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‘ई-जीरो एफ.आई.आर’ पहल

भारत में वित्तीय साइबर अपराधों में वृद्धि के मद्देनज़र, पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने एवं धन की पुनर्प्राप्ति (रिकवरी) की प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने के लिए गृह मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने ‘ई-जीरो एफ.आई.आर.’ (e-Zero FIR) पहल की शुरुआत की है जिसका उद्देश्य उच्च-मूल्य वाले साइबर धोखाधड़ी मामलों को स्वचालित रूप से प्राथमिकी (FIR) में परिवर्तित करना है।

क्या होती है ज़ीरो एफ.आई.आर. 

  • जब एक पुलिस स्टेशन अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर किए गए कथित अपराध के लिए एफ.आई.आर. दर्ज करता है तो इसे ज़ीरो एफ.आई.आर. कहा जाता है। 
  • इसे आगे की जाँच के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया जाता है। इसका कोई नियमित एफ.आई.आर. नंबर नहीं होता है। 
  • इसकी शुरुआत जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिशों के बाद हुई, जिसे वर्ष 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के बाद गठित किया गया था। 

‘ई-जीरो एफ.आई.आर’ पहल की प्रमुख विशेषताएँ 

  • पायलट परियोजना के रूप में : यह प्रणाली दिल्ली में पायलट आधार पर प्रारंभ की गई है। इसे शीघ्र ही देशव्यापी स्तर पर लागू किया जाएगा।
  • धोखाधड़ी की सीमा : 10 लाख से अधिक की वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें यदि 1930 हेल्पलाइन या cybercrime.gov.in पोर्टल पर दर्ज की जाती हैं तो वे स्वतः जीरो एफ.आई.आर. में परिवर्तित हो जाएंगी।
  • एकीकृत प्रक्रिया : यह प्रणाली I4C के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP), दिल्ली पुलिस के ई-एफ.आई.आर. तंत्र तथा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (CCTNS) के एकीकरण पर आधारित है।
  • एफ.आई.आर प्रक्रिया : शिकायत मिलने के साथ ही ई-क्राइम पुलिस स्टेशन, दिल्ली में जीरो एफ.आई.आर. दर्ज होगी, जिसे तत्परता से संबंधित क्षेत्रीय साइबर थानों को अग्रेषित किया जाएगा। शिकायतकर्ता 3 दिनों के भीतर साइबर थाना जाकर इसे नियमित एफ.आई.आर. में परिवर्तित कर सकते हैं।
  • कानूनी आधार : यह प्रक्रिया भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173(1) एवं धारा 173(1)(ii) के अनुरूप है। इससे संबंधित कानूनी वैधता सुनिश्चित की गई है।

लाभ

  • प्राथमिकी में स्वचालित रूपांतरण : इससे शिकायतों के पंजीकरण में देरी समाप्त होगी और जाँच प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ हो सकेगी।
  • धन की त्वरित वसूली : प्राथमिकी दर्ज होने के बाद बैंकिंग एवं डिजिटल ट्रेसिंग तंत्र सक्रिय हो सकते हैं जिससे पीड़ित को धन वापसी की संभावना बढ़ती है।
  • नागरिकों में विश्वास में वृद्धि : यह पहल डिजिटल इंडिया की भावना को मजबूत करती है और साइबर सुरक्षा पर सरकार की गंभीरता को दर्शाती है।
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