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भारतीय उच्च शिक्षा आयोग

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास व प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

  • शिक्षा मंत्रालय ‘भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI)’ की स्थापना के लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में है। इसकी स्थापना के साथ भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली आज़ादी के बाद के अपने सबसे महत्त्वपूर्ण परिवर्तन के लिए तैयार है। 
  • HECI एक एकीकृत नियामक निकाय होगा जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) एवं राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) का स्थान लेगा।
  • अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, चीन एवं नॉर्डिक देशों की सफल शिक्षा प्रणालियों से सीखते हुए HECI से प्रणाली की विशालता को बनाए रखते हुए दशकों से चली आ रही गुणवत्ता संबंधी चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

HECI की संवैधानिक स्वायत्तता

  • इसकी स्थापना एक संवैधानिक संशोधन के माध्यम से की जाएगी, जो चुनाव आयोग की संरक्षित स्थिति के समान है। 
  • आयोग की स्वायत्तता कानूनी रूप से सुनिश्चित की जाएगी, जिसमें विशिष्ट प्रावधान होंगे जो आयुक्तों की मनमानी बर्खास्तगी को रोककर निश्चित कार्यकाल सुनिश्चित करेंगे।
  • इस आयोग के नेतृत्व ढाँचे में आयुक्तों के लिए पाँच वर्ष का कार्यकाल होगा, जिसकी नियुक्ति एक कॉलेजियम द्वारा की जाएगी। 
  • इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता, भारत के मुख्य न्यायाधीश और शैक्षणिक समुदाय के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

HECI की वित्तीय स्वतंत्रता तंत्र

  • राजनीतिक नियंत्रण से मुक्त रखने के लिए उच्च शिक्षा संस्थान (HECI) को सकल घरेलू उत्पाद के 1.5% के बराबर संवैधानिक रूप से गारंटीकृत धनराशि प्राप्त होगी, जो मुद्रास्फीति के प्रति स्वचालित रूप से समायोजित होगी। 
  • स्वतंत्र बोर्ड द्वारा प्रबंधित एक अलग ‘शिक्षा विकास कोष’ वार्षिक बजट आवंटन पर निर्भरता के बिना दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करेगा।
  • क्षेत्रीय केंद्रों को पारदर्शी सूत्र-आधारित वितरण के माध्यम से सुरक्षित बजट आवंटित किया जाएगा। 
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संचालित बजट आवंटन एल्गोरिदम यह सुनिश्चित करेंगे कि संसाधन राजनीतिक विचारों के बजाय प्रदर्शन मानकों के आधार पर संस्थानों तक पहुँचें।

HECI की पारदर्शिता और जवाबदेही ढाँचा

  • HECI के सभी निर्णयों, प्रदर्शन आँकड़ों एवं संसाधन आवंटन तक वास्तविक समय में सार्वजनिक पहुँच से अभूतपूर्व पारदर्शिता आएगी। 
  • सभी दलों के प्रतिनिधित्व वाली एक स्वतंत्र संसदीय शिक्षा समिति बिना किसी परिचालन हस्तक्षेप के निगरानी करेगी। 
  • यह समिति HECI के प्रदर्शन की वार्षिक समीक्षा करेगी किंतु यह विशिष्ट शैक्षिक निर्णयों या आयोग की स्वायत्त स्थिति में कोई बदलाव नहीं कर सकती है।

HECI की संरचना

यह नया आयोग चार विशिष्ट कार्यक्षेत्रों के माध्यम से कार्य करेगा, जिनमें से प्रत्येक विशिष्ट प्रणालीगत आवश्यकताओं को पूरा करेगा:

  • राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक परिषद (NHERC) : 
    • यह एक एकीकृत नियामक निकाय के रूप में कार्य करेगा, जो बहु-अनुमोदन प्रक्रियाओं के स्थान पर सुव्यवस्थित निगरानी स्थापित करेगा।
    • चीन के शिक्षा प्रशासन में प्रयुक्त प्रौद्योगिकी-संचालित निगरानी प्रणालियों का उपयोग करते हुए यह समय-समय पर प्रस्तुत किए जाने वाले शोध पत्रों पर निर्भर रहने के बजाय वास्तविक समय में संस्थागत प्रदर्शन पर नज़र रखेगा।
  • राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (NAC) : 
    • यह इनपुट मेट्रिक्स के बजाय छात्र परिणामों पर ध्यान केंद्रित करके गुणवत्ता आश्वासन में क्रांति लाएगी। 
    • यू.के. के शिक्षण उत्कृष्टता ढाँचे और अमेरिकी क्षेत्रीय प्रत्यायन मॉडल के आधार पर NAC स्नातक रोज़गार दरों, अनुसंधान प्रभाव एवं उद्योग सहयोग के आधार पर संस्थानों का मूल्यांकन करेगा।
  • उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (HEGC) : 
    • यह वित्त पोषण को वर्तमान इनपुट-आधारित मॉडल से प्रदर्शन-संचालित आवंटन में परिवर्तित करेगी।
    •  यू.के. के अनुसंधान उत्कृष्टता ढाँचे की तरह वित्त पोषण को अनुसंधान गुणवत्ता, छात्र संतुष्टि एवं सामाजिक प्रभाव सहित मापनीय परिणामों से जोड़ा जाएगा।
  • सामान्य शिक्षा परिषद (GEC) :
    • यह राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढाँचे (National Higher Education Qualification Framework) के माध्यम से पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण करेगी, जिससे स्थानीय प्रासंगिकता बनाए रखते हुए वैश्विक अनुकूलता सुनिश्चित होगी। 
    • यह दृष्टिकोण छात्र गतिशीलता एवं अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को सुगम बनाने में यूरोपीय योग्यता ढाँचे की सफलता को प्रतिबिंबित करता है।

क्रियान्वयन के चरण 

वर्ष 2026-2027: आधार चरण

  • संविधान संशोधन पारित होना और HECI की स्थापना
  • राष्ट्रीय शिक्षा इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म का विकास एवं परीक्षण
  • क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्रों का बुनियादी ढाँचा विकास
  • छह क्षेत्रों के 100 संस्थानों में AI डैशबोर्ड पायलट कार्यक्रम

वर्ष 2027-2028: क्षेत्रीय स्तर पर रोलआउट

  • वास्तविक समय निगरानी क्षमताओं के साथ पूर्ण राष्ट्रीय शिक्षा आसूचना प्लेटफ़ॉर्म (NEIP) परिनियोजन
  • स्थानीयकृत गुणवत्ता आश्वासन टीमों के साथ क्षेत्रीय केंद्र चालू
  • ब्लॉकचेन क्रेडेंशियल सिस्टम का शुभारंभ
  • पुरानी नियामक प्रणालियों से 25% संस्थानों का स्थानांतरण

वर्ष 2028-2029: पैमाना एवं एकीकरण

  • UGC, AICTE और NCTE से कार्यों का पूर्ण हस्तांतरण
  • AI-संचालित गुणवत्ता आश्वासन पूरी तरह से प्रारंभ 
  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी एकीकरण
  • प्रदर्शन-आधारित वित्त पोषण तंत्र सक्रिय

कार्यान्वयन रणनीति: एआई-संचालित क्षेत्रीय शासन

HECI भारत के विशाल शैक्षिक परिदृश्य के प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक तकनीक एवं विकेंद्रीकृत शासन पर आधारित चार-चरणीय दृष्टिकोण के माध्यम से सुधारों को लागू करेगा। 

चरण 1: डिजिटल अवसंरचना और क्षेत्रीय नेटवर्क स्थापना

  • एक केंद्रीकृत राष्ट्रीय शिक्षा खुफिया मंच प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करेगा जो छात्र नामांकन, संकाय प्रदर्शन, अनुसंधान आउटपुट और वित्तीय मीट्रिक को कवर करने वाले स्वचालित फीड के माध्यम से 40,000 से अधिक संस्थानों से वास्तविक समय के डाटा को संसाधित करेगा।
  • एआई-संचालित प्रणाली गुणवत्ता संबंधी चिंताओं को प्रणालीगत समस्या बनने से पहले ही पहचान लेगी।
  • भारत की भौगोलिक जटिलता को दूर करने के लिए HECI उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, पूर्वोत्तर और मध्य क्षेत्रों को कवर करते हुए छह क्षेत्रीय शिक्षा उत्कृष्टता केंद्र (Regional Education Excellence Centres: REECs) स्थापित करेगा। 
  • एआई-संचालित डैशबोर्ड प्रणाली बहु-स्तरीय जानकारी प्रदान करेगी:
    • राष्ट्रीय डैशबोर्ड : वृहद-स्तरीय प्रवृत्ति, नीति प्रभाव विश्लेषण और अंतर-क्षेत्रीय तुलनाएँ
    • क्षेत्रीय डैशबोर्ड : राज्य-विशिष्ट प्रदर्शन मीट्रिक, संसाधन आवंटन दक्षता और स्थानीय उद्योग संरेखण
    • संस्थागत डैशबोर्ड : वास्तविक समय प्रदर्शन संकेतक, गुणवत्ता संबंधी चिंताओं के लिए पूर्वानुमानित अलर्ट और सहकर्मी बेंचमार्किंग
    • छात्र/अभिभावक पोर्टल : संस्थागत प्रदर्शन, प्लेसमेंट रिकॉर्ड एवं तुलनात्मक विश्लेषण उपकरणों तक पारदर्शी पहुँच
  • मशीन लर्निंग एल्गोरिदम विभिन्न संस्थानों में पैटर्न का विश्लेषण करेंगे, गुणवत्ता में गिरावट के शुरुआती चेतावनी संकेतों की पहचान करेंगे, नामांकन प्रवृत्तियों की भविष्यवाणी करेंगे और संसाधन आवंटन समायोजन की सिफारिश करेंगे। 

चरण 2: क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्र और एआई-संवर्धित गुणवत्ता आश्वासन

  • प्रत्येक REEC एक अर्ध-स्वायत्त केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं, सांस्कृतिक संदर्भों एवं आर्थिक पैटर्न से परिचित शिक्षा विशेषज्ञ कार्यरत होंगे।
  • यह विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण भारत के विविध राज्यों में गुणवत्ता निगरानी के प्रबंधन की महत्त्वपूर्ण चुनौती का समाधान करता है।
  • एआई-संचालित गुणवत्ता आश्वासन संस्थागत मूल्यांकन में क्रांति लाएगा। प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण कई क्षेत्रीय भाषाओं में छात्रों की प्रतिक्रिया का विश्लेषण करेगा, जबकि कंप्यूटर विज़न सिस्टम उपग्रह चित्रों और अपलोड की गई तस्वीरों के माध्यम से बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता का आकलन करेगा। 

चरण 3: नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और उद्योग एकीकरण

  • प्रत्येक REEC के भीतर क्षेत्रीय नवाचार केंद्र स्थापित किए जाएँगे, जो विश्वविद्यालयों को स्थानीय उद्योगों से जोड़ने वाले प्रौद्योगिकी गलियारे स्थापित करेंगे। 
  • ए.आई. प्रणालियाँ अनुसंधान क्षमताओं को उद्योग की ज़रूरतों के साथ मिलाएँगी, जिससे स्वचालित साझेदारी अनुशंसाएँ और सहयोग परिणामों पर नज़र रखने में मदद मिलेगी।
  • ब्लॉकचेन तकनीक प्रमाणपत्र सत्यापन को सुरक्षित बनाएगी, जबकि एआई-संचालित कौशल मिलान प्लेटफ़ॉर्म स्नातकों को रोज़गार के अवसरों से जोड़ेंगे और पाठ्यक्रम प्रासंगिकता पर रीयल-टाइम फ़ीडबैक प्रदान करेंगे।

चरण 4: स्वायत्त शासन और पूर्वानुमानित प्रबंधन

  • उन्नत ए.आई. प्रणालियाँ पूर्वानुमानित संसाधन आवंटन को सक्षम करेंगी, श्रम बाजार विश्लेषण के माध्यम से उभरती कौशल माँगों की पहचान करेंगी और पाठ्यक्रम समायोजन की अनुशंसा करेंगी।
  • स्वचालित प्रदर्शन ट्रैकिंग से उच्च प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी जबकि संघर्षरत संस्थानों को लक्षित हस्तक्षेप सहायता मिलेगी।
  • राष्ट्रीय शिक्षा इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म को विशेष रूप से एक उपमहाद्वीप-आकार की प्रणाली में गुणवत्ता की निगरानी की चुनौतियों का समाधान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

वैश्विक उदाहरणों से सीख

HECI के डिज़ाइन में उन शिक्षा प्रणालियों की सिद्ध रणनीतियाँ शामिल हैं जिन्होंने उत्कृष्टता के साथ पहुँच को सफलतापूर्वक संतुलित किया है। 

अमेरिका 

  • अमेरिका की तर्ज़ पर भारत कठोर जवाबदेही के साथ संस्थागत स्वायत्तता के सिद्धांत को अपनाएगा।
  • उच्च प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों का अनुपालन करते हुए पाठ्यक्रम डिज़ाइन और संकाय भर्ती में क्रमिक स्वायत्तता प्राप्त होगी।

यूनाइटेड किंगडम 

  • छात्र कार्यालय के साथ यूनाइटेड किंगडम का अनुभव एकीकृत विनियमन के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।
  • यू.के. द्वारा कई नियामक निकायों से एकल निरीक्षण प्राधिकरण में बदलाव ने पारदर्शी मूल्यांकन प्रणालियों के माध्यम से गुणवत्ता बनाए रखते हुए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया है।

जर्मनी 

  • जर्मनी का उद्योग एवं शिक्षा जगत का एकीकरण रोज़गार संबंधी चिंताओं के समाधान के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करता है। 
  • अनुप्रयुक्त अनुसंधान एवं उद्योग साझेदारी पर जर्मन प्रणाली के ज़ोर ने इसे दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना दिया है जहाँ स्नातक शिक्षा से रोज़गार की ओर सहज रूप से संक्रमण कर रहे हैं।

चीन 

  • उच्च शिक्षा विकास के लिए चीन का रणनीतिक दृष्टिकोण पैमाने के प्रबंधन के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। 
  • प्रोजेक्ट 985 और डबल फ़र्स्ट-क्लास कार्यक्रम जैसी पहलों के माध्यम से चीन ने लक्षित निवेश और प्रदर्शन-आधारित वित्त पोषण के माध्यम से समग्र प्रणाली की गुणवत्ता में तेज़ी से सुधार करते हुए विश्व स्तरीय संस्थानों की स्थापना की है।

नॉर्डिक देश

  • नॉर्डिक देश यह दर्शाते हैं कि लोकतांत्रिक शासन संरचनाओं और मजबूत सार्वजनिक निवेश के माध्यम से समानता व उत्कृष्टता एक साथ रह सकती है। 
  • इससे यह सुनिश्चित होता है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सभी सामाजिक-आर्थिक समूहों के लिए सुलभ बनी रहे।

भारत में उच्च शिक्षा से संबंधित मुद्दे 

  • भारत में उच्च शिक्षा का मुख्यत: सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने पर केंद्रित होना 
    • इसके परिणामस्वरूप ऐसे संस्थानों की संख्या में वृद्धि हुई है जो उत्कृष्टता की तुलना में संख्या को प्राथमिकता देते हैं। 
  • संकायों (Faculty) की भारी कमी
  • कई विश्वविद्यालय अंशकालिक कर्मचारियों पर कार्यशील
  • पुराने पाठ्यक्रम का उद्योग की ज़रूरतों के अनुरूप विकसित न होना 
  • वैश्विक मानकों के सापेक्ष शोध का निम्न स्तर 
  • विभिन्न नियामक संस्थानों के अतिव्यापी अधिदेश
    • वर्तमान नियामक ढाँचा अतिव्यापी अधिदेशों के साथ अलग-अलग काम करता रहा है, जिसमें यू.जी.सी. सामान्य शिक्षा का प्रबंधन, ए.आई.सी.टी.ई. तकनीकी संस्थानों की देखरेख और एन.सी.टी.ई. शिक्षक शिक्षण का प्रबंधन करता है। 
    • इस विखंडन के कारण नियामक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है, जिससे गुणवत्ता आश्वासन परिणाम-केंद्रित होने के बजाय ज़्यादातर कागज़-आधारित ही रहता है।
  • डिजिटल विभाजन तथा क्षमता निर्माण का अभाव 
  • मौजूदा नियामक निकायों और संस्थानों के भीतर निहित स्वार्थों के विरोध से कार्यान्वयन का धीमा होने की संभावना 

समाधान 

  • प्रत्येक क्षेत्रीय केंद्र में परिवर्तन प्रबंधन विशेषज्ञ शामिल होंगे जो संस्थागत नेतृत्व के साथ सीधे काम करेंगे ताकि सुचारू परिवर्तन संभव हो सके।
  • व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम, मौजूदा नियामक कर्मचारियों को नई प्रणालियों और प्रदर्शन मानकों के अनुकूल ढलने में मदद करेंगे।
  • HECI की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कई आयामों में अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर किया जाएगा। 

आगे की राह 

  • HECI भारत की एक वैश्विक शिक्षा गंतव्य बनने की महत्वाकांक्षा का प्रतीक है।
    • सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 500,000 अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करना और कम-से-कम 20 भारतीय विश्वविद्यालयों को वैश्विक शीर्ष 500 रैंकिंग में स्थापित करना है। 
  • विभिन्न हितधारक इसे भारत के उच्च शिक्षा प्रणाली को एक घरेलू आवश्यकता से वैश्विक परिसंपत्ति में बदलने के लिए परिवर्तनकारी क्षण के रूप में वर्णित करते हैं।
    • HECI यह सुनिश्चित करेगा कि राष्ट्रीय विकास उद्देश्यों की पूर्ति करते हुए भारतीय डिग्रियों को विश्वव्यापी सम्मान मिले।
  • इस सुधार की सफलता भारत को वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख हितधारक के रूप में स्थापित कर सकती है जो उच्च-गुणवत्ता वाले रोज़गार सृजन के साथ ही नवाचार को बढ़ावा देगा और 21वीं सदी में राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता में योगदान देगा।
  • यदि HECI प्रयोग सफल रहता है तो यह उच्च शिक्षा सुधार में समान चुनौतियों से जूझ रहे अन्य विकासशील देशों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत कर सकता है।
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