चर्चा में क्यों?
झारखंड के झरिया कोयला क्षेत्र के केन्दुआडीह में हाल ही में संदिग्ध गैस रिसाव के कारण दो महिलाओं की मौत हो गई। इस घटना ने इलाके में दहशत फैला दी और कई परिवारों को अस्थायी रूप से अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

प्रमुख बिन्दु:
- स्थानीय निवासियों का आरोप है कि भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर रही है,
- ताकि झरिया मास्टर प्लान के तहत उन्हें पुनर्वास के लिए क्षेत्र से बाहर निकाला जा सके।
- गैस का स्तर लगभग 2,000 पीपीएम पहुंच गया, जिसे अधिकारियों ने कार्बन मोनोऑक्साइड के रूप में पहचाना।
बीसीसीएल और खनन क्षेत्र की जानकारी:
- भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल), कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की सहायक कंपनी है।
- गठन: 1971-72 में कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण के बाद।
- झरिया क्षेत्र में बीसीसीएल प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला खनन कंपनी है।
- भूमिगत खदानें 1992 में बंद कर दी गई थीं, लेकिन पुराने खानों में लगी आग और असुरक्षित खनन प्रथाओं के कारण क्षेत्र संवेदनशील बना हुआ है।
पुनर्वास और मास्टर प्लान:
- केन्दुआडीह में रहने वाले लगभग 1,200 परिवार पुनर्वास के पात्र हैं।
- झरिया मास्टर प्लान के तहत बेलगढ़िया में 16,000 आवास इकाइयों का निर्माण किया जा रहा है।
- जून 2025 में संशोधित मास्टर प्लान में घरों का आकार बढ़ाया गया और मुआवजे के मानदंड सुधारे गए।
- उद्देश्य: 2028 तक पुनर्वास प्रक्रिया पूरी करना।
राहत और सुरक्षा उपाय:
- बीसीसीएल और प्रशासन लगातार गैस रिसाव को नियंत्रित करने के प्रयास कर रहे हैं।
- एनडीआरएफ की टीम ने 7 से 11 दिसंबर तक बचाव अभियान चलाया।
- इस दौरान कोई व्यक्ति फंसा नहीं।
- जिला प्रशासन ने मृतक परिवारों को प्रति परिवार 2.5 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की।
निवासियों की प्रतिक्रियाएँ:
- स्थानीय लोगों का आरोप है कि बीसीसीएल जानबूझकर सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर रही है।
- कई परिवार अस्थायी रूप से राजपूत बस्ती से बाहर चले गए।
- 13 दिसंबर को मुख्य सचिव से मुलाकात के बाद निवासियों ने विशाल मशाल रैली का आयोजन किया।
- वे बेलगढ़िया टाउनशिप में नहीं जाना चाहते, क्योंकि यह उनका आजीविका क्षेत्र नहीं है और अविकसित है।
झरिया मास्टर प्लान (JMP):
इतिहास और विकास:
- 1971-72 में कोयला खानों का राष्ट्रीयकरण हुआ और बीसीसीएल ने संचालन संभाला।
- 1992 में असुरक्षित भूमिगत खानों को बंद किया गया।
- 2009 में पहली बार झरिया मास्टर प्लान की घोषणा हुई।
- जून 2025 में संशोधित मास्टर प्लान मंजूर किया गया,
- इसमें फ्लैटों का आकार बढ़ाया गया।
- मुआवजे के मानदंड सुधारे गए।
मुख्य उद्देश्य:
- सुरक्षा: भूमिगत खानों की आग और गैस रिसाव के खतरे से निवासियों की सुरक्षा।
- पुनर्वास: झरिया और आसपास के क्षेत्रों के लगभग 16,000 परिवारों का सुरक्षित पुनर्वास।
- सुविधाएँ: नई टाउनशिप में शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सेवाओं की उपलब्धता।
- आजीविका संरक्षण: निवासियों की आजीविका का ध्यान रखते हुए पुनर्वास की योजना।

झरिया कोलफील्ड:
- झरिया कोलफील्ड, भारत के झारखंड राज्य में स्थित, वर्ष 1916 से संचालित है।
- यह क्षेत्र कोयला खनन का एक प्रमुख केंद्र रहा है।
- राष्ट्रीयकरण से पहले अपनाई गई अव्यूज्ञानिक और असुरक्षित खनन विधियों के कारण इस क्षेत्र में कई चुनौतियाँ सामने आईं।
झरिया में कोयला आग:
- झरिया कोलफील्ड भूमिगत कोयला आग से प्रभावित है।
- पहली बार आग की सूचना 1916 में मिली थी।
- इन आगों ने पर्यावरण और स्थानीय आबादी पर गंभीर प्रभाव डाला:
- स्वास्थ्य संकट (सांस संबंधी रोग और विषाक्त गैस रिसाव)
- भूमि क्षरण और भू-धँसाव की घटनाएँ
- आग का मुख्य कारण पूर्ववर्ती निजी ऑपरेटरों द्वारा अपनाई गई अव्यवस्थित खनन प्रथाएँ थीं।
राष्ट्रीयकरण और सरकारी हस्तक्षेप:
- 1971-72: भारत में कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण।
- 1978: पोलिश टीम और भारतीय विशेषज्ञों ने झरिया क्षेत्र में लगी आग का अध्ययन किया।
- 1996: भारत सरकार ने इस क्षेत्र में आग और भूस्खलन से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया।
वर्तमान स्थिति:
- झरिया क्षेत्र में आग और भू-धँसाव की समस्या अभी भी जारी है।
- सरकारी प्रयास और झरिया मास्टर प्लान (JMP) के तहत निवासियों का पुनर्वास और सुरक्षित आवास प्रदान करना प्राथमिकता है।
- यह क्षेत्र आज भी सुरक्षा, पर्यावरण और पुनर्वास की दृष्टि से संवेदनशील बना हुआ है।
भारत में गैस रिसाव की घटनाओं का इतिहास:
- भोपाल गैस त्रासदी (1984)
- स्थान: भोपाल, मध्य प्रदेश
- उद्घाटन: यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) की कीटनाशक फैक्ट्री
- रिसाव गैस: मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC)
- प्रभाव: लगभग 3,000 मौतें तत्काल, 20,000+ लोग दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार
- विशेष: यह घटना दुनिया की सबसे बड़े औद्योगिक गैस रिसाव दुर्घटना के रूप में दर्ज है।
- कोलकाता गैस रिसाव (2007)
- स्थान: कोलकाता, पश्चिम बंगाल
- रिसाव गैस: फ्लोरिनयुक्त गैस (CFC गैस रिसाव)
- प्रभाव: स्थानीय क्षेत्रों में सांस लेने में समस्या और अस्थायी अस्पताल में भर्ती
- विशेष: औद्योगिक इकाइयों में रखी गैस टैंकों के लीक होने से घटना हुई।
- पुणे गैस रिसाव (2012):
- स्थान: पुणे, महाराष्ट्र
- रिसाव गैस: अमोनिया और अन्य रसायन
- प्रभाव: कुछ लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, आसपास के इलाकों में बचाव अभियान
- विशेष: रासायनिक कारखाने में सुरक्षा मानकों की कमी कारण बनी।
- हैदराबाद गैस रिसाव (2016)
- स्थान: हैदराबाद, तेलंगाना
- रिसाव गैस: क्लोरीन
- प्रभाव: स्थानीय निवासियों में सांस लेने में समस्या, कुछ घायल
- विशेष: जल उपचार संयंत्र में क्लोरीन टैंक रिसाव के कारण।
निष्कर्ष:
- केन्दुआडीह गैस रिसाव ने सुरक्षा निगरानी और खनन क्षेत्रों में सतर्कता की आवश्यकता को उजागर किया है।
- प्रभावित परिवारों का पुनर्वास और क्षेत्र की सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिकता बन गई है।
- बीसीसीएल और जिला प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम, जैसे राहत शिविर और मुआवजा, प्रभावितों की सुरक्षा और विश्वास बहाल करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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प्रश्न. संशोधित झरिया मास्टर प्लान को कब मंजूरी दी गई थी?
(a) 2009
(b) 2015
(c) 2020
(d) 2025
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