(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
भारत एवं ब्राजील ने मर्कोसुर ब्लॉक के साथ मौजूदा प्राथमिकता-आधारित व्यापार समझौते (PTA) के दायरे को बढ़ाने पर सहमति जताई है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को अधिक मजबूत करना और दक्षिण अमेरिकी बाजार में भारत की पहुँच बढ़ाना है।
मर्कोसुर (Mercosur) समूह के बारे में
- मर्कोसुर (Mercosur) का पूर्ण नाम ‘साउथर्न कॉमन मार्केट’ (दक्षिण अमेरिकी व्यापार ब्लॉक) है जो दक्षिण अमेरिका का प्रमुख व्यापारिक संघ है।
- यह 26 मार्च, 1991 को असुंशियन संधि (Treaty of Asunción) के माध्यम से स्थापित हुआ और वर्ष 1994 के ओउरो प्रेटो प्रोटोकॉल (Protocol of Ouro Preto) से मजबूत हुआ, जो इसे कानूनी व्यक्तित्व प्रदान करता है।
- इसके पूर्ण सदस्य देश ब्राजील, अर्जेंटीना, उरुग्वे, पराग्वे एवं बोलिविया हैं जबकि वेनेजुएला निलंबित सदस्य है।
- एसोसिएट सदस्यों में चिली, कोलंबिया, इक्वाडोर, गुयाना, पेरू व सूरीनाम शामिल हैं।
- इस ब्लॉक का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी व लोगों का मुक्त प्रवाह सुनिश्चित करना है।
- यह एक कस्टम्स यूनियन है, जिसमें सामान्य बाहरी टैरिफ (CET) लागू है।
- वर्ष 2023 में इसका सकल घरेलू उत्पाद (PPP) लगभग 5.7 ट्रिलियन डॉलर था, जो इसे विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाता है।

भारत-मर्कोसुर व्यापार समझौते का विस्तार
- मौजूदा PTA 1 जून 2009 से प्रभावी है। वर्तमान में इसका दायरा केवल 450 टैरिफ लाइनों/उत्पादों तक सीमित है।
- हालिया चर्चा ब्राजील के उप राष्ट्रपति जेराल्डो अल्कमिन और भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पियूष गोयल के बीच हुई।
- दोनों पक्षों ने सहमति जताई है कि समझौते का विस्तार व्यापक एवं मजबूत होगा, जिसमें टैरिफ व नॉन-टैरिफ दोनों पहलुओं को शामिल किया जाएगा।
- इस समझौते का लक्ष्य है व्यापार का महत्वपूर्ण हिस्सा टैरिफ छूट का लाभ उठा सके।
- तकनीकी संवाद और संयुक्त प्रशासन समिति की बैठकें जल्द आयोजित की जाएंगी।
- निजी क्षेत्र और अन्य हितधारकों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा।
प्रावधान
- विस्तार का समय : बातचीत शुरू होने के एक वर्ष के भीतर समझौते को अंतिम रूप देने का प्रयास
- टैरिफ छूट : दोनों पक्षों का उद्देश्य व्यापार के बड़े हिस्से को टैरिफ लाभ दिलाना
- नॉन-टैरिफ मुद्दे : व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल करना
- डिजिटल साझेदारी : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग में सहयोग
- दोहरा कर बचाव समझौता (DTAA) : निवेश एवं व्यापार में सुरक्षित और पूर्वानुमेय माहौल
महत्त्व
- ब्राजील भारत का सबसे बड़ा लैटिन अमेरिकी व्यापारिक साझेदार है।
- वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार $12.19 बिलियन था, जिसे अगले पांच वर्षों में $20 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
- समझौते के विस्तार से भारत दक्षिण अमेरिकी बाजार में मजबूत पैठ बना सकेगा।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी व डिजिटल साझेदारी से नवीन तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
चुनौतियाँ
- व्यापारिक और नॉन-टैरिफ बाधाओं का प्रबंधन
- निजी क्षेत्र और छोटे उद्यमियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना
- मर्कोसुर ब्लॉक के अन्य देशों के साथ सहमतिपूर्ण समन्वय करना
- अंतर्राष्ट्रीय बाजार में राजनीतिक व आर्थिक अस्थिरता
आगे की राह
- तकनीकी संवाद और संयुक्त प्रशासन समिति की बैठकों को शीघ्र आयोजित करना
- सभी टैरिफ व नॉन-टैरिफ मुद्दे को शामिल करते हुए व्यापार समझौते का व्यापक और गहरा विस्तार
- डिजिटल साझेदारी और AI आधारित उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग में सहयोग
- निजी क्षेत्र और हितधारकों की सक्रिय भागीदारी व समर्थन
- रणनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए द्विपक्षीय व्यापार निगरानी और समीक्षा तंत्र स्थापित करना