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खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर पुनर्विचार : कारण और निहितार्थ

(प्रारंभिक परीक्षा- आर्थिक व सामाजिक विकास तथा सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ, गरीबी एवं भूख से संबंधित विषय, बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय)

संदर्भ

हाल ही में, नीति आयोग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA : National Food Security Act), 2013 में कुछ संशोधन प्रस्तावित किये हैं।

संशोधन की आवश्यकता क्यों?

  • एन.एफ.एस.ए. के अंतर्गत पात्र परिवारों को रियायती दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार है। इसमें ‘लक्षित सार्वजनिक प्रणाली’ (टी.पी.डी.एस.) के तहत चावल ₹3 प्रति किग्रा., गेहूँ ₹2 प्रति किग्रा. और मोटे अनाज ₹1 प्रति किग्रा. के दर से प्रदान किये जाते है। इसको ‘केंद्रीय निर्गम मूल्य’ (CIP : Central Issue Prices) कहते हैं।
  • सी.आई.पी. में संशोधन के साथ-साथ जनसंख्या कवरेज और लाभार्थी पहचान मानदंड को अद्यतन करना विचारणीय मुद्दों में शामिल है।
  • इस अधिनियम की धारा 3 के अनुसार, ‘पात्र परिवारों’ की दो श्रेणियाँ हैं, जिसमें ‘प्राथमिकता वाले परिवार’ और ‘अंत्योदय अन्न योजना’ (ए.ए.वाई.) के तहत कवर किये गए परिवार शामिल हैं।
  • प्राथमिकता वाले परिवारों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह 5 किग्रा. खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार है, जबकि ‘अंत्योदय अन्न योजना’ वाले परिवार समान कीमत पर 35 किग्रा. प्रति माह अनाज ले सकते हैं।

रियायती मूल्यों की वैधता अवधि और संशोधन का तरीका

  • अधिनियम के अनुसार, रियायती मूल्यों को अधिनियम लागू होने की तिथि से तीन वर्षो की अवधि के लिये निश्चित किया गया था। राज्यों ने अलग-अलग तिथियों पर इस अधिनियम को लागू किया। तिथियों में एकरूपता के अभाव व अन्य कारणों से सरकार ने अभी तक रियायती कीमतों में संशोधन नहीं किया है।
  • इन कीमतों में संशोधन के लिये सरकार एक अधिसूचना के माध्यम से अनुसूची-I में बदलाव कर सकती है। वर्ष 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी सी.आई.पी. में संशोधन की सिफारिश की गई थी।
  • संशोधित कीमतें गेहूँ और मोटे अनाज के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य और चावल के लिये (लागत) न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक नहीं हो सकती हैं।

क्या है कवरेज की सीमा?

  • अधिनियम में कवरेज का निर्धारण ग्रामीण जनसंख्या के 75% और शहरी जनसंख्या के 50% तक किया गया है। वर्ष 2011 की जनगणना और राष्ट्रीय ग्रामीण व शहरी कवरेज अनुपात के आधार पर वर्तमान में एन.एफ.एस.ए. के अंतर्गत 35 करोड़ व्यक्ति शामिल हैं।
  • इस अधिनियम की धारा 9 जनसंख्या कवरेज को अद्यतन करने से संबंधित है। प्रत्येक राज्य के लिये ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत कवरेज का निर्धारण केंद्र सरकार करती है।

नीति आयोग का प्रस्ताव

  • जनसंख्या में लगातार वृद्धि को देखते हुए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशोंने वार्षिक आधार पर इस सूची को अद्यतन करने की माँग की है। इसी संदर्भ में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने नीति आयोग से एक वैकल्पिक मार्ग सुझाने के लिये कहा था।
  • नीति आयोग ने राष्ट्रीय ग्रामीण और शहरी कवरेज अनुपात को वर्तमान के 75-50 से घटाकर 60-40 करने का सुझाव दिया है और ऐसी स्थिति में वर्ष 2020 की अनुमानित जनसंख्या के आधार पर लाभार्थियों की संख्या घटकर 62 करोड़ रह जाएगी।
  • हालाँकि, इन बदलावों के लिये संसद की स्वीकृति आवश्यक है। साथ ही, कुछ राज्य इसका विरोध भी कर सकते हैं।

केंद्र और राज्यों के लिये संशोधन के निहितार्थ

  • राष्ट्रीय कवरेज अनुपात को कम किये जाने की स्थिति में केंद्र सरकार को लगभग 45 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी।
  • दूसरी ओर, यदि ग्रामीण-शहरी कवरेज अनुपात में कोई बदलाव नहीं किया जाता है तो वर्ष 2020 की अनुमानित जनसंख्या के अनुसार कवरेज में लगभग 8 करोड़ की वृद्धि हो जाएगी और इसके लिये ₹14,800 करोड़ की अतिरिक्त सब्सिडी की आवश्यकता होगी।
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