चर्चा में क्यों?
एनडीए सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (MGNREGA) को प्रतिस्थापित करने हेतु लोक सभा में विकसित भारत–रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक पेश किया गया।

प्रमुख बिन्दु:
- विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन-ग्रामीण (VB-G RAM G) विधेयक का उद्देश्य विकसित भारत-2047 के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना है।
- यह विधेयक ग्रामीण रोजगार नीति को अधिकार-आधारित सामाजिक सुरक्षा ढांचे से हटाकर एक मिशन-आधारित, अवसंरचना-केंद्रित मॉडल की ओर ले जाता है।
- इस विधेयक में रोजगार दिवसों की वृद्धि और विकासोन्मुख दृष्टिकोण जैसे सकारात्मक पहलू हैं।
प्रस्तावित प्रावधान:
- गारंटीकृत रोजगार दिवसों में परिवर्तन
- नए विधेयक की धारा 5(1) के अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 125 दिनों का गारंटीकृत रोजगार प्रदान करने का प्रस्ताव है, जो MGNREGA के तहत उपलब्ध 100 दिनों से अधिक है।
- वित्तपोषण पैटर्न में मूलभूत बदलाव
- नए विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण और विवादास्पद पक्ष इसका वित्तपोषण ढांचा है। MGNREGA के अंतर्गत अकुशल श्रम की पूरी मजदूरी का भुगतान केंद्र सरकार करती है, जबकि राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता और सामग्री लागत का एक हिस्सा वहन करती हैं।
- इसके विपरीत, VB-G RAM G विधेयक में मजदूरी भुगतान का बोझ भी केंद्र और राज्यों के बीच साझा करने का प्रस्ताव है।
- उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 रखा गया है, जबकि अन्य राज्यों के लिए 60:40 निर्धारित किया गया है।
- “मानक आवंटन” प्रणाली और केंद्रीयकरण
- विधेयक में श्रम बजट की मौजूदा मांग-आधारित प्रणाली को समाप्त कर “मानक आवंटन” व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव है।
- इसके तहत केंद्र सरकार प्रत्येक राज्य के लिए वार्षिक आवंटन तय करेगी और यदि कोई राज्य इस सीमा से अधिक व्यय करता है, तो उसे वह अतिरिक्त खर्च स्वयं वहन करना होगा।
- कृषि मौसम में 60 दिनों का विराम
- बुवाई और कटाई के चरम कृषि मौसमों के दौरान 60 दिनों के लिए रोजगार गारंटी योजना को स्थगित करने का प्रावधान किया गया है।
- इसका उद्देश्य कृषि कार्यों के लिए पर्याप्त श्रम उपलब्ध कराना है।
- विकसित ग्राम पंचायत योजनाएँ और अवसंरचना फोकस
- नए ढांचे के अंतर्गत सभी कार्य विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं से उत्पन्न होंगे और उन्हें ब्लॉक, जिला एवं राज्य स्तर पर समेकित किया जाएगा।
- इन योजनाओं को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक और प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान से जोड़ा जाएगा।
- योजना का फोकस जल सुरक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचा, आजीविका अवसंरचना और चरम मौसम की घटनाओं से निपटने वाले कार्यों पर होगा।
- ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्ड
- MGNREGA के जॉब कार्ड के स्थान पर ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्ड जारी करने का प्रस्ताव है, जिसकी वैधता तीन वर्ष होगी।
- इसके अंतर्गत एकल महिलाओं, दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों, मुक्त बंधुआ मजदूरों, विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को विशेष रंग के कार्ड जारी किए जाएंगे।
- दंड प्रावधान
- नए विधेयक में नियमों के उल्लंघन पर दंड को सख्त किया गया है। जहां MGNREGA में अधिकतम जुर्माना 1,000 रुपये था, वहीं नए कानून में इसे बढ़ाकर 10,000 रुपये करने का प्रस्ताव है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) 2005
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योजना का नाम
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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
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लागू
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2006
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नोडल मंत्रालय
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ग्रामीण विकास मंत्रालय
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लक्ष्य
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ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को 1 वर्ष में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना
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क्रियान्वयन क्षेत्र
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भारत के सभी जिलों में (100% शहरी आबादी वाले जिलों को छोड़कर)
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आधिकारिक वेबसाइट
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nrega.nic.in
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उद्देश्य:
- किसी ग्रामीण परिवार द्वारा मांगे जाने पर गारंटी युक्त रोजगार के रूप में 1 वर्ष में कम से कम 100 दिनों का अकुशल कार्य उपलब्ध कराना।
- ग्रामीण आबादी के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधन आधार का कायाकल्प सुनिश्चित करना।
- समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आजीविका का स्रोत प्रदान करना।
- ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में श्रमिकों के प्रवास को कम करना।
प्रमुख विशेषताएं:
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जो वैधानिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी प्रदान करती है।
- मांग किए जाने के 15 दिनों के भीतर रोजगार उपलब्ध ना होने की स्थिति में आवेदनकर्ता ‘बेरोजगारी भत्ता' (राज्य सरकारों द्वारा वहन) प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
- बेरोजगारी भत्ता शुरुआती 30 दिनों के लिए न्यूनतम मजदूरी का 1/4 और बाद की अवधि के लिए न्यूनतम मजदूरी का ½ प्रदान किया जाता है।
- कार्यान्वयन एजेंसियां श्रमिकों को उचित पेयजल, सुरक्षित कार्य वातावरण, चिकित्सा सुविधाएं, अनुग्रह भुगतान आदि जैसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए भी जिम्मेदार हैं।
- मनरेगा के तहत कम से कम एक तिहाई लाभार्थी महिलाएं होनी चाहिए।
- रोजगार 5 किमी के दायरे में प्रदान किया जाएगा, यदि यह 5 किमी से ऊपर है तो अतिरिक्त मजदूरी का भुगतान किया जाएगा।
- इस योजना के अंतर्गत व्यय का बंटवारा केंद्र और राज्यों के बीच निर्धारित अनुपात में किया जाता है।
- मनरेगा के कार्यों की सामाजिक लेखापरीक्षा अनिवार्य है इससे जवाबदेही और पारदर्शिता में वृद्धि होती है।
- इसका उद्देश्य रोजगार सृजन के अतिरिक्त, परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में सुधार करना, उद्यमशीलता के लिए श्रमिकों का कुशल विकास करना भी है।
- इस योजना ने मजदूरी की अस्थिरता और श्रम में लिंग वेतन अंतर को कम किया है।
मनरेगा के अंतर्गत ग्राम पंचायत की भूमिका
- पंजीकरण के लिए आवेदन प्राप्त करना
- पंजीकरण आवेदनों का सत्यापन करना
- परिवारों का पंजीकरण करना
- जॉब कार्ड जारी करना
- कार्य हेतु आवेदन पत्र प्राप्त करना
- कार्य हेतु इन आवेदनों की दिनांकित रसीदें जारी करना
- आवेदन जमा करने के पंद्रह दिनों के भीतर या अग्रिम आवेदन के मामले में काम मांगे जाने की तारीख से काम आवंटित करना
- कार्यों की पहचान और योजना, परियोजनाओं की सूची विकसित करना
मनरेगा के अंतर्गत शामिल गतिविधियां
- ग्रामीण पेयजल परियोजनाएं
- कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ
- ग्रामीण स्वच्छता परियोजनाएं
- सिंचाई एवं बाढ़ प्रबंधन कार्य
- पशुधन संबंधी कार्य
- मछली पालन
- आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण; आदि
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प्रश्न. विकसित भारत–रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) विधेयक में रोजगार दिवसों की संख्या कितनी प्रस्तावित है?
(a) 90 दिन
(b) 100 दिन
(c) 125 दिन
(d) 150 दिन
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