हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से संयुक्त राष्ट्र साइबर अपराध रोधी अभिसमय (United Nations Convention against Cybercrime) के अनुसमर्थन पर निर्णय लेने को कहा है।
साइबर अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के बारे में
- साइबर अपराध से निपटने में वैश्विक सहयोग को मजबूत करने के लिए इसे दिसंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के सदस्य देशों द्वारा अपनाया गया था।
- इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, साइबर अपराध को रोकने और उससे निपटने के उपायों को मजबूत करना तथा विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए क्षमता निर्माण का समर्थन करना है।
- यह 40वें राज्य (राष्ट्र) द्वारा अनुसमर्थन प्रस्तुत करने के 90 दिन बाद लागू होगा। भारत ने अभी तक इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है।
- यह साइबर अपराध के विरुद्ध सामूहिक सुरक्षा को मजबूत करने वाला पहला सार्वभौमिक कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन है। यह अभिसमय संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) द्वारा विकसित किया गया था।
साइबर अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के प्रमुख प्रावधान
- यह मानवाधिकारों एवं डेटा गोपनीयता को सुनिश्चित करते हुए अवैध पहुंच, साइबर धोखाधड़ी और ऑनलाइन बाल शोषण जैसे अपराधों से निपटने के लिए कानूनी मानक निर्धारित करता है ।
- यह राज्यों को साइबर अपराध को रोकने और उससे निपटने के लिए अनेक उपाय प्रदान करता है।
- यह सीमाओं के पार इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को साझा करने की सुविधा प्रदान करता है तथा राज्यों के बीच 24/7 सहयोग नेटवर्क स्थापित करता है। यह अंतरंग चित्रों के गैर-सहमतिपूर्ण प्रसार को अपराध मानता है।
- इसमें हैकिंग, रैनसमवेयर, ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी, अवैध अवरोधन, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराध शामिल हैं। यह न केवल साइबर अपराधों पर लागू होता है बल्कि गंभीर अपराधों में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संग्रहण व साझाकरण पर भी लागू होता है।