New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 5th Dec., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 5th Dec., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

आईएनएसवी कौंडिन्य : भारत की समुद्री विरासत का पुनर्जागरण

21 मई, 2025 को करवार स्थित नौसेना बेस में आयोजित एक औपचारिक समारोह में ‘आईएनएसवी कौंडिन्य’ (INSV Kaundinya) को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया जोकि न केवल एक नौसैनिक जहाज है बल्कि भारत की प्राचीन समुद्री परंपराओं व जहाज निर्माण कला का एक जीवंत उदाहरण है। 

आईएनएसवी कौंडिन्य के बारे में 

  • परिचय : आईएनएसवी कौंडिन्य पारंपरिक रूप से निर्मित एक सिला हुआ पोत (Stitched Sail Vessel) है जो किसी आधुनिक जहाज के विपरीत चौकोर पाल एवं स्टीयरिंग ओर्स से सुसज्जित है। यह न केवल तकनीकी दृष्टि से अनूठा है बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत समृद्ध है।
  • पृष्ठभूमि : इसके निर्माण के योजना की नींव जुलाई 2023 में संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना और केरल स्थित होदी इनोवेशन के बीच हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से रखी गई थी।

  • नामकरण : इसका नाम कौंडिन्य नामक एक प्राचीन भारतीय नाविक पर रखा गया है जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने भारत से दक्षिण-पूर्व एशिया तक समुद्री यात्रा की थी। 
    • यह नाम भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।
  • वित्त पोषण एवं निर्माण : इसका वित्तपोषण संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया गया और निर्माण कार्य केरल के कुशल कारीगरों की देखरेख में पारंपरिक शिल्प विधियों से संपन्न हुआ।
  • प्रयुक्त तकनीक एवं निर्माण सामग्री : यह एक सिला हुआ पाल-पोत है, जिसका निर्माण पारंपरिक शिपबिल्डिंग तकनीक से हुआ है।
    • इस पोत के निर्माण में कॉयर रस्सी, नारियल फाइबर, प्राकृतिक राल और लकड़ी के तख्तों को सिलकर जोड़ा गया है। 
  • डिजाइन : इसका डिज़ाइन 5वीं शताब्दी ईस्वी के उन जहाजों से प्रेरित है, जो अजंता की गुफाओं की भित्तिचित्रों में अंकित हैं। 
    • उस काल में भारत समुद्री व्यापार, सांस्कृतिक संपर्क एवं अन्वेषण में अग्रणी था। इस जहाज को उन ऐतिहासिक यात्राओं का पुनः स्मरण कराने के उद्देश्य से बनाया गया है।
  • सांस्कृतिक महत्व : आईएनएसवी कौंडिन्य में कई सांस्कृतिक तत्व शामिल किए गए  हैं जो भारत की समुद्री परंपराओं को दर्शाते हैं। 
    • इसके पालों पर गंडभेरुंड एवं सूर्य की आकृतियां, धनुष पर गढ़ा हुआ सिंह यली और हड़प्पा शैली का पत्थर का लंगर इसके डेक को सुशोभित करते हैं। 
  • आगामी मिशन : यह वर्ष 2025 के अंत में गुजरात से ओमान तक प्राचीन व्यापार मार्ग पर एक पार-महासागरीय यात्रा शुरू करेगा, जो भारत की समुद्री विरासत को विश्व मंच पर प्रदर्शित करेगा।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR