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आदिवासी समाज की संस्कृति और सामाजिक प्रथाओं का दस्तावेजीकरण 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए – अनुसूचित जनजाति, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग(NCST)
मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2- केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ,इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय

संदर्भ 

  • हाल ही में, जनजातीय अनुसंधान-अस्मिता,अस्तित्व एवं विकास पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

महत्वपूर्ण बिन्दु

  • इस कार्यक्रम के अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी और परंपराओं, आधुनिकता और संस्कृति का सम्मिश्रण समय की आवश्यकता है, हमें ज्ञान की शक्ति से दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
  • आदिवासी समुदायों का ज्ञान, जैसे कि बीमारियों के इलाज के तरीके, हथियार बनाना, प्रकृति की रक्षा करना और सामुदायिक गीत के माध्यम से ज्ञान का हस्तांतरण को भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) में शामिल किया जाना चाहिए।
  • जनजातीय समाज के ज्ञान का प्रचार और विकास भारत को ज्ञान महाशक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • उन्होंने विश्वास व्यक्त किया, कि आदिवासी समाज के लोग, लेखक, शोधकर्ता अपने विचारों, कार्यों और शोध से आदिवासी समाज के विकास में अमूल्य योगदान देंगे।
  • राष्ट्रपति ने इस तथ्य की ओर इंगित करते हुए कि, देश में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या 10 करोड़ से अधिक है, हमारे सामने इन  सभी तक विकास का लाभ पहुंचाने और साथ ही उनकी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने की चुनौती है, तथा इसके लिए चर्चाओं और शोध में उनकी भी भागीदारी आवश्यक है।
  • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) के साथ मिलकर केंद्र सरकार, भारत में स्वदेशी और आदिवासी समाजों की संस्कृतियों और सामाजिक प्रथाओं के पुनः प्रलेखन का प्रयास कर रही है, क्योंकि वर्तमान साहित्य, औपनिवेशिक प्रशासको द्वारा संकलित ज्ञान पर आधारित है।

अनुसूचित जनजाति

  • 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या 10.5 करोड़ है, जो देश की कुल जनसंख्या का लगभग 8.6% है ।
  • भारतीय संविधान, अनुसूचित जनजाति की मान्यता के मापदंडो का उल्लेख नहीं करता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 366(25) के अनुसार अनुसूचित जनजातियों का अर्थ ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदाय से है, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
  • अनुच्छेद 342(1) के अनुसार राष्ट्रपति किसी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के मामले में, वहां के राज्यपाल से परामर्श करने के बाद किसी जनजाति या जनजातीय समूह को या उसके किसी हिस्से को उस राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के मामले में अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट कर सकेगा।
  • अनुसूचित जनजाति की मान्यता राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश विशिष्ट होती है, अर्थात अनुसूचित जनजाति की सूची प्रत्येक राज्य के लिये अलग-अलग होती है।
  • कोई समुदाय, जो एक राज्य में अनुसूचित जनजति के रूप में वर्गीकृत है, आवश्यक नहीं है, की वो किसी अन्य राज्य में भी अनुसूचित जनजाति ही माना जाये।

अनुसूचित जनजाति के मानदंड

  • संविधान में किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत करने के लिये कोई मानदंड नहीं बताये गए है।
  • आदिम जीवनशैली, संकोची स्वाभाव तथा सामाजिक और भौगोलिक अलगाव एवं शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन कुछ ऐसे लक्षण है, जो इन्हें अन्य समुदायों से अलग साबित करते है।

अनुसूचित जनजाति को प्राप्त होने वाले लाभ

  • सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ।
  • शिक्षा संस्थाओ में प्रवेश में आरक्षण।
  • अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम की तरफ से रियायती ऋण का लाभ।
  • सरकार की तरफ से दी जा रही छात्रवृत्तियों का लाभ।
  • संविधान का अनुच्छेद 243(घ), पंचायतो में अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 330, लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 332, विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
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