New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

ग्रेशम का नियम (Gresham’s law)

प्रारंभिक परीक्षा- ग्रेशम का नियम, थियर्स का नियम
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3

चर्चा में क्यों-

  • अंग्रेजी फाइनेंसर थॉमस ग्रेशम के नाम पर प्रचलित इस नियम की वर्ष 2022 में  श्रीलंका में आर्थिक संकट के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका देखी गई, जब श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने श्रीलंकाई रुपये और अमेरिकी डॉलर के बीच विनिमय दर तय की थी।

ग्रेशम का नियम-

  • ग्रेशम सिद्धांत के अनुसार, "बुरा पैसा अच्छा पैसे को प्रचलन से बाहर कर देता है।"(bad money drives out good)।
  •  ग्रेशम का नियम तब लागू होता है जब दो मुद्रा या मुद्राओं के बीच विनिमय दर सरकार द्वारा एक निश्चित अनुपात पर तय की जाती है और वह बाजार के विनिमय दर से भिन्न होती है। इस तरह के मूल्य निर्धारण के कारण कम मूल्य वाली मुद्रा - यानी वह मुद्रा जिसकी कीमत बाजार दर से नीचे के स्तर पर तय होती है - प्रचलन से बाहर हो जाती है। दूसरी ओर, अधिक मूल्य वाली मुद्रा प्रचलन में तो रहती है लेकिन उसे पर्याप्त खरीदार नहीं मिलते।
  • वस्तुतः बाजार विनिमय दर अनिवार्य रूप से एक संतुलित दर होता है, जहाँ मुद्रा की आपूर्ति मुद्रा की मांग के बराबर होती है। 
  • इसके अलावा, बाजार में किसी मुद्रा की कीमत बढ़ने पर उसकी आपूर्ति बढ़ती है और कीमत गिरने पर उसकी आपूर्ति गिरती है; जबकि, दूसरी ओर, किसी मुद्रा की कीमत बढ़ने पर उसकी मांग गिरती है और कीमत गिरने पर मांग बढ़ती है। 
  • इसलिए, जब सरकार द्वारा किसी मुद्रा की कीमत बाजार विनिमय दर से नीचे के स्तर पर तय की जाती है, तो मुद्रा की आपूर्ति कम हो जाती है जबकि मुद्रा की मांग बढ़ जाती है।
  •  इस प्रकार मुद्रा के मूल्य में सीमा से अधिक कमी से मुद्रा की कमी हो सकती है और मुद्रा की मांग आपूर्ति से अधिक हो सकती है।
  • हालाँकि, ग्रेशम का कानून तभी लागू होता है, जब मुद्राओं के बीच विनिमय दर सरकार द्वारा कानून के तहत तय की जाती है और अधिकारियों द्वारा कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है। 
  • मुद्राओं के बीच विनिमय दर तय करने वाले किसी भी सरकारी आदेश के अभाव में, यह अच्छा पैसा ही है जो अंततः खराब पैसे को बाजार से बाहर निकालता है, न कि इसके विपरीत। 
  • जब मुद्राओं के बीच विनिमय दर तय नहीं होती है और लोगों के पास मुद्राओं के बीच स्वतंत्र रूप से चयन करने का विकल्प होता है, तो लोग धीरे-धीरे उन मुद्राओं का उपयोग करना बंद कर देते हैं जिन्हें वे खराब गुणवत्ता वाली मानते हैं और उन मुद्राओं को अपनाते हैं जो बेहतर गुणवत्ता वाली पाई जाती हैं।
  •  यह घटना जिसमें "अच्छा पैसा बुरे को बाहर निकाल देता है" को ‘थियर्स का नियम’ कहा जाता है (फ्रांसीसी राजनेता एडोल्फ थियर्स के नाम पर) और इसे ग्रेशम के नियम के पूरक के रूप में देखा जाता है।
  •  हाल के वर्षों में निजी क्रिप्टोकरेंसी के उदय को कई विश्लेषकों ने निजी धन उत्पादकों द्वारा जारी किए गए अच्छे धन के उदाहरण के रूप में उद्धृत किया है, जो सरकारों द्वारा जारी किए गए खराब धन को बाहर निकालता है।

ग्रेशम के नियम की उत्पत्ति-

  • ग्रेशम नियम का नाम अंग्रेजी फाइनेंसर थॉमस ग्रेशम के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने वित्तीय मामलों पर अंग्रेजी राजशाही को सलाह दी थी। 
  • यह न केवल कागजी मुद्राओं पर बल्कि कमोडिटी मुद्राओं और अन्य वस्तुओं पर भी लागू होता है। 
  • वास्तव में, जब भी किसी वस्तु की कीमत - चाहे इसे पैसे के रूप में उपयोग किया जाए या नहीं - मनमाने ढंग से तय की जाती है, ताकि बाजार विनिमय दर की तुलना में इसका मूल्य कम हो जाए, इससे वस्तु औपचारिक बाजार से गायब हो जाती है।
  •  ऐसे मामलों में किसी कम मूल्य वाली वस्तु को हासिल करने का एकमात्र तरीका काला बाज़ार होता है। जब सरकारें किसी वस्तु का मूल्य कम तय करती हैं, तो कभी-कभी देश अपनी सीमाओं(border) से कुछ वस्तुओं के बहिर्वाह को भी देख सकते हैं।
  • जब भी कोई सरकार किसी वस्तु, मुद्रा (जैसे सोने और चांदी के सिक्के) की विनिमय दर (या कीमत) उस वस्तु के बाजार मूल्य से काफी नीचे तय करती है, तो ग्रेशम का नियम लागू होता देखा जा सकता है।
  •  ऐसे मामलों में जिन लोगों के पास कमोडिटी मनी है, वे सरकार द्वारा निर्धारित कीमत पर पैसा देना बंद कर देंगे। वे शुद्ध सोना और चांदी प्राप्त करने के लिए ऐसी कमोडिटी मनी को भी पिघला सकते हैं, जिसे वे बाजार मूल्य पर बेच सकते हैं, जो सरकार द्वारा निर्धारित दर से अधिक है।

श्रीलंका द्वारा डॉलर का बहिष्कार-

  • यह नियम श्रीलंका में आर्थिक संकट के दौरान लागू हुआ था, जिसके दौरान श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने यह आदेश दिया कि श्रीलंकाई रुपये के संदर्भ में अमेरिकी डॉलर की कीमत 200 रुपये प्रति डॉलर से अधिक नहीं बढ़नी चाहिए, यद्यपि यह सुझाव दिया गया कि  काला बाजार में अमेरिकी डॉलर को 200 रुपए से अधिक दर पर बेचा जाना चाहिए। 
  • वस्तुतः लोगों को एक डॉलर के लिए 200 श्रीलंकाई रुपये से अधिक का भुगतान करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिससे बाजार विनिमय दर की तुलना में रुपये का मूल्य अधिक हो गया और अमेरिकी डॉलर का मूल्य कम हो गया।
  • इससे बाज़ार में डॉलर की आपूर्ति कम हो गई और अमेरिकी डॉलर धीरे-धीरे औपचारिक विदेशी मुद्रा बाज़ार से बाहर हो गया। 
  • जो लोग विदेशी सामान खरीदने के लिए अमेरिकी डॉलर चाहते थे, उन्हें प्रत्येक अमेरिकी डॉलर के लिए 200 श्रीलंकाई रुपये से अधिक का भुगतान करके काले बाजार से डॉलर खरीदना पड़ता था।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न- 

प्रश्न- ग्रेशम नियम के बारे में कौन- सा कथन सही नहीं है?

(a) मुद्राओं बीच विनिमय दर सरकार द्वारा एक निश्चित दर तय करना।

(b) यह मूल्य बाजार के विनिमय दर से भिन्न होती है।

(c) यह बाजार विनिमय दर को अनिवार्य रूप से एक संतुलित करता है।

(d) वह मुद्रा जिसकी कीमत बाजार दर से नीचे के स्तर पर तय होती है,प्रचलन से बाहर हो सकती है।

उत्तर- (c)

 मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- ग्रेशम के नियम को स्पष्ट करते हुए मुद्रा बाजार में इसका महत्त्व बताएं।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X