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हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी

चर्चा में क्यों

इंदौर (मध्य प्रदेश) में एक 23 वर्षीय लड़की की हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (Hypertrophic Cardiomyopathy : HCM) बीमारी के कारण अचानक हृदयाघात से मौत हो गई।

हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी के बारे में

  • क्या है: यह एक जटिल ह्रदयरोग है जो हृदय की मांसपेशियों की मोटाई (हाइपरट्रॉफी) में वृद्धि करता है।
  • उत्तरदायी कारक:
  • आनुवांशिक : यदि किसी व्यक्ति के माता-पिता को यह बीमारी है तो उसे भी यह बीमारी विरासत में मिलने की 50% संभावना होती है।
    • उच्च रक्तचाप 
    • उम्र बढ़ना
  • शरीर में परिवर्तन
    • हृदय की मांसपेशियों (विशेषकर निलय या निचले हृदय कक्ष) का मोटा होना
    • बाएं वेंट्रिकुलर का कठोर होना
    • माइट्रल वाल्व में परिवर्तन
    • हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं में परिवर्तन
  • हृदया घात का खतरा
    • इस रोग में हृदय में निलय के दो निचले कक्षों के बीच की दीवार मोटी होने से हृदय से रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है।
    • हृदय की धड़कनें अनियमित होने से हृदय की विद्युत प्रणाली बाधित या बंद हो सकती है।
    • इस बीमारी का पता तब तक नहीं चल सकता जब तक शारीरिक परिश्रम असामान्य हृदय गति को ट्रिगर न कर दे।
  • निदान हेतु प्रमुख परीक्षण 
    • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG): यह परीक्षण हृदय की लय में असामान्यताओं की जाँच के लिए किया जाता है।
    • इकोकार्डियोग्राम (Eco) : इको हृदय की संरचना और कार्य के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
    • तनाव प्रतिध्वनि (Stress echo) : यह परीक्षण यह देखता है कि हृदय तनाव के प्रति किस तरह प्रतिक्रिया करता है।
    • कार्डियोवैस्कुलर एम.आर.आई.
  • उपचार : यदि किसी व्यक्ति में इस बीमारी के प्रति उच्च जोखिम की संभावना होती है, तो उस समय व्यक्ति को इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर की आवश्यकता होती है, जो हृदय को रीसेट करने के लिए शॉकवेव भेजकर अनियमित हृदय गति की निगरानी और उसमें सुधार करता है।
    • ऐसे व्यक्तियों को अत्यधिक व्यायाम एवं परिश्रम से बचना चाहिए।
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