New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

गैस्ट्रोडिया इंडिका

  • हाल ही में, जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान-सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र के वनस्पति विज्ञानियों ने फंबोंग्लो वन्यजीव अभयारण्य में ‘गैस्ट्रोडिया इंडिका’ नामक ऑर्किड की अनोखी प्रजाति की खोज की है। 
  • गैस्ट्रोडिया इंडिका प्रजाति का फूल कभी खिलता नहीं है। उल्लेखनीय है कि ऑर्किड अपने खिलते फूलों के लिए प्रसिद्ध हैं किंतु भारत में खोजी गई यह नई प्रजाति इस तथ्य को चुनौती देती है।

गैस्ट्रोडिया इंडिका के बारे में 

  • परिचय : आर्किड की ऐसी प्रजाति जो अपना फूल नहीं खोलती अर्थात खिलती नहीं हैं।   
  • नामकरण : नई प्रजाति का नामकरण भारत के नाम पर किया गया है क्योंकि यह देश में पाई जाने वाली गैस्ट्रोडिया वंश (जीनस) की पहली क्लिस्टोगैमस प्रजाति है।
  • खोज स्थल : यह 1,950 से 2,100 मीटर की ऊंचाई पर सिक्किम में पाई गई है।
  • खतरा : गैस्ट्रोडिया इंडिका को अपनी सीमित आबादी एवं विशिष्ट आवास आवश्यकताओं के कारण संभावित खतरों का सामना करना पड़ रहा है। 
    • यह मानवजनित दबाव के प्रति बेहद संवेदनशील है और किसी भी परिवर्तन के कारण इसे नुकसान हो सकता है।
  • खोज का महत्त्व : यह खोज भारत की वनस्पतिक विविधता के लिए उल्लेखनीय है। इस खोज के बाद देश में गैस्ट्रोडिया प्रजातियों की कुल संख्या दस हो गई है।
    • वर्तमान में दुनिया भर में केवल पाँच पूरी तरह से क्लिस्टोगैमस प्रजातियों का ही दस्तावेजीकरण किया गया है।

गैस्ट्रोडिया इंडिका की विशेषताएं 

  • यह एक होलोमाइकोट्रॉफ़िक पौधा है, जिसका अर्थ है कि यह अपने पोषक तत्वों के लिए पूरी तरह से कवक पर निर्भर रहता है। 
  • यह स्व-परागण करने वाली क्लिस्टोगैमस प्रजाति है जिनमें क्लोरोफिल की कमी होती है तथा भूमिगत कवक से कार्बन का अवशोषण करती हैं। 
  • यह प्रजाति घने व सड़े हुए पत्तों के ढेर में पनपती है। यह मैगनोलिया डॉल्टसोपा और एसर कैंपबेली जैसी वृक्ष प्रजातियों के पास पायी जाती है।  

इसे भी जानिए

  • क्लिस्टोगैमस प्रजातियां : ये अत्यधिक विशिष्ट प्रकार के पौधे होते हैं, जो प्रजनन के लिए कीटों या वायु जैसे बाह्य परागणकों पर निर्भर नहीं होते हैं अर्थात ये स्व-परागण करते है।
  • फंबोंग्लो वन्यजीव अभयारण्य : यह वन्यजीव अभयारण्य सिक्किम के गंगटोक जिले में स्थित है। यह कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान से सटा हुआ है।  
    • फंबोंग्लो हिमालयी काले भालू, लाल पांडा एवं दुर्लभ पक्षी प्रजातियों के साथ ही जंगली ऑर्किड व रोडोडेंड्रोन सहित विविध वन्यजीवों एवं वनस्पतियों के लिए एक महत्वपूर्ण शरणस्थली प्रदान करता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X