(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: संघ एवं राज्यों के कार्य, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।) |
संदर्भ
5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के माध्यम से अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करते हुए राज्य को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।
अनुच्छेद 370 के बारे में
- अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था।
- यह प्रावधान 1949 में अस्थायी रूप से शामिल किया गया था और राज्य को अपना संविधान, अलग झंडा और कई मामलों में स्वायत्तता प्रदान करता था।
समाप्ति
- 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने राष्ट्रपति आदेश (The Constitution (Application to Jammu and Kashmir) Order, 2019) जारी कर अनुच्छेद 370 को प्रभावहीन कर दिया।
- साथ ही जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 पारित किया गया, जिसके तहत राज्य को निम्नलिखित दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया:-
- जम्मू-कश्मीर (विधानसभा के साथ)
- लद्दाख (बिना विधानसभा)
मुख्य प्रावधान
- अनुच्छेद 35A स्वतः समाप्त हो गया, जो जम्मू-कश्मीर के “स्थायी निवासियों” के विशेष अधिकार तय करता था।
- सभी केंद्रीय कानून अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लागू हो गए।
- अलग झंडा और संविधान की व्यवस्था समाप्त।
- भूमि खरीद, सरकारी नौकरियों और अन्य अधिकारों में पूरे देश के नागरिकों के लिए समानता।
महत्त्व
- राष्ट्रीय एकीकरण: जम्मू-कश्मीर को पूर्ण रूप से भारतीय संघ में शामिल करना।
- कानूनी समानता: सभी नागरिकों के लिए समान कानून और अधिकार।
- विकास की संभावनाएँ: निवेश, बुनियादी ढाँचा और पर्यटन को बढ़ावा।
- सुरक्षा पर प्रभाव: आतंकी नेटवर्क को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा।
जम्मू- कश्मीर के लिए निहितार्थ
शासन और राजनीतिक परिवर्तन
- विधानसभा भंग; केंद्र शासित प्रदेश उपराज्यपाल के प्रशासन के अधीन।
- परिसीमन प्रक्रिया पूरी (2022) : जम्मू और कश्मीर विधानसभा में सीटें 83 से बढ़कर 90 हो गईं; अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित।
- पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत किया गया, लेकिन विधानसभा चुनाव अभी होने हैं।
- पुलिस और सेवाओं पर नियंत्रण उपराज्यपाल को दे दिया गया जिससे निर्वाचित सरकार के अधिकार सीमित हो गए।
सुरक्षा स्थिति
- वर्ष 2019 के बाद पथराव की घटनाओं और सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों में कमी।
- आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में कमी आई है, लेकिन नागरिकों (विशेषकर अल्पसंख्यकों) की लक्षित हत्याएँ अभी भी जारी हैं।
- कड़ी सीमा सुरक्षा के कारण सीमा पार से घुसपैठ के प्रयास कम हुए हैं।
अर्थव्यवस्था और विकास
- बुनियादी ढाँचे, सड़कों, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए केंद्रीय वित्त पोषण में वृद्धि।
- निवेश: केंद्र ने वर्ष 2021 में एक नई औद्योगिक योजना शुरू की, जिसमें निवेश आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन का वादा किया गया है।
- जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित निवेश अब कुल 1.63 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से 50,000 करोड़ रुपये से अधिक परिचालन के विभिन्न चरणों में हैं।
- 359 औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन शुरू हो चुका है; अन्य 1,424 इकाइयाँ पूर्ण होने के अंतिम चरण में हैं।
- नई औद्योगिक नीति हज़ारों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को आकर्षित कर रही है, हालाँकि ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन धीमा है।
- किसानों को प्रत्यक्ष बाज़ार संपर्कों (जैसे, जीआई-टैग वाला केसर, बागवानी निर्यात) से लाभ होगा।
- राजस्व: जम्मू-कश्मीर में कर राजस्व में तीव्र वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2022 और 2024 के बीच जी.एस.टी. संग्रह में 12%, उत्पाद शुल्क में 39% और समग्र गैर-कर राजस्व में 25% की वृद्धि हुई है।
- राज्य का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2015-16 में 1.17 लाख करोड़ रुपये से दोगुना होकर वर्ष 2023-24 में 2.45 लाख करोड़ रुपये और वर्ष 2024-25 में 2.63 लाख करोड़ रुपये हो गया।
- बिजली: बिजली क्षेत्र में सुधारों के बाद, वर्ष 2024 के मध्य तक 5.74 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए, जिससे पारेषण और वितरण घाटे में 25% की कमी आई।
- जम्मू-कश्मीर प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, दिसंबर 2026 तक बिजली उत्पादन दोगुना होने की उम्मीद है।
- सरकार ने पारेषण और वितरण के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
पर्यटन में वृद्धि
- वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड पर्यटक आगमन (2 करोड़ से ज़्यादा आगंतुक), जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं।
- बेहतर कनेक्टिविटी (नए राजमार्ग, उन्नत श्रीनगर हवाई अड्डा) से बढ़ावा।
- फिल्म शूटिंग प्रोत्साहन के कारण बॉलीवुड प्रोडक्शन पुन: आगे आ रहें हैं।
सामाजिक संकेतक और कल्याण
- सभी केंद्रीय कानूनों और योजनाओं का विस्तार (जैसे, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार अधिनियम, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आरक्षण लाभ)।
- स्वास्थ्य सुविधाओं का उन्नयन; आयुष्मान भारत के दायरे में विस्तार।
चुनौतियाँ
- निर्वाचित विधानसभा के अभाव के कारण राजनीतिक शून्यता।
- जनसंख्या के कुछ वर्गों में अलगाव; राजनीतिक लामबंदी।
- स्लीपर सेल और सीमा पार नेटवर्क के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
- रोज़गार सृजन के लिए निरंतर निजी निवेश की आवश्यकता।