हाल ही में, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (GI Registry) द्वारा आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध पोंडुरु खादी (Ponduru Khadi) को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया गया है।
पोंडुरु खादी से संबंधित प्रमुख बिंदु
- उत्पाद: यह आंध्र प्रदेश का एक विशेष प्रकार का हाथ से बना सूती कपड़ा है।
- स्थानीय नाम: इसे स्थानीय रूप से ‘पटनुलु’ के नाम से जाना जाता है।
- स्थान: इसका उत्पादन मुख्यत: श्रीकाकुलम जिले के पोंडुरु गाँव में होता है।
- पहचान: इसे श्रीकाकुलम जिले से ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ (ODOP) योजना के लिए भी नामित किया गया है।
- ऐतिहासिक महत्व: महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता से पहले अपनी पत्रिका ‘यंग इंडिया’ में इस खादी के गुणों का उल्लेख किया था जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।
पोंडुरु खादी की अनूठी विशेषताएँ
पोंडुरु खादी को इसकी उत्पादन प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली विशेष तकनीकों के कारण दुनिया भर में विशिष्ट माना जाता है-
- कच्चा माल (कपास): इसका उत्पादन तीन प्रकार की स्थानीय रूप से उगाई जाने वाली कपास में से किसी एक का उपयोग करके किया जाता है-
- पहाड़ी कपास
- पुनासा कपास या
- लाल कपास (यह श्रीकाकुलम जिले की मूल फसल है)
- हस्तनिर्मित: कपास से लेकर अंतिम कपड़े तक की प्रक्रिया हाथ से पूरी की जाती है।
- सफाई की अनूठी विधि: कपास को साफ करने के लिए वालुगा मछली के जबड़े की हड्डी का उपयोग किया जाता है।
- यह विधि पोंडुरु खादी की एक अनूठी विशेषता है और इसका प्रयोग दुनिया में कहीं और नहीं किया जाता है।
- कताई के उपकरण: पोंडुरु भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ कताई करने वाले अभी भी 24 तीलियों वाले एकल-ध्रुवीय चरखे का उपयोग करते हैं, जिसे ‘गांधी चरखा’ के नाम से भी जाना जाता है।
- धागे की गुणवत्ता: तैयार कपड़े में धागे की गिनती बहुत अधिक होती है जो लगभग 100 से 120 गिनती तक पहुँच जाती है जिससे यह महीन एवं आरामदायक होता है।