चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के सुदामा नगर के वार्ड 82 में भारत की पहली QR-आधारित डिजिटल हाउस एड्रेस प्रणाली की आधिकारिक शुरुआत की गई।

प्रमुख बिंदु:
- यह परियोजना राष्ट्रीय डिजिपिन प्रणाली के साथ एकीकृत है।
- डिजिटल शहरी बुनियादी ढांचे के लिए एक स्केलेबल मॉडल प्रदान करती है।
- नई दिल्ली की NDMC भी इसी तरह की पहल की योजना बना रही है,
- इससे यह डिजिटल एड्रेस मानकीकरण का एक राष्ट्रव्यापी रुझान बनता जा रहा है।
डिजिटल हाउस एड्रेस परियोजना की मुख्य विशेषताएं
- QR-कोडेड प्लेटें - हर घर को एक यूनिक QR कोड वाली धातु की प्लेट दी जाती है।
- GPS परिशुद्धता - QR कोड सटीक भौगोलिक निर्देशांक से लिंक होते हैं।
- डिजिपिन एकीकरण - सभी पते केंद्र सरकार के डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर (DigiPIN) से समन्वयित हैं।
- प्रत्यक्ष नागरिक संपर्क - QR को स्कैन कर नागरिक कर भुगतान, शिकायत दर्ज और सेवाओं तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं।
- स्मार्ट सिटी लिंकेज - यह पहल स्मार्ट सिटी मिशन और डिजिटल इंडिया मिशन के अनुरूप है।
यह काम कैसे करता है?
- स्थापना: हर घर पर डिजिटल QR प्लेट लगाई जाती है।
- स्कैनिंग: QR कोड को मोबाइल डिवाइस से स्कैन किया जाता है।
- जीपीएस प्रकटीकरण: स्कैन करने पर सटीक लोकेशन और पता जानकारी प्रकट होती है।
- सेवा इंटरफ़ेस: पोर्टल के माध्यम से नागरिक करों का भुगतान, शिकायत दर्ज, और डिजिटल रिकॉर्ड तक पहुंच सकते हैं।
उद्देश्य और लक्ष्य
- पते की सटीक पहचान सुनिश्चित करना।
- सेवा वितरण को अधिक कुशल और समयबद्ध बनाना।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया में सुधार लाना।
- डिजिटल नागरिक सहभागिता को बढ़ावा देना।
- डेटा-संचालित शहरी शासन को सशक्त बनाना।
प्रश्न.भारत का पहला शहर कौन सा है जिसने QR-आधारित डिजिटल हाउस एड्रेस प्रणाली लागू की है?
(a) भोपाल
(b) इंदौर
(c) हैदराबाद
(d) नई दिल्ली
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