| (UPSC GS-1, GS-3: Food Security, Agriculture, Environment, Climate Change) |
संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) हर दो वर्षों में SOLAW रिपोर्ट जारी करता है। SOLAW 2025 भूमि, मृदा एवं जल संसाधनों की अदृश्य (hidden) तथा अप्रयुक्त (untapped) क्षमता के बेहतर, संधारणीय उपयोग पर केंद्रित है, ताकि:
- कृषि की उत्पादकता और दक्षता बढ़े,
- खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो,
- जलवायु परिवर्तन के प्रति रेसिलिएंस (अनुकूलन क्षमता) विकसित हो, और
- पारिस्थितिक तंत्र सेवाएँ संरक्षित रहें।
रिपोर्ट भूमि तथा जल संसाधनों पर बढ़ते दबाव, प्रदूषण और मांग-आपूर्ति असंतुलन की चुनौतियों को रेखांकित करती है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
बढ़ती वैश्विक मांग और कृषि पर दबाव
- 2050 तक वैश्विक जनसंख्या बढ़ने से → 2012 की तुलना में 50% अधिक खाद्य, चारा और फाइबर उत्पादन की आवश्यकता होगी।
- ताज़े जल की मांग 25% तक बढ़ेगी।
महत्व क्यों ?
कृषि संसाधनों पर सबसे बड़ा दबाव आबादी, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न हो रहा है।
कृषि भूमि विस्तार की कोई गुंजाइश नहीं रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि:
- दुनिया में कृषि भूमि का विस्तार अब लगभग समाप्त हो चुका है।
- बचा हुआ विकल्प: सीमित उपलब्ध भूमि व जल संसाधनों से अधिक उत्पादन निकालना।
भूमि व जल का क्षरण – गंभीर चुनौती
मानव-जनित Land Degradation
- वैश्विक स्तर पर 60% से अधिक क्षरण (degradation) का प्रभाव सीधे कृषि भूमि पर।
- कृषि भूमि का अत्यधिक दोहन → उपजाऊ मृदा का नुकसान, कार्बन भंडारण में कमी, पारिस्थितिक असंतुलन।
जल संसाधन संकट
- कृषि क्षेत्र विश्व के 70% से अधिक ताजे जल का उपयोग करता है।
- सिंचाई स्रोतों पर अत्यधिक निर्भरता और गिरता भूजल स्तर चुनौती को बढ़ाते हैं।
गहन कृषि (Intensive agriculture)
समाधान और अवसर: संधारणीय कृषि उत्पादन
SOLAW 2025 रिपोर्ट “उत्पादकता सुधार” को 3 प्रमुख स्तंभों में समझाती है:
A. भूमि उत्पादकता में वृद्धि
मुख्य उपाय
- Yield Gap को कम करना
- वास्तविक उपज और संभावित उपज के बीच का अंतर घटाना।
- बेहतर बीज, उर्वरक प्रबंधन, आधुनिक सिंचाई।
- स्थानीय जलवायु के अनुकूल (Climate-resilient) फसलें
- सूखा-सहिष्णु, लवणता-सहिष्णु और तेज तापमान सहन करने वाली किस्में।
- संधारणीय फसल प्रबंधन
- Integrated Nutrient Management (INM)
- Integrated Pest Management (IPM)
- पोषक तत्व पुनर्चक्रण (nutrient recycling)
B. वर्षा-आधारित (Rainfed) कृषि की उत्पादकता में वृद्धि
Rainfed खेती विश्व की कुल कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा है, लेकिन उत्पादकता कम है।
रिपोर्ट द्वारा सुझाए गए उपाय
- Conservation Agriculture
- न्यूनतम जुताई
- फसल अवशेषों का संरक्षण
- फसल चक्र (crop rotation)
- सूखा-सहिष्णु तकनीकें
- मृदा नमी संरक्षण
- माइक्रो-इरिगेशन
- फसल विविधीकरण
- स्थानीय समुदाय आधारित नवाचार
- उदाहरण: गोरखपुर, भारत – “Effective Microorganism Management” से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
C. एकीकृत कृषि-पद्धतियाँ (Integrated Production Systems)
रिपोर्ट बहु-आयामी कृषि मॉडल अपनाने पर बल देती है:
- Agroforestry (कृषि-वानिकी)
- Rotational grazing (घूर्णी चराई)
- Improved forage crops (उन्नत चारा फसलें)
- Rice–fish farming (धान की खेती + मछली पालन)
इनसे:
- आय स्रोत विविध होते हैं,
- भूमि की उत्पादकता में वृद्धि होती है,
- जलवायु जोखिम कम होता है।
संस्थागत क्षमता निर्माण
कृषि विस्तार सेवाएँ (Agricultural Extension Services)
FAO के Farmer Field Schools (FFS) मॉडल
- किसानों को व्यावहारिक फील्ड-आधारित प्रशिक्षण।
- उदाहरण: आंध्र प्रदेश
- FFS ने “Community-managed Natural Farming” को बढ़ावा दिया।
- स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र, मिट्टी की सेहत और किसानों की आजीविका में सुधार।
SOLAW 2025 का वैश्विक महत्व
- Food Security & SDG Goals
- SDG-2 (Zero Hunger)
- SDG-6 (Clean Water)
- SDG-15 (Life on Land)
- Climate Resilience
- जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि-उत्पादन जोखिम बढ़े हैं।
- संधारणीय भूमि व जल प्रबंधन जलवायु-झटकों से सुरक्षा देते हैं।
- Geo-political relevance
- भूमि व जल संसाधन संघर्षों का केंद्र बनते जा रहे हैं।
- बेहतर प्रबंधन से वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित होती है।
- Economic implications
- भूमि क्षरण से वैश्विक GDP में 10% तक संभावित हानि।
- जल संकट वैश्विक कृषि व्यापार को प्रभावित करेगा।
नीति संबंधी सुझाव (Policy Recommendations)
- भूमि व मृदा स्वास्थ्य पुनर्स्थापन
- मृदा जैविक कार्बन बढ़ाना
- पुनर्योजी खेती (regenerative agriculture)
- भूमि क्षरण रोकने के कार्यक्रम
- जल प्रबंधन सुधार
- Water-use efficiency (WUE)
- माइक्रो-इरिगेशन (ड्रिप, स्प्रिंकलर)
- Aquifer recharge
- रासायनिक उपयोग कम करना
- जैविक तरीकों को बढ़ावा
- IPM, INM का विस्तार
- फसल विविधीकरण और जलवायु-सहिष्णु फसलें
- मिलेट्स, पल्सेज, दालें
- बहु-स्तरीय कृषि मॉडल
- किसान क्षमता निर्माण
- Farmer Field School मॉडल
- डिजिटल कृषि ज्ञान प्लेटफ़ॉर्म