स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान (SIPRI) ने वैश्विक सैन्य व्यय पर रिपोर्ट जारी की।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- वर्ष 2024 में लगातार दूसरे वर्ष विश्व के पाँचों प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों अमेरिका, यूरोप, एशिया, मध्य पूर्व एवं अफ्रीका में सैन्य व्यय में वृद्धि देखी गई। इसका मुख्य कारण रूस-यूक्रेन युद्ध, गाज़ा एवं मध्य पूर्व के संघर्ष व एशिया में क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा रहा है।
- विश्व सैन्य व्यय वास्तविक रूप से 9.4% बढ़कर 2024 में 2718 बिलियन डॉलर हो गया, जो SIPRI द्वारा दर्ज किया गया अब तक का सर्वाधिक है और लगातार वृद्धि का 10वाँ वर्ष है।
- इस बढ़े हुए खर्च का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सा बढ़कर 2.5% हो गया, जबकि औसतन सरकारों के कुल व्यय का 7.1% सैन्य व्यय में गया। प्रति व्यक्ति सैन्य व्यय $334 तक पहुँच गया, जो 1990 के बाद सर्वाधिक है।
- वर्ष 2024 में पाँच सर्वाधिक सैन्य व्यय करने वाले देशों का कुल व्यय विश्व सैन्य व्यय का 60% हिस्सा था। इन देशों में शामिल हैं-
- अमेरिका
- चीन
- रूस
- जर्मनी
- भारत
- वर्ष 2024 में रूस का सैन्य व्यय 38% बढ़कर अनुमानित 149 बिलियन डॉलर हो गया, जो रूस के जी.डी.पी. के 7.1% के बराबर है।
- वर्ष 2024 में यूक्रेन आठवां सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश रहा है, जिसका व्यय 2.9% बढ़कर 64.7 बिलियन डॉलर हो गया, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद का 34% है।
- वर्ष 2024 में नाटो सदस्यों द्वारा कुल सैन्य व्यय वैश्विक खर्च का 55% रहा है।