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राजकोषीय समेकन (fiscal consolidation)

प्रारंभिक परीक्षा –  राजकोषीय समेकन (fiscal consolidation)
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3, भारतीय अर्थव्यवस्था

संदर्भ 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान घोषणा की कि केंद्र सरकार वर्ष 2024-25 में अपने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5.1% के स्तर तक लाएगी।

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प्रमुख बिंदु 

  • केंद्रीय वित्त मंत्री के अनुसार वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5% के स्तर तक लाया जाएगा
  • सरकार के संशोधित अनुमानों ने 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे के अनुमान को भी घटाकर सकल घरेलू उत्पाद का 5.8% कर दिया है ।
  • वर्ष 2024-25 में सरकार की कर प्राप्तियां ₹26.02 लाख करोड़ होने की उम्मीद है। कुल राजस्व ₹30.8 लाख करोड़ होने का अनुमान है।

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  •  केंद्र सरकार का कुल खर्च ₹47.66 लाख करोड़ होने का अनुमान है।

राजकोषीय समेकन 

  • राजकोषीय समेकन सरकार द्वारा शुरू की गई नीतियों का एक समूह है जिससे सरकारी घाटे और ऋण संचय को कम किया जा सके।
  • बेहतर आर्थिक विकास से घाटे पर अंकुश लगाया जा सकता है जिससे अधिक राजस्व प्राप्त हो और व्यय कम हो।
  • राजस्व बढ़ाकर और व्यय घटाकर राजकोषीय समेकन प्राप्त किया जा सकता है।
  • राजकोषीय घाटा सरकार के वित्तीय स्वास्थ्य का सबसे महत्वपूर्ण संकेतक है।
  • यह सरकारी उधार की राशि का प्रतिनिधित्व करता है।
  • सरकार के दो प्रमुख घाटे  होते हैं : राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा।

राजस्व घाटा

  •  सरकार का कुल राजस्व व्यय उसकी कुल राजस्व प्राप्तियों से अधिक हो, अर्थात शुद्ध आय शुद्ध व्यय से कम हो जाती है, तो राजस्व घाटा होता है।
  •  यह घाटा तब होता है जब राजस्व या व्यय की वास्तविक राशि बजटीय राजस्व या व्यय के अनुरूप नहीं होती है।

राजस्व घाटा = कुल राजस्व व्यय- कुल राजस्व प्राप्तियां

राजकोषीय घाटा

  •  राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और कुल प्राप्तियाँ (उधार को छोड़कर) के बीच का अंतर होता है।
  • राजकोषीय घाटा= कुल व्यय(राजस्व +पूंजीगत) – कुल प्राप्तियां (राजस्व+पूंजीगत(उधार और अन्य देयताए छोड़कर)
  •  किसी देश के राजकोषीय घाटे को सामान्य तौर पर इसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है।
  • राजकोषीय नीति कुल मांग को प्रभावित करने के लिए सरकारी खर्च, करों और हस्तांतरण का उपयोग करती है और वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP ) को प्रभावित करती है।

राजकोषीय घाटे का वित्तपोषण

  • सरकार राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए बांड बाजार से पैसा उधार लेती है, जहां ऋणदाता सरकार द्वारा जारी बांड खरीदकर सरकार को ऋण देते हैं।
  •  भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जैसे केंद्रीय बैंक भी क्रेडिट बाजार में प्रमुख हितधारक हैं।
  •  RBI बांडों को 'ओपन मार्केट ऑपरेशंस' के माध्यम से खरीदता है, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में उच्च धन आपूर्ति और उच्च कीमतें भी हो सकती हैं।
  • सरकारी बांड को आम तौर पर जोखिम-मुक्त माना जाता है क्योंकि सरकार केंद्रीय बैंक के मदद से ऋणदाताओं को भुगतान कर सकती है।
  • मौद्रिक नीति इस बात में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि सरकारों को बाज़ार से पैसा उधार लेने में कितनी लागत आती है।
  • केंद्रीय बैंक की ऋण दरें जो महामारी से पहले कई देशों में शून्य के करीब थीं, महामारी के बाद तेजी से बढ़ी हैं।
  • इससे सरकारों के लिए पैसा उधार लेना अधिक महंगा हो जाता है और यही कारण है कि केंद्र अपने राजकोषीय घाटे को कम करना चाहती है।

राजकोषीय घाटा के मायने

  •  सरकार के राजकोषीय घाटे और देश में मुद्रास्फीति के बीच एक मजबूत सीधा संबंध होता है।
  •  जब किसी देश की सरकार लगातार उच्च राजकोषीय घाटे में होती है, तो उच्च मुद्रास्फीति हो सकती है क्योंकि सरकार को अपने राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए नए धन का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
  • राजकोषीय घाटा बाजार को सरकार द्वारा बनाए गए राजकोषीय अनुशासन का भी संकेत देता है।
  • इस प्रकार कम राजकोषीय घाटा भारत सरकार के बांडों को दी गई रेटिंग में सुधार करने में मदद कर सकता है। 
  • जब सरकार कर राजस्व के माध्यम से अपने खर्च का अधिक वित्तपोषण करने और कम उधार लेने में सक्षम होती है, तो इससे ऋणदाताओं को अधिक विश्वास होता है और सरकार की उधार लेने की लागत कम हो जाती है।
  • कम राजकोषीय घाटा सरकार को विदेशों में अपने बांड अधिक आसानी से बेचने और सस्ता ऋण प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

राजकोषीय समेकन के उपकरण

सरकारी खर्च:

  • सरकारी खर्च का आर्थिक उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
  • सरकारी व्यय को सरकारी अंतिम उपभोग व्यय के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है क्योंकि इसमें समुदाय के लाभ के लिए वस्तुओं और सेवाओं का अधिग्रहण करती है।
  • सरकारी खर्च सकल पूंजी निर्माण, अनुसंधान और बुनियादी ढांचे पर किया जाता है।
  • सरकार को बुनियादी ढांचे पर खर्च कम करना चाहिए और राजकोषीय समेकन का पालन करने के लिए संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करना चाहिए।

स्थानांतरण भुगतान:

  • स्थानांतरण भुगतान में  सामाजिक कल्याण कार्यक्रम, सब्सिडी और सामाजिक सुरक्षा के माध्यम से व्यक्तियों को सरकारी भुगतान शामिल  होता है।
  • राजकोषीय समेकन करते समय हस्तांतरण भुगतान और कल्याण पर खर्च कम हो जाता है।

कर:

  •  करों में परिवर्तन से उपभोक्ता की आय प्रभावित होती है और उपभोग में परिवर्तन से वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में परिवर्तन होता है।
  • परिणामस्वरूप सरकार कराधान में बदलाव करके आर्थिक उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।

राजकोषीय समेकन से संबंधित 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें 

  • केंद्र सरकार को राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2012 में 6.8% के मुकाबले 2025-26 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद के 4% तक कम करना चाहिए।
  • राज्य सरकारों का राजकोषीय घाटा 2021-22 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 4%  अगले वर्ष 3.5% और अगले तीन वर्षों के लिए 3% होना चाहिए।
  • राज्य सरकारों के लिए उधार सीमा 2021-22 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 4%, 2022-23 में 3.5% और 2023-24 से 2025-26 तक जीएसडीपी का 3% तय की जानी चाहिए।

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान घोषणा की कि केंद्र सरकार वर्ष 2024-25 में अपने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5.1% तक कम करेगा।
  2. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) क्रेडिट बाजार में प्रमुख हितधारक हैं।
  3. राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और कुल प्राप्तियाँ (उधार को छोड़कर) के बीच का अंतर होता है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

 (c) सभी तीनों 

(d)  कोई भी नहीं 

उत्तर: (c)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : राजकोषीय समेकन क्या है? राजकोषीय समेकन  के महत्त्व प्रमुख का उल्लेख कीजिए।

स्रोत: the hindu

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