- वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राजस्थान की सिलीसेढ़ झील और छत्तीसगढ़ के कोपरा जलशय को रामसर स्थल के रूप में घोषित किया।
- इस घोषणा के साथ भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 96 हो गई है, जो एशिया में सबसे अधिक है।
कोपरा जलशय :-
- कोपरा जलशय, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित है।
- यह महानदी नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में स्थित एक जलाशय है
- यह छत्तीसगढ़ का पहला तथा देश का 95वां रामसर स्थल है।
सिलीसेढ़ झील
- सिलीसेढ़ झील राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है।
- यह राजस्थान का 5वां तथा देश का 96वां रामसर स्थल है।
- इससे पहले राजस्थान में 4 रामसर स्थल थे।
रामसर कन्वेंशन: आर्द्रभूमि संरक्षण की वैश्विक संधि
- रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) आर्द्रभूमियों (Wetlands) के संरक्षण और उनके सतत उपयोग के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।
- यह संधि 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में अपनाई गई थी और इसे 21 दिसंबर 1975 को लागू किया गया।
- इस संधि का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों को संरक्षित करना और उनके विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना है।
- इन्हे Kidneys of the Earth कहा जाता है
महत्वपूर्ण तथ्य:-
रामसर कन्वेंशन के तीन मुख्य उद्देश्य
- आर्द्रभूमियों का संरक्षण और सतत उपयोग
- स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देना
- रामसर स्थलों की निगरानी और प्रबंधन करना
भारत और रामसर कन्वेंशन
महत्वपूर्ण तथ्य:-
|
बिंदु
|
जानकारी
|
|
भारत की सदस्यता
|
1 फरवरी 1982
|
|
भारत में कुल रामसर स्थल (जनवरी 2024 तक)
|
96
|
|
सबसे पहला रामसर स्थल (1981)
|
चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)
|
|
सबसे बड़ा रामसर स्थल
|
सुंदरबन डेल्टा (पश्चिम बंगाल)
|
|
सबसे छोटा रामसर स्थल
|
रुद्रसागर झील (त्रिपुरा)
|
|
2022 में सबसे ज्यादा जोड़े गए स्थल (11 स्थल)
|
15 अगस्त 2022 को
|
भारत में रामसर स्थलों की सूची
|
राज्य
|
रामसर स्थल
|
|
आंध्र प्रदेश
|
-
कोल्लेरु झील
|
|
असम
|
-
दीपोर बील
|
|
बिहार
|
-
कंवर झील
-
नागी पक्षी अभयारण्य
-
नकटी पक्षी अभयारण्य
-
गोकुल जलाशय (बक्सर)
-
उदयपुर झील (पश्चिमी चंपारण)
-
गोगाबील झील (कटिहार)
|
|
गोवा
|
-
नंदा झील
|
|
गुजरात
|
-
खिजड़िया पक्षी अभयारण्य
-
नलसरोवर पक्षी अभयारण्य
-
थोल झील
-
वधवाना वेटलैंड
|
|
हरियाणा
|
-
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान
-
भिण्डावास वन्यजीव अभयारण्य
|
|
हिमाचल प्रदेश
|
-
चन्द्र ताल झील
-
पोंग डैम झील
-
रेणुका झील
|
|
जम्मू और कश्मीर
|
-
होकरसर वेटलैंड
-
ह्यगाम वेटलैंड
-
शालबुघ वेटलैंड
-
सुरिंसर झील और मानसर झील
-
वुलर झील
|
|
कर्नाटक
|
-
रंगनाथिटु पक्षी अभयारण्य
-
मगदी केरे संरक्षण रिजर्व
-
अंकसमुद्र पक्षी संरक्षण रिजर्व
-
अघनाशिनी मुहाना
|
|
केरल
|
-
अष्टमुडी वेटलैंड
-
सस्थमकोट्टा झील
-
वेम्बनाड कोल वेटलैंड
|
|
छत्तीसगढ़
|
-
कोपरा जलशय
|
|
लद्दाख
|
-
त्सो कार झील
-
त्सोमोरिरी झील
|
|
मध्य प्रदेश
|
-
भोज वेटलैंड
-
साख्य सागर
-
सिरपुर झील
-
यशवंत सागर
-
तवा जलाशय
|
|
महाराष्ट्र
|
-
लोनार झील
-
नांदुर मदमहेश्वर
-
ठाणे क्रीक
|
|
मणिपुर
|
-
लोकतक झील
|
|
मिजोरम
|
-
पाला वेटलैंड
|
|
ओडिशा
|
-
अंसुपा झील
-
भीतरकनिका मैंग्रोव
-
चिल्का झील
-
हीराकुंड जलाशय
-
सतकोसिया गॉर्ज
-
ताम्पारा झील
|
|
पंजाब
|
-
ब्यास संरक्षण रिजर्व
-
हरिके वेटलैंड
-
कांजली वेटलैंड
-
केशोपुर-मियानी सामुदायिक रिजर्व
-
नांगल वन्यजीव अभयारण्य
-
रोपड़ वेटलैंड
|
|
राजस्थान
|
-
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
-
सांभर झील
-
मेनार वेटलैंड
-
खीचन वेटलैंड साइट
-
सिलीसेढ़ झील
|
|
तमिलनाडु
|
-
चित्रांगुडी पक्षी अभयारण्य
-
मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व
-
कांजिरनकुलम पक्षी अभयारण्य
-
करिकिली पक्षी अभयारण्य
-
कूंथनकुलम पक्षी अभयारण्य
-
पल्लीकरनई मार्श रिजर्व वन
-
पिचवरम मैंग्रोव
-
प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य
-
सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स
-
उदयमार्थण्डपुरम पक्षी अभयारण्य
-
वडावुर पक्षी अभयारण्य
-
वेदांतंगल पक्षी अभयारण्य
-
वेलोडे पक्षी अभयारण्य
-
वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स
-
काझुवेली पक्षी अभयारण्य
-
नंजरायण पक्षी अभयारण्य
-
कराईवेट्टी पक्षी अभयारण्य
-
लांगवुड शोला रिजर्व वन
-
सक्करकोट्टई पक्षी अभयारण्य
-
थेर्थंगल पक्षी अभयारण्य
|
|
त्रिपुरा
|
-
रुद्रसागर झील
|
|
उत्तर प्रदेश
|
-
बखिरा वन्यजीव अभयारण्य
-
हैदरपुर वेटलैंड
-
नवाबगंज पक्षी अभयारण्य
-
पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य
-
समन पक्षी अभयारण्य
-
समसपुर पक्षी अभयारण्य
-
सांडी पक्षी अभयारण्य
-
सरसई नवार झील
-
सूर सरोवर
-
ऊपरी गंगा नदी
|
|
उत्तराखंड
|
-
आसन बैराज
|
|
झारखंड
|
-
उधवा झील।
|
|
पश्चिम बंगाल
|
-
पूर्वी कोलकाता वेटलैंड्स
-
सुंदरबन वेटलैंड
|
|
सिक्किम
|
-
खेचोपलरी वेटलैंड
|
- भारत में रामसर स्थलों की सर्वाधिक संख्या तमिलनाडु (20) में है
- इसके बाद उत्तर प्रदेश में 10 रामसर स्थल हैं।
अन्य प्रमुख राज्य और उनके रामसर स्थल:-
- राजस्थान – केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, सांभर झील
- गुजरात – खिजड़िया पक्षी अभयारण्य, थोल झील
- मध्य प्रदेश – सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, भोज आर्द्रभूमि
- बिहार – केवलदिझार झील, काबर ताल
- केरल – अष्टमुदी झील, वेम्बनाड कोल आर्द्रभूमि
- पश्चिम बंगाल – सुंदरबन डेल्टा, ईस्ट कोस्ट आर्द्रभूमि
- ओडिशा – चिल्का झील, भीतरकनिका मैंग्रोव
रामसर कन्वेंशन के तहत आर्द्रभूमियों के प्रकार
रामसर संधि के अनुसार, आर्द्रभूमियों को तीन भागों में बांटा गया है:
- समुद्री और तटीय आर्द्रभूमियां - मैंग्रोव, मूंगा चट्टानें, समुद्री खाड़ियों और लैगून
- नदी और झीलें - झीलें, नदियों के डेल्टा, जलाशय
- कृत्रिम आर्द्रभूमियां - चावल के खेत, जलाशय, झीलें
भारत में रामसर स्थलों का महत्व
- जैव विविधता संरक्षण: आर्द्रभूमियां वन्यजीवों और पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास प्रदान करती हैं।
- जल संसाधन संरक्षण: ये जल संचयन और बाढ़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- पर्यटन और अर्थव्यवस्था: रामसर स्थल इको-टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं।
- कार्बन अवशोषण: आर्द्रभूमियां ग्रीनहाउस गैसों को अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करती हैं।
आर्द्रभूमियों का महत्व

- पर्यावरण संतुलन बनाए रखना: ये जलवायु को संतुलित करने में मदद करती हैं।
- बाढ़ नियंत्रण: भारी वर्षा के दौरान जल को सोखकर बाढ़ से बचाव करती हैं।
- जल शुद्धिकरण: गंदे पानी को साफ करने में सहायक होती हैं।
जैव विविधता का संरक्षण: पक्षियों, मछलियों और अन्य जीवों के लिए महत्वपूर्ण आवास हैं।
- मानव जीवन पर प्रभाव: मछली पालन, कृषि, पर्यटन और जल आपूर्ति में सहायक होती हैं।
वेटलैंड्स को बचाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
- प्लास्टिक और कचरे को जल स्रोतों में फेंकने से बचें।
- आर्द्रभूमियों में अनावश्यक अतिक्रमण न करें।
- स्थानीय समुदायों को जागरूक करें और पर्यावरणीय कार्यक्रमों में भाग लें।
- वनों की कटाई को रोकें और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें।
- सरकार और पर्यावरण संगठनों के प्रयासों में सहयोग करें।