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आंतकरोधी समिति की मेजबानी

चर्चा में क्यों 

भारत अक्टूबर माह में पहली बार दिल्ली और मुंबई में चीन, रूस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सभी 15 देशों के राजनयिकों व अधिकारियों की आतंकवाद पर एक विशेष बैठक की मेजबानी करेगा।

आयोजन के महत्त्वपूर्ण पक्ष

  • आतंकवाद विरोधी समिति (Counter-Terrorism Committee : CTC) की यह बैठक विशेष रूप से आतंकवाद के वित्तपोषण, साइबर खतरों और ड्रोन के उपयोग जैसी चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करेगी।
  • गौरतलब है कि यू.एन.एस.सी. के सदस्य के रूप में भारत वर्ष 2022 के लिये सी.टी.सी. की अध्यक्षता कर रहा है।

भारत का पक्ष 

  • भारत द्वारा इस बैठक के दौरान पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सीमा पार खतरों को उजागर करने की उम्मीद है।
  • इसके अतिरिक्त, भारत संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक सम्मेलन (पहली बार वर्ष 1996 में प्रस्तावित) को अपनाने के लिये बल दे रहा है, जिसे इस बैठक के दौरान उठाए जाने की संभावना है।
  • यह भारत को आतंकवाद से पीड़ित देश के रूप में प्रदर्शित करने के साथ वैश्विक आतंकवाद रोधी प्रयासों में सबसे अग्रणी देश की भूमिका के रूप में प्रदर्शित करेगा।
  • भारत का विचार है कि आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिये वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) जैसे तंत्रों के माध्यम से इसे अपराध की मान्यता दी गई है। ऐसे नए खतरों, जैसे- क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से वित्तपोषण और आतंकी हमलों के लिये ड्रोन के उपयोग को भी प्रतिबंधित करने के लिये एक ढाँचा व आचार संहिता आवश्यक है।
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