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स्कूली शिक्षा में असमानता

संदर्भ

हाल ही में, शिक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (National Achievement Survey : NAS) 2021 ज़ारी किया गया।

राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण

  • राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण राज्य के सरकारी स्कूलों, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, निजी गैर सहायता प्राप्त और केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा 3, 5, 8 और 10 के छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि का मूल्यांकन करता है।
  • छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि का डाटा एकत्र करने के लियेयह तीन वर्ष की चक्र अवधि मेंदेश भर में आयोजित एक बड़े पैमाने पर मूल्यांकन सर्वेक्षण है।राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण का कार्य शिक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है।

लाभ

  • एन.ए.एस. स्कूली शिक्षा की प्रभावशीलता को पहचानने के लिये एक मंच प्रदान करता है और आबादी के मध्य प्रदर्शन की तुलना करने में मदद करता है।
  • इससे प्राप्त डाटा स्कूली शिक्षा में विभिन्न चुनौतियों की पहचान करने में मदद करता है जिसके आधार पर शैक्षिक नीतियों, शिक्षण प्रथाओं और सीखने के संदर्भ में महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किये जा सकते हैं।
  • अन्य सर्वेक्षणों में याद रखने की क्षमता परीक्षण के विपरीत एन.ए.एस. मुख्य रूप से छात्रों की विश्लेषण करने, तर्क करने और विचारों को संप्रेषित करने की क्षमता को मापने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • एन.ए.एस. भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिये भविष्य की कार्रवाई को डिजाइन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह मौजूदा सीखने के अंतराल के डाटाबेस के रूप में कार्य करता है।

हालिया रिपोर्ट

  • राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training: NCERT) ने सीखने के परिणामों के संबंध में छात्रों द्वारा प्राप्त दक्षताओं को मापने के लिये मूल्यांकन ढाँचा विकसित किया है।इस मूल्यांकन परीक्षा का एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा 22 भाषाओं में अनुवाद किया गया था।
  • यह सर्वेक्षण केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education : CBSE) द्वारा एक ही दिन में एक ही समय में प्रशासित किया गया था।
  • एन.ए.एस. 2021 संस्करण में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के 720 जिलों के लगभग 1.18 लाख स्कूलों के 34 लाख से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इस सर्वेक्षण में 5.26 लाख से अधिक शिक्षकों को भी शामिल किया गया था।
  • इस सर्वेक्षण में निम्नलिखित विषय शामिल किये गए थे-
  • कक्षा 3 और 5- भाषा, गणित और पर्यावरण अध्ययन
  • कक्षा 8- भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान
  • कक्षा 10- भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और अंग्रेजी

    चुनौतियाँ

    कक्षावार असामनता

    • विभिन्न विषयों और कक्षाओं के लिये योग्यता अंक 41% से 65% के बीच पाया गया।
    • कक्षा 3 मेंस्कोर 61%-65% के मध्य था, जो कक्षा 5 में घटकर 57%-62% हो गया तथा कक्षा 10 में 41%-55% तक कम हो गया। इस प्रकार उच्च कक्षाओं में योग्यता अंक धीरे-धीरे कम हो गए।
    • सर्वेक्षणकेअनुसार, उच्च कक्षाओं में कम योग्यता अंक के साथ ही गणित और विज्ञान जैसे विषयों में कम अंक बड़ी चुनौतियाँ हैं।

    राज्योंके मध्य योग्यता स्तरों में विसंगतियां

    • कक्षा 3 में अंतर्राज्यीय विसंगतियां 17%-20% की सीमा में पाई गईं जबकि कक्षा 10 में यह अंतर बढ़कर 25%-30% हो गया।
    • रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा 10 में सबसे अधिक योग्यता पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और चंडीगढ़ जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में देखी गई।
    • मिजोरम, मेघालय, उत्तर प्रदेश और दादरा एवं नगर हवेली में निम्न योग्यता स्तर दर्ज किये गए।

    अन्य विषमताएँ

    • रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में छात्रों की योग्यता स्तरों में गंभीर असमानता विद्यमान है।यह असमानता उच्चवर्गों के साथ बढ़ती हुई देखी गई।
    • इसी प्रकार सामाजिक वर्ग समूहों (सामान्य श्रेणी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जातिऔर अनुसूचित जनजाति) के छात्रों के मध्य भी क्षमता स्तरों में असमानता विद्यमान थी। वंचित सामाजिक समूहों के छात्रों की निम्न योग्यता स्तर एक प्रमुख चिंता है।
    • इसके अतिरिक्त, सभी कक्षाओं में छात्राओं का औसत योग्यता अंक छात्रों की तुलना में अधिक पाया गया।

    सरकारी स्कूल बनाम निजी स्कूल

    • सरकारी स्कूलों बनाम निजी स्कूलों के प्रदर्शनको एन.ए.एस.में सबसे महत्वपूर्ण आकलनों में से एक माना जाता है।इन स्कूलों में योग्यता का स्तर काफी भिन्न था।
    • राज्य के सरकारी स्कूलों में कक्षा 3 के छात्रों के बीच उच्चतम योग्यता अंक पाए गए।लेकिन, निजी स्कूल के छात्रों ने कक्षा 5 और कक्षा 8 में बेहतर प्रदर्शन किया जबकि केंद्र सरकार के स्कूली छात्रों ने कक्षा 10 में उच्चतम योग्यता स्तर दर्ज किया।
    • एन.ए.एस. यह प्रमाणित करता है कि शिक्षा के मामले में निजी स्कूलों के बेहतर होने की सामान्य धारणा गलत है क्योंकि राज्य और केंद्र सरकार के स्कूली छात्रों ने अपनी सीमाओं के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया है।

    निष्कर्ष

    एन.ए.एस. 2021 के आकलन और विश्लेषण के अनुसार शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों की विभिन्न श्रेणियों तथा विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों के बीच क्षमता स्तरों में व्यापक असमानताओं को दूर करने के लिये सरकार एवं अन्य नियामक निकायों द्वारा तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

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