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भारत में नमक उत्पादन: एक अवलोकन

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)

संदर्भ

नमक (Nacl), जिसे भोजन का स्वाद बढ़ाने वाला एक आवश्यक तत्व माना जाता है, भारत में रासायनिक, औद्योगिक और निर्यात क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, हाल के वर्षों में असामयिक बारिश और जलवायु परिवर्तन ने इस उद्योग को प्रभावित किया है, खासकर छोटे निर्माताओं के लिए।

भारत में नमक उत्पादन: एक अवलोकन

  • भारत विश्व में नमक का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद आता है।
  • देश में प्रतिवर्ष लगभग 30 मिलियन टन नमक का उत्पादन होता है, जिसमें से 70% औद्योगिक उपयोग के लिए और 30% खाद्य उपयोग के लिए होता है।
  • नमक का उत्पादन मुख्य रूप से समुद्री जल, झील के खारे पानी, उप-मृदा खारे पानी और चट्टानी नमक के भंडारों से किया जाता है।
  • सौर वाष्पीकरण प्रक्रिया भारत में नमक उत्पादन का प्रमुख तरीका है, जिसमें समुद्री जल को सौर ऊर्जा की मदद से वाष्पित करके नमक प्राप्त किया जाता है।

प्रमुख उत्पादक राज्य

भारत में नमक उत्पादन मुख्य रूप से तटीय और अंतर्देशीय राज्यों में केंद्रित है। प्रमुख उत्पादक राज्य निम्नलिखित हैं:-

  • गुजरात: यह देश का सबसे बड़ा नमक उत्पादक राज्य है, जो भारत के कुल उत्पादन का लगभग 80% हिस्सा (28.5 मिलियन टन प्रति वर्ष) प्रदान करता है। 
    • गुजरात के प्रमुख नमक उत्पादन क्षेत्रों में कच्छ का लिटिल रन, खाराघोड़ा (सुरेंद्रनगर), भावनगर, पोरबंदर और जामनगर शामिल हैं।
  • तमिलनाडु: थूथुकुडी (तमिलनाडु की नमक राजधानी) 25 लाख टन के वार्षिक लक्ष्य के साथ प्रमुख उत्पादक है। इसके अलावा, तमिलनाडु के नौ तटीय जिले जैसे नागपट्टिनम, चेंगलपट्टु और कोवेलॉन्ग भी प्रमुख योगदान देते हैं।
  • राजस्थान: सांभर झील और नवा, राजस, कुचामन जैसे क्षेत्रों से 8% उत्पादन।
  • आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, और ओडिशा: छोटे पैमाने पर नमक उत्पादन, विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में।
  • पश्चिम बंगाल: कोंटाई, भांडुप और भायंदर जैसे क्षेत्रों में छोटे नमक पैन।

जलवायु परिवर्तन का नमक उत्पादन पर प्रभाव

  • हाल के वर्षों में असामयिक और भारी बारिश ने नमक उत्पादन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। 
  • गुजरात में, जहां 80% नमक का उत्पादन होता है, वर्ष 1983 से 2013 तक सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में औसत वर्षा 378 मिमी. से बढ़कर 674 मिमी. हो गई। 
  • वर्ष 2023 में, मार्च से मई तक 30 गुना अधिक बारिश ने उत्पादन को बाधित किया। 
  • तमिलनाडु के थूथुकुडी में, असामयिक बारिश ने नमक पैन को जलमग्न कर दिया, जिससे नमक का रंग बदल गया और इसकी बाजार में कीमत कम हो गई। 
  • इन प्राकृतिक आपदाओं ने नमक की गुणवत्ता और उत्पादन सीजन को छोटा कर दिया, जिससे निर्माताओं को भारी नुकसान हुआ।

छोटे निर्माताओं और व्यवसायों पर विशेष प्रभाव

छोटे नमक निर्माता, विशेष रूप से गुजरात और तमिलनाडु में, सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। तमिलनाडु में, कोवेलॉन्ग जैसे क्षेत्रों में 15 साल पहले 65 निर्माता थे, जो अब घटकर केवल 4 रह गए हैं। छोटे निर्माताओं को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:

  • उत्पादन में कमी: असामयिक बारिश और बाढ़ ने नमक पैन की तैयारी (बांध बनाना और मिट्टी को दबाना) को नष्ट कर दिया, जिससे उत्पादन लागत बढ़ गई।
  • आर्थिक संकट: कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं होने के कारण, छोटे निर्माता कम कीमतों पर नमक बेचने को मजबूर हैं।
  • श्रमिकों की आजीविका: तमिलनाडु में 3 लाख से अधिक नमक पैन श्रमिक प्रभावित हुए हैं, जिनमें से कई की आय 600 प्रति दिन तक सीमित हो गई है।
  • प्रतिस्पर्धा: गुजरात के बड़े निर्माताओं से तीक्ष्ण प्रतिस्पर्धा ने दक्षिण भारतीय बाजारों में छोटे निर्माताओं की पहुंच को सीमित कर दिया है।

भारत में नमक उत्पादन के समक्ष चुनौतियां

  • असामयिक बारिश और चक्रवात: जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश और चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है, जिससे उत्पादन सीजन छोटा हो रहा है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कमी: नमक को खनन उत्पाद माना जाता है, न कि कृषि उत्पाद, जिसके कारण निर्माताओं को MSP का लाभ नहीं मिलता।
  • जमीन के पट्टे की समस्याएं: केंद्रीय सरकार द्वारा पट्टों को नवीनीकृत न करने और किराए में वृद्धि (₹10 से ₹100 प्रति टन/एकड़/वर्ष) ने छोटे निर्माताओं पर वित्तीय बोझ बढ़ाया है।
  • श्रमिकों की स्थिति: नमक पैन श्रमिकों को उचित मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं (जैसे शौचालय और पेयजल) की कमी है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: सौर नमक उत्पादन से भूमि का अत्यधिक उपयोग और अवशिष्ट खारे पानी से स्थानीय जल स्रोतों का प्रदूषण होता है।

सरकारी पहल

  • राष्ट्रीय आयोडीन कमी विकार नियंत्रण कार्यक्रम (NIDDCP): आयोडीन युक्त नमक के उपयोग को बढ़ावा देना।
  • नमक मजदूर आवास योजना: नमक श्रमिकों के लिए आवास प्रदान करने की योजना।
  • तमिलनाडु सरकार की पहल: तमिलनाडु ने केंद्रीय सरकार की जमीन को अपने कब्जे में लेने की पेशकश की है ताकि छोटे निर्माताओं को पट्टे पर दी जा सके
  • CSMCRI की तकनीकी प्रगति: सौर पैनल, रासायनिक रंग और यांत्रिक प्रक्रिया जैसे नवाचारों के माध्यम से वाष्पीकरण दर को 30-40% तक बढ़ाने की परियोजनाएं।
  • नमक आयुक्त संगठन: नमक उद्योग के विकास में सुविधा प्रदान करता है, हालांकि इसकी भूमिका सीमित हो गई है।

आगे की राह

  • नमक को कृषि उत्पाद के रूप में वर्गीकृत करना: इससे निर्माताओं को MSP और फसल बीमा जैसे लाभ मिल सकते हैं।
  • नए नमक अधिनियम की आवश्यकता: एक समान नीति के साथ एक नोडल एजेंसी की स्थापना, जो उत्पादन, आपूर्ति और क्षेत्रों को विनियमित करे।
  • श्रमिकों के लिए कल्याण: न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, और नमक पैन में बुनियादी सुविधाएं जैसे शौचालय, पेयजल और विश्राम स्थल प्रदान करना।
  • जलवायु-अनुकूल तकनीक: सौर-संचालित पंपों को अपनाने के लिए ऋण और सब्सिडी, और बारिश से निपटने के लिए उन्नत वाष्पीकरण तकनीकों को लागू करना।
  • पर्यावरण प्रबंधन: अवशिष्ट खारे पानी के निपटान के लिए बेहतर प्रथाएं और स्थानीय जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाना।
  • निर्यात रणनीति: घरेलू आपूर्ति को स्थिर करने के लिए निर्यात सीमाएं लागू करना और प्रीमियम नमक उत्पादों को बढ़ावा देना।

यह भी जानिए!

नमक उत्पादन का विज्ञान

  • नमक उत्पादन में सौर वाष्पीकरण एक प्रमुख प्रक्रिया है, जिसमें समुद्री जल या खारे पानी को सौर ऊर्जा की मदद से वाष्पित किया जाता है। 
  • केंद्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान (CSMCRI) के अनुसार, नमक उत्पादन के लिए आदर्श परिस्थितियों में शामिल हैं:
    • तापमान: 20-45 डिग्री सेल्सियस
    • वर्षा: 600 मिमी. से कम, 100 दिन की अवधि में
    • सापेक्ष आर्द्रता: 50-70%
    • हवा की गति: 3-15 किमी प्रति घंटा
    • हवा की दिशा: उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व 
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