New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

राजकोषीय घाटा ( fiscal deficit )

( प्रारंभिक परीक्षा के लिये - राजकोषीय घाटा,राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रवंधन अधिनियम 2003, एनके सिंह समिति)
( मुख्य परीक्षा के लिये:सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - सरकारी बजट )

चर्चा में क्यों

  • केंद्र सरकार के आँकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त तक देश का राजकोषीय घाटा निर्धारित किए बजट अनुमान का 32.6 प्रतिशत हो गया है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 31.1 प्रतिशत पर था।
  • केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 16.61 लाख करोड़ रुपये रखा है, जो कि जीडीपी का 6.4 प्रतिशत है।

राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)

  • एक वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार द्वारा किये गए व्यय (ऋण पुनर्भुगतान को छोड़कर) और सरकार की आय (ऋण प्राप्तियों को छोड़कर) के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं।  
  • यह उस धन को दर्शाता है, जिसे सरकार को अपनी व्यय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये उधार लेने के आवश्यकता होती है। 
  • इसे जीडीपी के प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है। 
  • राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम 2003 ने 31 मार्च 2021 तक सरकार को अपना राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3 प्रतिशत तक करने का सुझाव दिया था। 
  • एनके सिंह समिति द्वारा सिफारिश की गई थी कि सरकार को 31 मार्च, 2020 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3 प्रतिशत तक किया जाना चाहिये, जिसे वर्ष 2020-21 में 2.8 प्रतिशत तक और वर्ष 2023 तक 2.5 प्रतिशत तक कम करना चाहिये।

राजकोषीय घाटा होने के कारण 

  • राजकोषीय घाटा आमतौर पर राजस्व में कमी या पूंजीगत व्यय में अत्यधिक वृद्धि के कारण होता है।
  • कच्चे तेल का अधिक आयात करने के कारण सरकार के व्यय में वृद्धि होती है, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ता है।
  • सोने का अधिक आयात करने से भी राजकोषीय घाटे की मात्रा में वृद्धि होती है। 
  • सरकारी उधार की अधिक मात्रा होने के कारण अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है, जिससे व्यय में वृद्धि होती है। 
  • सरकार द्वारा खाद्य, उर्वरक, निर्यात मदों आदि पर दी जाने वाली सब्सिडी के कारण भी सरकार के व्यय में वृद्धि होती है।

राजकोषीय घाटा अधिक होने के प्रभाव 

  • राजकोषीय घाटा अधिक होने से क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा देश की क्रेडिट रेटिंग कम कर दी जाती है। जिससे निवेशक सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने के बदले में सरकार से अधिक ब्याज की मांग करते है।
  • सरकारी प्रतिभूतियों के ना बिक पाने की स्थिति में रिज़र्व बैंक द्वारा उन्हें ख़रीदा जाता है, जिसके लिये रिज़र्व बैंक को और अधिक नोट छापने की आवश्यकता पड़ती है, जिससे मुद्रास्फीति में वृद्धि होती है। 
  • रिज़र्व बैंक द्वारा अधिक नोट छापकर राजकोषीय घाटे को कम करने की प्रक्रिया को घाटे का मुद्रीकरण कहते हैं। 
  • देश की क्रेडिट रेटिंग अच्छी ना होने से आने वाले विदेशी निवेश की मात्रा में भी कमी आती है। 
  • अधिक राजकोषीय घाटा होने से सरकार ऋण जाल में फंस जाती है, क्योंकि राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिये सरकार को ऋण लेना पड़ता है, जिसके ब्याज के भुगतान में अधिक धनराशी खर्च होने से सरकार का राजकोषीय घाटा और भी बढ़ जाता है। 
  • सरकार द्वारा बैंकों से ऋण लेने के कारण निजी क्षेत्र के लिये ऋण उपलब्ध ना होने से औद्योगिक विकास प्रभावित हो सकता है। 
  • कुछ लोगों द्वारा राजकोषीय घाटे के यथोचित स्तर को एक सकारात्मक आर्थिक घटना माना जाता है, क्योंकि राजकोषीय घाटे का अर्थ होता है कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं पर अधिक व्यय कर रही है, जिससे विकास को बढ़ावा मिलेगा और मांग में वृद्धि होगी। 
  • इससे अर्थव्यवस्था का विकास होगा क्योंकि मांग बढ़ने से उत्पादन में वृद्धि करनी होगी, जिससे रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी।

राजकोषीय घाटा कम करने के उपाय 

  • राजकोषीय घाटे को कम करने के लिये सरकार को कर और गैर-कर प्राप्तियों के माध्यम से राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि करनी चाहिए। इसके लिए कर की दरों में वृद्धि की जा सकती है। 
  • राजस्व व्यय में कमी करके भी राजकोषीय घाटे को कम किया जा सकता है। 
  • सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी की मात्रा को युक्तियुक्त बना कर भी राजकोषीय घाटा को कम किया जा सकता है। 
  • सरकार को बुनियादी ढाँचा निवेश के लिये प्राइवेट क्षेत्र को प्रोत्साहन देना चाहिये जिससे सरकार का व्यय कम हो सके। 
  • बॉन्ड जारी कर के सरकार पूंजी बाजार से फंड जुटा सकती है। 
  • सरकारी उपक्रमों के विनिवेश के द्वारा भी राजकोषीय घाटा की मात्रा में कमी की जा सकती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X