(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
भारत का कल्याणकारी राज्य लक्षित योजनाओं, प्रौद्योगिकी-सक्षम वितरण प्रणालियों और राजकोषीय गणनाओं के एक जटिल जाल में बदल गया है।
भारत के कल्याणकारी दृष्टिकोण की प्रमुख विशेषताएँ
प्रौद्योगिकी-संचालित वितरण
- जैम त्रयी या JAM ट्रनिटी (जन धन-आधार-मोबाइल) प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) को सक्षम बनाती है।
- सब्सिडी वितरण, राशन पोर्टेबिलिटी (एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड) के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग।
- न्यूनतम लीकेज और बेहतर लाभार्थी पहचान।
लक्षित योजनाएँ
- पीएम-किसान, पीएम-उज्ज्वला, पीएम-आवास विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक समूहों पर केंद्रित हैं।
- सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) और राज्य-स्तरीय लाभार्थी सूचियों का उपयोग करके डाटा-आधारित लक्ष्यीकरण।
राजकोषीय विचार
- कल्याणकारी व्यय को राजकोषीय घाटे की सीमा (FRBM लक्ष्य) के विरुद्ध मापा जाता है।
- सार्वभौमिक सब्सिडी (जैसे- ईंधन) से लक्षित नकद हस्तांतरण की ओर बदलाव
कल्याण और विकास का एकीकरण
- उत्पादकता बढ़ाने वाले निवेश के रूप में मानव पूंजी (शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण) पर ध्यान केंद्रित करना
- आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढाँचे से जुड़े कल्याण (आवास, विद्युतीकरण)
चुनौतियाँ
- बहिष्करण एवं समावेशन त्रुटियाँ : डिजिटल एवं दस्तावेज़ी आवश्यकताओं के कारण वास्तविक लाभार्थियों के छूट जाने का जोखिम है।
- संघीय समन्वय : कल्याणकारी वितरण केंद्र-राज्य सहयोग पर निर्भर करता है; राजनीतिक मतभेद कार्यान्वयन को प्रभावित करते हैं।
- ग्रामीण-शहरी विभाजन : शहरी गरीबों की गणना प्राय: लाभार्थी डाटाबेस में कम होती है।
- राजकोषीय दबाव : आर्थिक मंदी के दौरान कल्याणकारी प्रतिबद्धताओं के साथ पूंजीगत व्यय को संतुलित करना।
निष्कर्ष
भारत का कल्याणकारी राज्य तकनीकी सटीकता एवं राजकोषीय अनुशासन द्वारा तेजी से आकार ले रहा है। इस परिदृश्य में सार्वभौमिकता और लक्ष्यीकरण के बीच संतुलन बनाते हुए राजकोषीय स्थिरता एवं सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।