(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) |
चर्चा में क्यों
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अक्टूबर 2025 के आंकड़ों के अनुसार, भारत का स्वर्ण भंडार पहली बार 100 अरब डॉलर के पार पहुँच गया है।
भारत का स्वर्ण भंडार : एक अवलोकन
- भारतीय रिज़र्व बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) के हिस्से के रूप में सोना रखता है।
- अक्टूबर 2025 के दूसरे सप्ताह तक, भारत का कुल स्वर्ण भंडार 102.365 अरब डॉलर तक पहुँच गया।
- हालांकि इस अवधि में भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 2.18 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई, परंतु सोने का मूल्य तेजी से बढ़ा।
मुख्य बिंदु
- स्वर्ण का हिस्सा बढ़ा: भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा 14.7% तक पहुँच गया, जो वर्ष 1996-97 के बाद सबसे अधिक है।
- पिछले दशक में दोगुनी वृद्धि: दस वर्ष पहले विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा 7% से भी कम था, जो अब लगभग 15% हो गया है।
- RBI की खरीद धीमी लेकिन मूल्य तेज़: वर्ष 2025 के पहले नौ महीनों में RBI ने केवल 4 टन सोना खरीदा, जबकि वर्ष 2024 में इसी अवधि में 50 टन खरीदा गया था। फिर भी, अंतरराष्ट्रीय बाजार में 65% की वृद्धि के चलते स्वर्ण मूल्य में भारी उछाल आया।
- वैश्विक रुझान का असर: विश्व के कई केंद्रीय बैंक डॉलर पर निर्भरता घटाने (De-dollarisation) और भूराजनीतिक अस्थिरता से बचाव हेतु स्वर्ण खरीद बढ़ा रहे हैं।
- भारत में सांस्कृतिक महत्व: भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता है (चीन के बाद)। सोना यहाँ सांस्कृतिक, धार्मिक और निवेश; तीनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।
महत्त्व
- आर्थिक सुरक्षा: स्वर्ण भंडार भारत की आर्थिक स्थिरता का प्रतीक है, जो अंतरराष्ट्रीय संकटों में मुद्रा संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
- डॉलर पर निर्भरता में कमी: सोने में निवेश से भारत अपने आरक्षित संपत्तियों (Reserve Assets) को विविध बना सकता है, जिससे डॉलर जोखिम घटता है।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण में सहयोग: सोने की कीमतें प्रायः वैश्विक अनिश्चितता में बढ़ती हैं, जिससे यह सुरक्षित निवेश (Safe Haven Asset) के रूप में काम करता है।
- विदेशी व्यापार के लिए स्थायित्व: उच्च स्वर्ण भंडार भारत की अंतरराष्ट्रीय साख को बढ़ाता है, जिससे विदेशी निवेशकों का विश्वास मजबूत होता है।
IMF में भारत के अन्य भंडार
- अक्टूबर 2025 भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 697.784 अरब डॉलर हैं, जिनमें चार प्रमुख घटक हैं (घटते क्रम में):
- विदेशी मुद्रा संपत्ति (Foreign Currency Assets : FCA)
- स्वर्ण भंडार (Gold Reserves)
- IMF के साथ आरक्षित स्थिति (Reserve Position in the IMF)
- विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights : SDRs)
- भारत की IMF में स्थिति मज़बूत है, जो उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय आपात स्थितियों में सहायता प्राप्त करने की क्षमता देती है।
आगे की राह
- भारत को अपनी रिज़र्व विविधीकरण नीति को संतुलित रखते हुए स्वर्ण, विदेशी मुद्रा और SDR का उचित मिश्रण बनाए रखना चाहिए।
- स्थानीय स्वर्ण पुनर्चक्रण और डिजिटल गोल्ड सेविंग्स योजनाओं को बढ़ावा देकर सोने के आयात पर निर्भरता घटाई जा सकती है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार की अस्थिरता को देखते हुए RBI को अपनी स्वर्ण प्रबंधन रणनीति को लचीला और दीर्घकालिक बनाना चाहिए।