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कूनो नेशनल पार्क के चीतों की चिकित्सा

प्रारम्भिक परीक्षा: प्रोजेक्ट चीता
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3

चर्चा में क्यों?

पिछले सप्ताह में दो चीतों की मौत के बाद प्रोजेक्ट चीता के कार्यान्वयन की देख रेख करने वाली विशेषज्ञ सलाहकार समिति ने सिफारिश की है कि सभी चीतों की गहन, शारीरिक चिकित्सा समीक्षा की जाए।

प्रमुख बिंदु

  • नवीनतम मौत में चीते के पॉलीस्टीरिन रेडियो-कॉलर पर पाए गए कीड़ों से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है इसलिए वैज्ञानिकों ने सभी चीतों की जांच करने के लिए उनके कॉलर को हटाने की योजना बनाई है।
  • अफ़्रीका से स्थानांतरित किए गए 20 चीतों में से पाँच की मृत्यु हो चुकी है।
  • उन्हें पहली बार सितंबर 2022 में दो बैचों में लाया गया था। तब से ग्यारह चीतों को जंगल में छोड़ दिया गया है जबकि चार एक वर्ग किलोमीटर के बाड़े में हैं। इस प्रकार के बाड़े को बोमा कहा जाता है, जहां उन्हें रखा गया है।
  • केंद्रीय वन मंत्री ने कहा कि ये चीतें मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में ही रहेंगे,इनका स्थानांतरण नहीं किया जायेगा।

संक्रमण का कारण

  • चीता परियोजना की निगरानी करने वाली शीर्ष संचालन समिति के अनुसार, कीड़ों के लार्वा रेडियो-कॉलर पर भी पाए गए और इसने चीतों को संक्रमित कर दिया।
  • रेडियो-कॉलर से बाघों, तेंदुओं और अब चीतों में इस तरह के संक्रमण इस से पहले कभी नहीं दिखे हैं।
  • इस्तेमाल किए जाने वाले कॉलर पॉलीस्टाइनिन हैं और पहले के वर्षों में इस्तेमाल किए जाने वाले कॉलर की तुलना में बहुत हल्के हैं।
  • ये रेडियो-कॉलर नामीबिया और अफ़्रीका में ही चीतों पर लगाए गए थे।

प्राकृतिक कारण

  • मंत्रालय के आधिकारिक बयान में इस बात पर जोर दिया गया कि अब तक हुई चीतों की मौत प्राकृतिक कारण से भी हो सकता है।
  • मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के लिए अपर्याप्त जगह उनकी मृत्यु के लिए उत्तरदायी हो सकतें है।
  • सूर्या के मृत पाए जाने से दो दिन पहले, एक और चीता, जिसका नाम तेजस था, बोमा में मादा चीता द्वारा हमला किए जाने के बाद मारा गया था।
  • यह चीता गर्दन में काटे जाने के बाद तुरंत मर गया, इसलिए इसकी संभावना नहीं है कि परजीवी इसका कारण थे।
  • सूर्या की मृत्यु जंगल में छोड़े जाने के बाद हुई ; बाकी चीतों की मौतें बाड़ें में रखे जानें के बाद हुईं। पांच वयस्क चीतों की मौत के अलावा, मई में एक चीतें से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की भी मौत हो गई।
  • प्रोजेक्ट चीता के अधिकारी ने कहा कि दूसरा चीता फुफ्फुसीय विफलता (pulmonary failure) से मर गया।

नाजुक जानवर

  • बाघ, शेर और तेंदुए की तुलना में चीता अपेक्षाकृत नाज़ुक जानवर हैं, भविष्य में और अधिक मौतें होने की संभावना है।
  • हालांकि, स्वतंत्र विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत में आगमन से पहले चीतों को लंबे समय तक संगरोध स्थितियों (quarantine conditions) में रखने से वे कमजोर हो गए थे।

संरक्षण के उपाय

  • हर चीते की रेडियो कॉलर हटाकर अलग-अलग जांच करनी होगी।
  • इसमें सभी चीतों से ऊतक के नमूने लेकर प्रयोगशालाओं में उनका विश्लेषण करवाया जायेगा कि चीतों के मृत्यु के लिए कहीं परजीवी, बैक्टीरिया या वायरस आदि कारक तो नहीं है।
  • इसके साथ ही,एक चीता अनुसंधान केंद्र जिसमें बचाव और पुनर्वास की सुविधाएं भी होंगी स्थापित किया जाएगा।
  • अन्य उपायों में कूनो राष्ट्रीय उद्यान के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत अतिरिक्त वन क्षेत्र लाना शामिल किया जायेगा।
  • अतिरिक्त अग्रिम पंक्ति बलों को तैनात किया जायेगा।
  • गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के लिए दूसरा घर स्थापित किया जायेगा।

चीता

  • चीता दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाला जानवर है।यह करीब 120 किमी रफ्तार से दौड़ सकता है। हालांकि ये कम दूरी के लिए दौड़ लगाता है और शेर या बाघ की तुलना में पतले होते हैं।
  • चीते का सिर थोड़ा छोटा होता है और पूरे शरीर पर काले-काले धब्बे पाये जाते हैं। इसके चेहरे पर काली धारियां होती हैं। चीते दिन में शिकार करना पसंद करते हैं और ये दहाड़ नहीं लगा सकता है।
  • चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी पशु है, जो भारत में पूरी तरह विलुप्त हो चुका है। इसकी कई वजहें है, जैसे - शिकार और रहने का ठिकाना ना होना आदि।
  • माना जाता है कि सन् 1947 में सरगुजा (छत्तीसगढ़ में) के महाराजा ने भारत के आखिरी तीन एशियाई चीतों को मार डाला था।
  • साल 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से देश से चीतों के विलुप्त होने की घोषणा की थी। एक समय ऊंचे पर्वतीय इलाकों, तटीय क्षेत्रों और पूर्वोत्तर को छोड़कर पूरे देश में चीतों के गुर्राने की गूंज सुनाई दिया करती थी।

क्या है चीता परियोजना ?

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के जन्मदिन 17 सितंबर 2022 को मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर पार्क (Kuno Wildlife Sanctuary) में चीता परियोजना का शुभारंभ किया गया।
  • यह परियोजना धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले जीव चीता के संरक्षण के लिए ही लाई गई है।
  • भारत में चीता का अस्तित्व 70 साल पहले ही खत्म हो चुका था।
  • ऐसे में केंद्र सरकार भारत में चीतों के संरक्षण के लिए प्रयासरत है।
  • चीता प्रोजेक्ट की कल्पना 2009 में की गई थी।
  • प्रोजेक्ट चीता’ एक राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और मध्य प्रदेश सरकार शामिल हैं।
  • कूनो पालपुर पार्क चीतों के लिए उपयुक्त क्षेत्र है, क्योंकि यहां उनको अच्छा शिकार मिल सकता है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों ने भी इस क्षेत्र की निगरानी की है।
  • अधिकारियों के अनुसार मध्य प्रदेश में जीवों के संरक्षण का रिकार्ड अच्छा रहा है, क्योंकि 2009 में पन्ना में बाघों को सफलतापूर्वक पाला गया था।
  • इस परियोजना के तहत चीतों को उनके मूलस्थान नामीबिया-दक्षिण अफ्रीका से हवाई रास्ते से भारत लाना और उन्हें मध्य प्रदेश (एमपी) के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाया जाना है।
  • भारत का चीता प्रोजेक्ट विश्व का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जहां एक बड़े मांसाहारी जीव को किसी दूसरे महाद्वीप में बसाने की कोशिश हो रही है। फरवरी2022 में सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि चीता प्रोजेक्ट के लिए 2021-22 से 2025-26 तक के लिए 38.70 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।

प्रश्न: चीता परियोजना के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1. 2009 में पन्ना से प्रारंभ किया गया।
2. कूनो पालपुर पार्क चीतों के लिए उपयुक्त है।
3. वर्ष 1955 में भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से देश से चीतों के विलुप्त होने की घोषणा की थी।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई भी नहीं

उत्तर(b)

मुख्य परीक्षा प्रश्न :चीता परियोजना क्या है साथ ही इसकेमहत्त्व को स्पष्ट कीजिए?

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