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गोंड चित्रकला को जीआई टैग

प्रारंभिक परीक्षा के लिए - गोंड चित्रकला, जीआई टैग 
मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 1, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप,  बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषय

संदर्भ 

  • हाल ही में, गोंड चित्रकला को भौगोलिक संकेतक(जीआई टैग) प्रदान किया गया।

गोंड चित्रकला

Gond-painting

  • यह मध्य भारत में पाए जाने वाले गोंड आदिवासी समुदाय की लोक कला है।
  • गोंड समुदाय द्वारा इस कला का प्रयोग अपनी संस्कृति को संरक्षित और संप्रेषित करने के लिए किया जाता है।
  • गोंड जनजातियाँ प्रकृति से अत्यधिक जुड़ी हुई हैं और यह उनके चित्रों में भी दिखाई देता है, उनमें जानवर, महुआ का पेड़, पौराणिक कहानियाँ, हिंदू देवता, स्थानीय देवता और लोककथाएँ आदि शामिल हैं।
  • इस चित्रकला में रेखाओं का उपयोग इस तरह से किया जाता है कि वे स्थिर तस्वीरों को गति का आभास कराती हैं।
  • सफेद, लाल, नीले और पीले जैसे चमकीले, ज्वलंत रंगों का प्रयोग गोंड चित्रकला की एक और उल्लेखनीय विशेषता है।
  • रंग बनाने के लिए, प्राकृतिक सामग्री जैसे लकड़ी का कोयला, रंगीन मिट्टी, पौधों का रस, पत्तियां और यहां तक ​​कि गाय के गोबर का भी उपयोग किया जाता है।

जीआई टैग 

  • जीआई टैग मुख्य रूप से कृषि संबंधी, प्राकृतिक या विनिर्मित्त वस्तुओं के लिए प्रदान किया जाता है, जिनमें अनूठे गुण, ख्याति या इसके भौगोलिक उद्भव के कारण जुड़ी अन्य लक्षणगत विशेषताएं होती है।
  • जीआई टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार(आईपीआर) होता है, जो आईपीआर के अन्य रूपों से भिन्न होता है, क्योंकि यह एक विशेष रूप से निर्धारित स्थान में समुदाय की विशिष्टता को दर्शाता है।
  • वर्ल्‍ड इंटलैक्‍चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी उत्पाद को विशेष भौगोलि‍क पहचान दी जाती है। 
  • जीआई टैग वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड द्वारा दिया जाता है। 
  • भारत में, जीआई टैग के पंजीकरण को ‘वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 द्वारा विनियमित किया जाता है।
  • इसका पंजीकरण 10 वर्ष के लिए मान्य होता है तथा 10 वर्ष बाद पंजीकरण का फिर से नवीनीकरण कराया जा सकता है।

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