New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

भारत के नए गैर-गरीब

प्रारंभिक परीक्षा - समसामयिकी, राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-3 

चर्चा में क्यों-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में कहा कि उनकी सरकार के पहले पांच साल के कार्यकाल में 13.5 करोड़ नागरिक गरीबी से मुक्त होकर नए मध्यम वर्ग में प्रवेश  कर गए हैं।

प्रमुख बिंदु-

  • 13.5 करोड़ की यह संख्या दूसरी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट में दिखाई देती है, जो 17 जुलाई को नीति आयोग द्वारा प्रकाशित की गई थी
  • सूचकांक का 2023 संस्करण राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) (2019-21) के नवीनतम डेटा का उपयोग करता है।
  • भारत में बहुआयामी गरीबों की संख्या जो वर्ष 2015-16 में 24.85% थी गिरकर वर्ष 2019-2021 में 14.96% हो गई।
  • इस अवधि के दौरान-
    • शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से गिरकर 5.27 प्रतिशत हो गई।
    • ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई है।

GRAMIN

  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
    • पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य में अभावों को कम करने में योगदान प्रदान किया है।
    • स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) और जल जीवन मिशन (जेजेएम) जैसी पहलों ने देशभर में स्वच्छता संबंधी सुधार किए हैं।
    • प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (पीएमयूवाई) के माध्यम से सब्सिडी वाली रसोई गैस की आम जन तक पहुच सुनिश्चित की है।
    • सौभाग्य, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) और समग्र शिक्षा जैसी पहलों ने भी बहुआयामी गरीबी को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

MPI

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक-

  • राष्ट्रीय एमपीआई स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन आयामों में अभावों को मापता है।
  •  यह निम्नलिखित चरों को ट्रैक करता है-
    • स्वास्थ्य में, तीन चर-  पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर और मातृ स्वास्थ्य
    • शिक्षा में, दो चरों-  स्कूली शिक्षा के वर्ष और स्कूल में उपस्थिति  
    • जीवन स्तर में, सात चर-  स्वच्छता, पेयजल, रसोई गैस, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं। 
  • नीति आयोग द्वारा प्रकाशित सूचकांक की पहली रिपोर्ट 2021 में जारी हुई थी।

नोट- वैश्विक Multi Poverty Index (एमपीआई) के निर्माण ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रयास से किया जाता है।

भारत का एमपीआई  एवं ग्लोबल एमपीआई में कुछ भिन्नताएँ है, जैसे-

भारत के एमपीआई में 12 चर हैं, जबकि वैश्विक एमपीआई में 10 हैं। भारत के एमपीआई में दो अतिरिक्त चर ‘मातृ स्वास्थ्य’ और ‘बैंक खाता’ हैं।

गरीबी में कमी की तुलना-

दो एनएफएचएस दौर के बीच की अवधि में 13.5 करोड़ की तुलना अन्य अध्ययनों से-

  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक है और इस प्रकार, गरीबी का आकलन करने के भारत के पारंपरिक और आधिकारिक तरीके से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है।
  • हालाँकि, ग्लोबल एमपीआई 2023 रिपोर्ट, जो जुलाई में जारी की गई थी, बताती है कि 2005-06 और 2019-21 के बीच भारत में 415 मिलियन लोग गरीबी से बाहर निकले।
  • जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर हिमांशु ने कहा कि इन 415 मिलियन में से 270 मिलियन 2005-06 और 2015-16 के बीच गरीबी से बाहर निकल गए, और शेष उसके बाद।
  • वैश्विक एमपीआई में भारत का गरीबी अनुपात 16.4% आंका गया है, जबकि नीति आयोग के एमपीआई में यह 14.96% है। यह अंतर दो अतिरिक्त मेट्रिक्स और परिभाषाओं में कुछ अंतरों के कारण है।

भारत में परंपरागत रूप से गरीबी का आकलन विधियाँ-

  • दादाभाई नौरोजी की 1901 की “पुस्तक पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया” मौद्रिक माप का उपयोग करके ऐसी धनराशि प्राप्त की जाए जो या तो निर्वाह आहार (नौरोजी का दृष्टिकोण) खाने या न्यूनतम जीवन स्तर प्राप्त करने के लिए आवश्यक मानी जाए।
  • चूंकि आय पर डेटा एकत्र करना मुश्किल था, इसलिए भारत ने नियमित (पांच-वार्षिक) उपभोग व्यय सर्वेक्षण का उपयोग किया।
  • इस डेटा के आधार पर, डी टी लकड़ावाला (1993), सुरेश तेंदुलकर (2009), और सी रंगराजन (2014) के नेतृत्व में कई विशेषज्ञ समितियों ने "गरीबी रेखा" खींची। यह रेखा उपभोग व्यय का स्तर है, जो गरीब और गैर गरीब में अंतर करती है। 
  • सरकार ने 2017-18 के उपभोग व्यय सर्वेक्षण को रद्द कर दिया है।

प्रश्न:- निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रकाशित की जाती है।
  2. 2017 से पहले भारत में गरीबी की गणना उपभोग व्यय पर आधारित थी।
  3. राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के डेटा का उपयोग होता है।

उपर्युक्त में से कितना/कितनें कथन सही है/हैं?

(a) केवल एक                          

(b) केवल दो                               

(c) सभी तीनों                        

(d) कोई नहीं 

 उत्तर - (b)

 मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न - भारत में गरीबी के स्थिति की जानकारी देने वाला राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक गरीबी निर्धारण की अन्य विधियों से कैसे अलग है?

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR