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महत्त्वपूर्ण खनिजों का बढ़ता महत्त्व 

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1;विश्व भर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण (दक्षिण एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप को शामिल करते हुए), विश्व (भारत सहित) के विभिन्न भागों में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों को स्थापित करने के लिये ज़िम्मेदार कारक।)

संदर्भ 

हाल ही में, भारत-ऑस्ट्रेलिया के मध्य तीन वर्ष के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज निवेश समझौता (Critical Minerals Investment Partnership) पर हस्ताक्षर किया गया है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया द्वारा $5.8 मिलियन की राशि प्रदान करने की प्रतिबद्धता प्रकट की गई है। दोनों देशों ने समझौते के माध्यम से महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये परियोजनाओं और आपूर्ति श्रृंखलाओं के क्षेत्र में अपनी साझेदारी को मजबूत करने का फैसला किया है। 

क्या है महत्त्वपूर्ण खनिज  

  • महत्त्वपूर्ण खनिज ऐसे तत्त्व हैं जो आवश्यक आधुनिक प्रौद्योगिकियों के निर्माण के प्रमुख बुनियादी घटक हैं। इन खनिजों के अंतर्गत मुख्यतः ग्रेफाइट, लिथियम और कोबाल्ट शामिल हैं।
  • इन खनिजों का उपयोग मोबाइल फोन, कंप्यूटर, बैटरी, इलेक्ट्रिक वाहन एवं हरित प्रौद्योगिकियों जैसे सौर पैनल व पवन टरबाइन बनाने में किया जाता है। इस प्रकार, ये खनिज हरित ऊर्जा और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा में सहायक हैं। 
  • एयरोस्पेस, संचार एवं रक्षा उद्योग भी इन खनिजों पर निर्भर हैं, जिनका उपयोग लड़ाकू जेट, ड्रोन, रेडियो सेट एवं अन्य महत्त्वपूर्ण उपकरणों के निर्माण में किया जाता है। 

महत्त्वपूर्ण खनिजों की महत्ता 

  • इन खनिजों के लिये अन्य देशों पर निर्भर होने से आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे निर्भर देश की अर्थव्यवस्था और सामरिक स्वायत्तता पर गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।
  • इन खनिजों की दुर्लभ उपलब्धता, बढ़ती माँग और जटिल प्रसंस्करण मूल्य श्रृंखला के कारण आपूर्ति बाधित होने का खतरा बना रहता हैं। 
  • कई बार शत्रुतापूर्ण शासन या राजनीतिक रूप से अस्थिर क्षेत्रों के कारण भी आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो जाती है। 
  • विदित है कि दुनिया एक स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था में बदल रही है, यहीं कारण है कि इन खनिजों की वैश्विक माँग अगले कुछ दशकों में 400-600% तक बढ़ सकती है तथा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बैटरी में उपयोग किये जाने वाले लिथियम और ग्रेफाइट जैसे खनिजों की माँग में 4,000% तक की वृद्धि हो सकती है। 

महत्त्वपूर्ण खनिजों पर चीन का दबदबा 

  • यूएस जियोलॉजिकल सर्वे मिनरल कमोडिटी सारांश रिपोर्ट- 2019 के अनुसार, चीन 16 महत्त्वपूर्ण खनिजों का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में चीन कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी तत्त्वों (Rare Earth Elements) के वैश्विक उत्पादन में क्रमशः 70% और 60% की हिस्सेदारी रखता है। 
  • चीन कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में कोबाल्ट खानों को भी नियंत्रित करता है, जहाँ से इन खनिजों का 70% प्राप्त किया जाता है। 

भारत एवं अन्य देशों के प्रयास  

  • भारत ने घरेलू बाजार में महत्त्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये वर्ष 2019 में तीन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों नाल्को, एच.सी.एल. एवं एम.ई.सी.एल. के संयुक्त उद्यम, खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (Khanij Bidesh India Ltd : KABIL) की स्थापना की है। 
  • वर्ष 2021 में अमेरिका ने अपनी महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में कमजोरियों की समीक्षा में पाया कि महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये विदेशी स्रोतों और प्रतिकूल राष्ट्रों पर अधिक निर्भरता ने राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के लिये खतरा पैदा कर दिया है। आपूर्ति श्रृंखला मूल्यांकन के बाद अमेरिका ने घरेलू खनन, उत्पादन, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। 
  • ब्रिटेन ने इन खनिजों की भविष्य की माँग और आपूर्ति का अध्ययन करने के लिये क्रिटिकल मिनरल्स इंटेलिजेंस सेंटर को शुरू किया है। साथ ही, इस वर्ष के अंत तक ‘महत्त्वपूर्ण खनिज रणनीति’ भी बनाई जाएगी। 
  • इसके अतिरिक्त, जून 2021 में अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने महत्त्वपूर्ण खनिज भंडार का एक इंटरेक्टिव मानचित्र लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य इन देशों को उनके महत्त्वपूर्ण खनिज स्रोतों में विविधता लाने में मदद करना था। 
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