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विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट और भारत

(मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2, गरीबी एवं भूख से संबंधित विषय) 

संदर्भ 

  • हाल ही में, विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट प्रकाशित की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी और इसके प्रभावों का सामना करने में असफल रहने के कारण देश में भूख और खाद्य असुरक्षा की व्यापकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में विश्व में 237 करोड़ से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। वर्ष 2019 की तुलना में यह संख्या 32 करोड़ अधिक है।       

    विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट  

    • विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्टखाद्य एवं कृषि संगठनद्वारा प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट को खाद्य एवं कृषि संगठन, अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, विश्व खाद्य कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाता है। 
    • यह रिपोर्ट भूख को समाप्त करने, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने, पोषण में सुधार करने इत्यादि के संबंध में अध्ययन प्रस्तुत करती है।
    • रिपोर्ट में प्रस्तुत खाद्य असुरक्षा के अनुमान वैश्विक स्तर पर स्वीकृत खाद्य असुरक्षा के दो संकेतकों- अल्पपोषण की व्यापकता तथा अनुभव आधारित माध्यम और गंभीर खाद्य असुरक्षा की व्यापकता, पर आधारित हैं।  

    रिपोर्ट में भारत

    • विश्व की कुल खाद्य असुरक्षित आबादी का लगभग 25 प्रतिशत भारत में है।
    • देश में भूख की व्यापकता, जो कि वर्ष 2019 में 14 प्रतिशत थी, के वर्ष 2020 में बढ़कर 15.3 प्रतिशत होने की संभावना है।
    • 2018-20 की अवधि में देश में मध्यम से गंभीर खाद्य असुरक्षा की व्यापकता में लगभग 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
    • देश में कोविड महामारी के प्रकोप के बाद देश में मध्यम से गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले व्यक्तियों की संख्या में लगभग 9.7 करोड़ की वृद्धि हुई है।

    भारत में भुखमरी एवं कुपोषण

    • भारत खाद्य असुरक्षित लोगों की सर्वाधिक संख्या वाला देश है। 2017-19 में खाद्य असुरक्षा के वैश्विक बोझ में भारत का योगदान 22 प्रतिशत था।
    • 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 50 बच्चों की मृत्यु का कारण कुपोषण है।
    • भारत में जन्म लेने वाले लगभग 20 प्रतिशत बच्चे कम भार अर्थात जन्म के समय 2.5 किग्रा. से कम वजन के होते हैं।
    • बड़ी संख्या में बच्चे विभिन्न स्तरों पर सुक्ष्ण पोषक तत्त्वों की कमी से पीड़ित हैं। इसमें जिंक, विटामिन A, विटामिन C, फोलिक अम्ल एवं विटामिन B12 प्रमुख हैं।
    • भारत की लगभग 14 प्रतिशत आबादी अल्पपोषित है, जबकि बच्चों में बौनेपन की दर 37.4 प्रतिशत है।
    • वैश्विक भूख सूचकांक, 2020 में भारत को 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर रखा गया है। यह देश में भूख की गंभीर स्थिति को सूचित करता है।         

      समस्या का स्वरूप 

      • भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर है। इसके बावजूद आर्थिक संकट, बेरोजगारी में वृद्धि तथा उच्च स्तर की असमानता के कारण भूख एवं खाद्य असुरक्षा देश के लिये गंभीर समस्या बनी हुई है।
      • देश की बहुत बड़ी आबादी अनौपचारिक क्षेत्र में संलग्न है, जिससे होने वाली आय बहुत कम एवं अनिश्चित है। ऐसी स्थिति में निर्धन परिवारों के लिये पर्याप्त एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। 

      सरकार द्वारा किये गए प्रयास 

      देश में भुखमरी एवं कुपोषण की समस्या के समाधान के लिये किये गए प्रमुख प्रयास निम्नलिखित हैं-

      • भारतीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013- देश के नागरिकों को वहनीय मूल्य पर गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 को अधिसूचित किया गया है। इसके अंतर्गत 75 प्रतिशत ग्रामीण एवं 50 प्रतिशत शहरी आबादी को सम्मिलित किया गया है।
      • एक राष्ट्र एक राशन कार्डइस योजना से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आने वाले सभी पात्र राशन कार्ड धारकों को देश के किसी भी भाग में राशन प्राप्त हो सकेगा। इससे प्रवासी मजदूरों को विशेषतौर पर लाभ मिलगा।
      • राष्ट्रीय पोषण मिशन- इस योजना को बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण में सुधार के लिये प्रारंभ किया गया है।
      • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना- इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को अनके खातों में 5000 रुपए (तीन किस्तों में) प्रदान किये जाते हैं।

      निष्कर्ष 

      • कोविड-19 महामारी के कारण आई आर्थिक मंदी ने मजदूरों एवं किसानों के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न किया है। ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा सभी को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये महत्त्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है।
      • चूँकि, वर्तमान में सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में अनाज उपलब्ध है, अतः ऐसे में सरकार को चाहिये कि वह राशन कार्डों की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए सभी को राशन की दुकानों से रियायती दरों पर अनाज लेने की छूट प्रदान करे।
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