तुएँ और स्थान शामिल हैं जिन्हें समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान के हिस्से के रूप में देखते हैं।
- आई.सी.एच. की सुरक्षा के लिए यूनेस्को ने 17 अक्तूबर, 2003 को पेरिस में अपने 32वें महासम्मेलन के दौरान 2003 अभिसमय को अपनाया।
- इस अभिसमय ने औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, समर्थन एवं मान्यता के लिए तंत्र स्थापित किया तथा यूनेस्को की आई.सी.एच. सूचियों और उसके बाद अंतर-सरकारी समिति के कार्यों की नींव रखी।
- इस अभिसमय के उद्देश्य हैं-
- आई.सी.एच. की सुरक्षा
- संबंधित समुदायों, समूहों एवं व्यक्तियों का आई.सी.एच. के प्रति सम्मान सुनिश्चित करना
- आई.सी.एच. के महत्व के बारे में स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाना और इसके लिए पारस्परिक प्रशंसा सुनिश्चित करना
- वैश्विक सहयोग एवं सहायता प्रदान करना
- आई.सी.एच. की सुरक्षा के लिए अंतर-सरकारी समिति 2003 के अभिसमय के उद्देश्यों को आगे बढ़ाती है तथा सदस्य देशों में उनके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करती है।
- इस अधिदेश को पूरा करने में समिति-
- वर्ष 2003 के अभिसमय के उद्देश्यों एवं कार्यान्वयन को बढ़ावा देती है तथा निगरानी करती है।
- सर्वोत्तम प्रथाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करती है और आई.सी.एच. की सुरक्षा के लिए उपायों की सिफारिश करती है।
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत निधि के उपयोग के लिए मसौदा योजना तैयार करती है और उसे आम सभा में प्रस्तुत करती है।
- अभिसमय के प्रावधानों के अनुसार कोष के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाती है।
- अभिसमय के कार्यान्वयन के लिए परिचालन निर्देशों का मसौदा तैयार करती है और प्रस्ताव करती है।
- सदस्य देशों द्वारा प्रस्तुत आवधिक रिपोर्ट्स की जाँच करती है तथा महासभा के लिए सारांश संकलित करती है।
- सदस्य देशों के अनुरोधों का मूल्यांकन करती है तथा निम्नलिखित के संबंध में निर्णय लेती है:
- यूनेस्को की आई.सी.एच. सूचियों में तत्वों का अंकन (अनुच्छेद 16, 17 और 18 के अनुसार)
- अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्रदान करना
समिति की सदस्यता
इसमें 24 सदस्य होते हैं जो चार वर्ष की अवधि के लिए चुने जाते हैं। नए सदस्यों का चुनाव प्रत्येक दो वर्ष में सदस्य राष्ट्रों की महासभा के साधारण सत्र के दौरान होता है। भारत वर्तमान में (2022-2026) इस समिति का सदस्य है।
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भारत में अब 16 अमूर्त विश्व धरोहर
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वेद पठन
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2008
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कुटियट्टम (केरल)
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2008
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रामलीला
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2008
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रम्माण (उत्तराखंड)
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2009
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मुदियेट्टू (केरल)
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2010
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कालबेलिया लोक गीत व नृत्य (राजस्थान)
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2010
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छऊ नृत्य (पूर्वी भारत)
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2010
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लद्दाख में बौद्ध पाठ
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2012
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मणिपुर का संकीर्तन
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2013
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जंडियाला गुरु के ठठेरा बर्तन निर्माण (पंजाब)
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2014
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योग
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2016
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नवरोज
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2016
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कुंभ मेला
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2017
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कोलकाता की दुर्गा पूजा
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2021
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गुजरात का गरबा
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2023
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दिवाली
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2025
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